जंगल बेच करोड़पति बन गए ईमान के सौदागर

वन विभाग की नजर में सरकारी जमीन कब्जाने वाले छोटे लोग कसूरबार, धन्नासेठ तो हैं रसूखदार

ठियोग —  आज जो लोग बिटिया के इमान के बदले करोड़ों देने की बात करते हैं, क्या सरकार ने कभी यह सोचा है कि लोगों के पास इतना पैसा आखिर आया कहां से। कुछ लोगों को छोड़कर यहां पूरे महासू इलाके में यदि राजस्व विभाग वन विभाग के साथ मिलकर जमीन की पैमाइश करे तो सैकड़ों बीघा जमीन सरकार की निकलेगी। इसको लेकर खुद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी कह चुके हैं कि जंगल बेचकर व वहां बागीचे लगाकर इलाके में संपन्नता आई है। बता दें कि कोटखाई के महासू का दांदी का जंगल पहले भी कई वन काटुओं के लिए सुर्खियों में रहा है और इस क्षेत्र के लोगों की पिछली फाइलें खंगाली जाएं तो अभी भी कई लोगों पर केस चल रहे हैं। अभी माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जब सरकारी कब्जे छुड़ाने को लेकर कार्रवाई की जा रही थी, तो वन विभाग ने भी छोटे तबके के बागबानों पर कार्रवाई की, जिनके पास पहले से ही कम जमीन थी, यानी यहां पर भी उन धन्नासेठों को बचाने का पूरा प्रयास किया गया, जिन्होंने जंगल काटकर सरकार की सैकड़ों बीघा जमीन पर कब्जा रखी है। कोटखाई प्रकरण में कई बार यह अफवाहें फैलाई जाती रही हैं कि बिटिया के परिजनों को करोड़ों देने की बात की जा रही है। हालांकि इस पर विश्वास करना सही नहीं होगा, क्योंकि जो लोग पैसे का लालच देकर बिटिया के केस को दबाने की बात कर रहे हैं, सबसे पहले तो केस उन्हीं लोगों पर बनना चाहिए। सबसे बड़ा सवाल यह भी उठता है कि यदि बिटिया केस में सरकार इस पूरे इलाके में कम से कम इतनी नजर तो जरूर रखे कि कहीं सरकार की ही संपत्ति से लोग हैवान तो नहीं बन रहे। सरकारी जमीनों पर कब्जे को लेकर कुछ छोटे लोगों पर कार्रवाई जरूर हुई है, लेकिन सरकार के हाथ धन्नासेठों तक भी पहुंचे, जो लोग यहां पर सरकारी जमीनों पर कुंडली मार बैठे हैं।

लक्कड़ कांड सुर्खियों में

कुछ साल पहले दांदी जंगल का लक्कड़ कांड बेहद सुर्खियों में रहा था, जिसमें यहीं के एक धन्नासेठ पर दर्जनों देवदार काटकर बेचने व बागीचे के लिए जंगल साफ करने का केस चला था। इसमें वन विभाग के कुछ अधिकारियों को सस्पेंड भी किया गया था, लेकिन ऊंची पहुंच वाले इस व्यक्ति पर न तो सरकार ने कुछ किया और न ही विभाग ने।

ऊंची पहुंच वाले सर्वोपरि

पैसे के साथ-साथ इलाके में राजनीति में अच्छा रसूख रखने वाले लोग हैं, जो यहां कम शिमला व दूसरे शहरों में रहते हैं। बिटिया केस में भी लोगों का ऐसे रइसजादों की औलादों पर शक हो रहा है। नशे व अय्याशी में डूबना इनका शौक है। बिटिया के केस में भी शुरू से ही लोगों का शक ऐसे बिगडै़ल लड़कों के इर्द-गिर्द घूम रहा है।

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