ऊना को बारिश से नहीं, बाढ़ से डर

By: Jul 2nd, 2017 12:20 am

जिला भर की 55 खड्डों को समेटने वाली स्वां पर नहीं लग पाया 922 करोड़ का तट  दो साल से नहीं मिला पर्याप्त बजट; बरसात फिर सिर पर, लोग दहशत के आलम में  

newsऊना— हिमाचल प्रदेश में मानसून पहुंच गया है। मौसम विशेषज्ञों ने इस साल सामान्य से अधिक बारिश होने की भविष्यवाणी की है। इससे यहां प्रदेश भर के किसानों व बागबानों के चेहरों पर रौनक आई है,वहीं ऊना के किसान चिंतित हो गए हैं। क्योंकि स्वां का खौफ अभी से लोगों जहन में घूमने लगा है।  यूं तो देश की सबसे बड़ी 922 करोड़ रुपए की तटीकरण परियोजना ऊना की सतलुज दरिया में मिलने वाली स्वां नदी व 55 सहायक खड्डों के लिए स्वीकृत हुई है,लेकिन राजनीतिक उठापटक के चलते इसके लिए  दो साल में नाममात्र का बजट भी नसीब नहीं हुआ है। स्वां नदी तटीकरण के चौथे चरण में चार सालों में 922 करोड़ रुपए व्यय करके 387.58 किलोमीटर तटीकरण का कार्य दौलतपुरचौक से गगरेट स्वां तक तथा स्वां से जुड़ने वाली दौलतपुर चौक पुल से संतोषगढ़ पुल तक सभी सहायक खड्डों का किया जाना है। इससे 7163.49 हेक्टेयर भूमि रिक्लेम होनी है।  चार साल बीत जाने के बाद अभी तक 413.20 करोड़ रुपए व्यय कर 162.36 किलोमीटर तटीकरण का कार्य किया जा चुका है,लेकिन यह आधा-अधूरा कार्य अब लोगों के लिए राहत के स्थान पर आफत साबित हो सकता है। चौथे चरण में दौलतपुर चौक पुल से गगरेट पुल तक 21.220 किलोमीटर तटीकरण किया जा चुका है। इसके साथ ही दौलतपुर चौक से लेकर संतोषगढ़ पुल तक सतलुज दरिया में मिलने वाली 65 किलोमीटर लंबी स्वां नदी के दोनों किनारों पर 130 किलोमीटर तटीकरण हो चुका है,वहीं 55 सहायक खड्डों में से 22 खड्डों में अभी तटीकरण कार्य हुआ है। जबकि शेष 33 खड्डों में से 24 खड्डों में तटीकरण कार्य तुरंत किया जाना जरूरी है, लेकिन इसमें 14 का तो कार्य ही नहीं शुरू हो पाया है, जबकि 10 खड्डों में आंशिक या फिर आधा-अधूरा तटीकरण हो पाया है। इससे भारी बरसात होने की सूरत में उफनता पानी अपनी दिशा बदलकर स्वां नदी व खड्डों में हुए तटीकरण व प्रोटेकशन कार्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है। उधर स्वां नदी परियोजना के अधीक्षण अभियंता  ई. एनएम सैणी ने बताया कि स्वां नदी व सहायक खडडों में तटीकरण के कार्य का सीडब्ल्यूसी की दिल्ली व शिमला टीमों ने हाल ही में विजिट किया है। तटीकरण कार्य को शीघ्र पूरा किए जाने की जरूरत है। इस बारे में विशेषज्ञोंं की राय से प्रदेश व केंद्र सरकार को अवगत करवा दिया गया है। बहरहाल जिला ऊना को लोगों को बारिश से नहीं पर बाढ़ की चिंता सताने लगी है।

