एक देश, एक कर का सुखद एहसास

By: Jul 4th, 2017 12:02 am

सुरेंद्र कुमार

लेखक, करसोग, मंडी से हैं

शुरुआत में व्यापारियों को यह कर प्रणाली बोझपूर्ण लग सकती है, परंतु वास्तव में इससे कर ढांचा सरल होगा। इसके लागू होने से शुरू के एक आध वर्ष हमें महंगाई से कुछ हद तक जूझना पड़ेगा, लेकिन समय बढ़ने के साथ-साथ इसकी व्यावहारिकता में वृद्धि होगी तथा हमें इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे…

मेगा जीएसटी भारत में कर सुधारों को लेकर आजादी के बाद अब तक का सबसे महत्त्वपूर्ण परिवर्तन माना जा रहा है। वैसे तो जीएसटी की नींव भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने आज से लगभग 17 साल पूर्व रखी थी, परंतु वह इसे लागू नहीं करवा सके। इस कर विधेयक को लोकसभा में 6 मई, 2015 को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा में इसे पास करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण बदलाव करने पड़े। जिन्हें संविधान के 122वें संशोधन के अंतर्गत किया गया। देश की जनता नई कर प्रणाली के समर्थन में थी। इसलिए वर्तमान मोदी सरकार ने इसे पहली अप्रैल को लागू करने की पूरी-पूरी कोशिश की थी, परंतु बात नहीं बनी। देश की भौगोलिक जटिलता और राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियों की सियासत के चलते बिल के पास होने में विघ्न पड़ा। कड़े फैसले लेने में मशहूर मोदी के नेतृत्व में अंततः 30 जून, 2017 को आधी रात को राष्ट्रपति ने संसद के सेंट्रल हाल में बटन दबाकर नई कर प्रणाली जीएसटी को लागू कर दुनिया के 161 देशों में भारत को शामिल कर दिया। इसके साथ ही भारत में विभिन्न वस्तुओं पर लगने वाले सत्रह कर पूर्णतया समाप्त हो गए और टैक्स के जंजाल की छुट्टी भी हो गई।

समस्त देश को एक ही बाजार बनाने वाला यह कर भारतीय अर्थव्यवस्था के सफाई अभियान में सहायक सिद्ध होगा। अब देश की लगभग 130 करोड़ जनता को सभी सेवाओं व वस्तुओं पर सिर्फ एक ही टैक्स देना होगा। अब तक केंद्र व राज्य किसी भी वस्तु पर मनचाहा कर वसूल करते थे, लेकिन नई कर व्यवस्था लागू होने पर हर प्रकार के सामान पर एक कर ही लगेगा। इसके चलते सेवा कर, बिक्री कर, वैट, एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी, भूमि कर, निगम कर, मनोरंजन कर इत्यादि तमाम कर समाप्त हो गए हैं। आज तक हम विभिन्न वस्तुओं पर आरोपित करों के रूप मे लगभग 30 से 35 फीसदी कर देना पड़ता था, जबकि कुछ वस्तुओं पर तो प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों से कर मात्रा 50 फीसदी तक पहुंच जाती थी। जीएसटी सत्रह टैक्स और तेईस सेस मिलाकर प्रस्तुत किया गया। इसके आने से अब सभी करों के आरोपित करने से एकत्रित मात्रा पांच फीसदी,  12फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी वाले चार स्लैव रह जाएंगे जो अपने आप में एक बड़ी बात है। देश के 81 फीसदी सामान से अब 18 फीसदी की दर से टैक्स वसूला जाएगा। देश के बीस लाख रुपए सालाना आय वाले कारोबारियों को जीएसटी में छूट है। नई व्यवस्था में खाने की वस्तुओं पर शून्य फीसदी टैक्स है, वहीं सस्ते जूतों, कपड़े इत्यादि पर पांच फीसदी, साईकिल स्मार्टफोन, एलईडी लाइट इत्यादि पर 12 फीसदी शैंपू आइसक्रीम, कम्प्यूटर इत्यादि पर 18 फीसदी और अति लग्जरी वस्तुओं पर 28 फीसदी की दर से कर लगेगा।

