कोटखाई केस में सड़कों पर उतरे हजारों लोगों ने सरकार को किया फैसला बदलने पर मजबूर
शिमला — कोटखाई में छात्रा के साथ हुए दर्दनाक हादसे ने जहां कई सवाल खड़े कर रखे हैं। वहीं समाज को भी गहरी नींद से जगा दिया है। कई दफा हादसे हुए लेकिन चर्चा के बाद उन पर खामोशी छा जाती थी, परंतु इस हादसे ने शिमला के लोगों को न केवल जगाया बल्कि सड़कों पर उतरकर उन राजनीतिज्ञों की भी नींद हराम करा दी है जो अपराध को हल्के में लेते रहे। यह सुखद बात है कि आज भी शिमला के लोगों में मानवता और आत्मियता जिंदा है। यह देखने को तब मिला जब ठियोग में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर सरकार को अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर कर दिया और अभी भी लोग सड़कों पर हैं। लंबे समय से लोगों के अंदर जो गुस्सा था वह फूट पड़ा। छात्रा के मर्डर का मामला बेशक जल्दी ही सुलझ जाएगा, लेकिन यह बदलाव जरूर हुआ है कि आगे कभी किसी हादसे में प्रशासनिक व्यवस्थाएं निष्क्रिय नहीं दिखेंगी क्योंकि अब सरकार को भी पता चल गया होगा कि जनता क्या कर सकती है। यह मामला हरेक की जुबां पर है ,जिस पर राजनीतिज्ञ चुप्पी साध बैठे हैं क्योंकि जो कुछ बोलेगा वह पछताएगा।
पानी की राशनिंग पर चुप्पी क्यों
करीब डेढ़ साल से शिमला में पानी की राशनिंग चल रही है। नगर निगम चुनाव से पहले भाजपा ने भी पानी को लेकर खूब हाहाकार मचाया। निगम में बैठने पर गुम्मा का पंपिंग स्टेशन भी देख लिया, लेकिन अभी तक पानी रोजाना पहले की तरह आए इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा सका है। शहर की जनता जो पहले कामरेडों की तरफ देखती थी। अब भाजपा की हरकत पर नजर रख रही है। लोगों को रोजाना पानी आने का इंतजार है, जिस पर अब लोग बोलने लगे हैं कि आखिर भाजपा चुप क्यों बैठी है। उनके हुक्मरान शांत क्यों हैं और रोजाना पानी कब आएगा।
हेल्पलाइनः::
* वन्य प्राणी हैल्पलाइन :: 1916
* नगर निगम :: 1098
* गर्भवती महिलाओं के लिए ::102
* स्वास्थ्य संबंधी जानकारी :: 104
बसों की टाइमिंग
* शिमला-दिल्ली 8:30 बजे सुबह
* शिमला-दिल्ली 9.45 बजे सुबह
* शिमला-दिल्ली 11:15 बजे सुबह
* शिमला-दिल्ली 1:45 बजे दोपहर
* शिमला-दिल्ली 1:55 बजे दोपहर
* शिमला-दिल्ली 6:55 बजे शाम
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* शिमला-दिल्ली 8:00 बजे रात्रि
* शिमला-दिल्ली 9:00 बजे रात्रि
* शिमला-दिल्ली 9:20 बजे रात्रि
* शिमला-दिल्ली 10:15 बजे रात्रि
कैसे स्कूल जाएंगी बेटियां
कोटखाई मामले के बाद पूरे शिमला जिला में बच्चों के अभिभावक सहम गए हैं। छात्राओं के अभिभावकों की जुबान पर एक ही सवाल है कि पहाड़ों पर पहले ऐसा नहीं सुना था। अब गांव में छात्राएं कैसे स्कूल जाएंगी।
अपकमिंग इवेंट्स
* राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया
* कांग्रेस व भाजपा विधायक दलों की बैठकें
* बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन का कुसुम्पटी में धरना
* कालेजों में आज से दोबारा शुरू होगी प्रवेश परीक्षा
* संस्कृत विश्वविद्यालय में अकादमी का सम्मेलन
*सचिवालय में मंत्रिमंडल की बैठक
शख्सियतः:: एक शिक्षक ऐसा भी
एक सरकारी शिक्षक से अमूमन यही उम्मीद की जाती है कि वह स्कूल की व्यवस्थाओं को सुधारेगा, लेकिन इसमें सरकार का कितना सहयोग मिल रहा है यह भी देखा जाता है। वहीं, शिमला जिला के देहा बलसन वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में एक शिक्षक ऐसा भी है, जिसने सरकारी स्कूल को कॉन्वेंट बना डाला है और वह भी समाज के सहयोग से। सरकारी दायरे से बाहर निकलकर इस स्कूल के प्रधानाचार्य गोपाल चौहान ने बच्चों को बेहतरीन फेसिलिटी देने की कोशिश की है, जिसके लिए वह अलग से पैसा नहीं लेते। उन्होंने एनआरआई लोगों का एक गु्रप बनाकर उनसे डोनेशन जुटाकर यहां बच्चों को न केवल जिम दिया बल्कि हर तरह के खेल की मॉर्डन फेसिलिटी भी उपलब्ध करवाई है। यहां साइंस लैब और स्मार्ट लैब लोगों के सहयोग से जुटाई गई है, बच्चों को मुफ्त में किताबें उपलब्ध करवाते हैं।
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