प्राथमिकता के आधार पर चाहिएं 100 करोड़

जिला में दो दर्जन ऐसी खड्डें है, जिनमें यदि तत्काल तटीकरण का कार्य न किया गया तो अधिक बारिश होने की स्थिति में इन खड्डों का उफनता पानी किनारे तोड़ साथ लगती उपजाऊ भूमि को रेत के ढेर में तबदील करेगा ही वहीं स्वां नदी व अन्य खड्डों में हुए तटीकरण व प्रोटेक्शन वर्क को भी भारी नुकसान पहुंचा सकता है।  इसमें घनारी,मवां,दियोली-टू, अंबोटा,संघनई-टू, फतेहपुर, संघनई-वन, कांगड़-बढेड़ा,भदसाली, पंडोगा, पंजावर-नगनौली,बसाल खड्ड शामिल है। इनके तटीकरण के लिए प्राथमिकता के आधार पर 100 करोड़ की रकम चाहिए

विशेषज्ञों में जताई खतरे की आशंका

सेंट्रल वाटर कमीशन दिल्ली से13 व 14 जून को आई पांच सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम तथा 23 जून को शिमला से आई टीम ने संघनई एक व दो, पंडोगा,जसवाल, लोहारली, गोंदपुर बनेहड़ा व अन्य खड्डों के विजिट के दौरान इसके तत्काल तटीकरण की जरूरत बताई है।  एक्सपर्ट टीम ने माना  कि यदि समय रहते तटीकरण न किया गया तो  भारी तबाही हो सकती है।

अधूरा तटीकरण मचा सकता है तबाही

बरसात में अधूरे तटीकरण से कई खड्डें भारी तबाही मचा सकती हैं। इनमें गारनी, कटोहड़ खुर्द, मुबारिकपुर-खज्जां, कुठार-ऊना-मलाहत,सुंकाली,जसवाल-नक्की, धुस्साड़ा-स्तोतर, कुनेरल-गोंदपुर बनेहड़ा, हरोली, पालकवाह, सलोह व मुख्य स्वां नदी शामिल हैं।

इन खड्डोंं पर नहीं हुआ काम

गगरेट विस क्षेत्र के तहत चलेट,मवां,अंबोटा,घनारी वन व टू,दियोली वन व टू,संघनई वन व टू, अंबोटा,गगरेट, कलोह, बड़ोह, ओयल,टटेहड़ा मवां सिंधिया, मवां कुठेड़ा, लोहारली, चिंतपूर्णी विस के तहत अंबावाली व भैरा, कुटलैहड़ विस  के तहत बदौली-त्यूड़ी,ऊना विस के तहत लालसिंगी-खुर्द ,नंगड़ा-चताड़ा,फतेहपुर व होली तथा हरोली विस क्षेत्र के तहत धर्मपुर,सैंसोवाल,भदौड़ी, चांदपुर व ललड़ी खड्डों का कार्य होना है।

कब, कितनी जारी हुई राशि

2013 –14 में शुरू 922.485 करोड़ रुपए के स्वां  व 55खड्डों के तटीकरण प्रोजेक्ट में सेंटर शेयर में 594.84 करोड़ व स्टेट शेयर में 254.93 करोड़ रूपए के अलावा नॉन एलिजिबल शेयर में स्टेट के हिस्से 72.69 करोड़ आते हैं। प्रदेश सरकार ने अभी तक केंद्र को 337.70 करोड़ के क्लेम सबमिट किए, जिसमें से सेंटर  ने 2013-14 में 5.55 करोड़, 2014-15 में 107.80 करोड़, 2015-16 में 26 करोड़ तथा 2016-17 में 50 करोड़   की राशि जारी की,जबकि 148.35 करोड़ अभी केंद्र ने देने हैं। वहीं प्रदेश सरकार ने इसी अवधि में 10.30 करोड़, 200 करोड़, 9.61 करोड़ तथा 3.72 करोड़ रुपए चार किस्तों में 223.93 करोड़ रुपए जारी किए। मार्च,2017 तक इस परियोजना में कुल 413.19 करोड़ रुपए व्यय हो चुके हैं।


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