शुरुआत में यह व्यापारियों को कर प्रणाली बोझपूर्ण एवं अटपटी लग सकती है, परंतु वास्तव में इससे कर ढांचा सरल होगा तथा उत्पादक का पैसा व समय दोनों बचेंगे। विशेषज्ञों की राय में देश में जीएसटी लागू होने से जीडीपी वृद्धि दर दो फीसदी या इससे कुछ अधिक बढ़ सकती है। फिलहाल देश की जनता को विभिन्न करों को चुकाने से छुटकारा मिल गया है। हालांकि इसके लागू होने से शुरू के एक आध वर्ष हमें महंगाई से कुछ हद तक जूझना पड़ेगा, लेकिन समय बढ़ने के साथ-साथ इसकी व्यावहारिकता में वृद्धि होगी तथा हमें इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। अब यदि इसके जनमानस पर पड़ने वाले प्रभावों की बात की जाए तो शुरुआत में हमें दोनों तरह के प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। जीएसटी के प्रत्यारोपण से घर, सस्ती कार आदि खरीदना भी आसान होगा। हमारे उद्योगों को अभी तक कई तरह के टैक्स जमा करने पड़ते थे, जो अब एक कर में सिमट गए हैं। नई कर प्रथा से दूध, चाय, आटा, चावल, एलपीजी गैस, कम्प्यूटर इत्यादि सस्ते हो गए हैं। साथ ही साथ माल ढुलाई भी 20 फीसदी तक सस्ती होगी। जीएसटी से काले धन के कुबेरों की खैर नहीं रहेगी तथा ईमानदार कारोबारियों को लाभ व सहूलियत मिलेगी। महिलाओं को संवारने की वस्तु ज्वेलरी पर तीन फीसदी व रेडीमेड गारमेंट पर पांच फीसदी कर लगता था, जो बढ़ कर 18 फीसदी हो जाएगा।

इसके कारण ये वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। इसके अलावा कुछ वस्तुएं व सेवाएं महंगी हो सकती हैं, जिनमें बैंकिंग, बीमा सेवाएं, फोन बिल इत्यादि भी शामिल हैं। अतः हम कह सकते हैं कि नई कर प्रणाली वाली अर्थव्यवस्था की नीति के अंतर्गत किसी भी वस्तु के लिए हमें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कीमत नहीं चुकानी होगी। नई व्यवस्था के तहत प्रत्येक वस्तु के लेन-देन की एंट्री करनी होगी, जिसके कारण तमाम कारोबारियों की बिक्री कम दर्शाने की प्रथा समाप्त हो जाएगी तथा कर चोरी भी नहीं हो पाएंगे। हालांकि यह टैक्स अंततः उपभोक्ता को ही चुकाना पड़ेगा, क्योंकि पूर्ति चेन में खड़ा आखिरी शख्स वही है। नए सिस्टम से जहां भ्रष्टाचार में कमी होगी, वहीं लालफीताशाही में कमी के साथ पारदर्शिता बढ़ेगी। नई व्यवस्था से वस्तुओं के दाम कम होंगे जिससे मांग में वृद्धि होगी, जो आगे कंपनियों की आय को बढ़ाएगा तथा रोजगार इत्यादि में सकारात्मक प्रभाव डालेगा। देश के प्रधानमंत्री ने अपने कड़े संज्ञान में कहा कि गत ग्यारह वर्षों में केवल तेईस सीए  पर फर्जीबाड़े के मामले सामने आए, जबकि भारत के भ्रष्टाचार से कौन अवगत नहीं है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम सब एक नए अध्याय से जुड़ रहे हैं, इसलिए गड़बड़ी करवाने वालों को पहले ही नमस्ते कहना। इससे हम सबकी भलाई होगी और भारत आगे बढ़ेगा।


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