जामुन तो जामुन गुठली अधिक लाभदायक

जामुन बरसात में होने वाला फल है। इसमें थोड़ा खारापन व रुखापन रहता है, जिससे जीभ में ऐंठन हो जाती है। इसलिए यह कम मात्रा में खाया जाता है। बड़े जामुन स्वादिष्ट, भारी, रुचिकर व संकुचित करने वाले होते हैं और छोटे जामुन ग्राही, रूखी और पित्त कफ  रक्तविकार और जलन का शमन करने वाले होते हैं।।

प्रयोग-जामुन का गूद्दा पानी में घोलकर या शरबत बनाकर पीने से उल्टी, दस्त, जी-मिचलाना, खूनी दस्त और खूनी बावासीर में लाभ देता है।

* जामुन की गुठली के चूर्ण 1-2 ग्राम पानी के साथ सुबह फांकने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।

* नए जूते पहनने पर पांव में छाला या घाव हो जाए तो इस पर जामुन की गुठली घिसकर लगाने से घाव ठीक हो जाता है। इसके ताजे, नरम पत्तों को गाय के पाव-भर दूध में घोट-पीसकर प्रतिदिन सुबह पीने से खूनी बवासीर में लाभ होता है। जामुन का रस, शहद, आंवले या गुलाब के फूल के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर एक-दो माह तक प्रतिदिन सुबह के वक्त सेवन करने से रक्त की कमी एवं शारीरिक दुर्बलता दूर होती है। यौन तथा स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।

* जामुन के एक किलोग्राम ताजे फलों का रस निकालकर उसमें 2.1/2 किलोग्राम चीनी मिलाकर शरबत जैसी चाशनी बना लें। इसे एक ढक्कनदार साफ  बोतल में भरकर रख लें। जब कभी उल्टी-दस्त या हैजा जैसी बीमारी की शिकायत हो, तब दो चम्मच शरबत और एक चम्मच अमृतधारा मिलाकर पिलाने से तुरंत राहत मिल जाती है।

* जामुन और आम का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है।

* जामुन की गुठली के चूर्ण को एक चम्मच मात्रा में दिन में दो-तीन बार लेने पर पेचिश में आराम मिलता है।

* पथरी हो जाने पर इसके चूर्ण का उपयोग चिकित्सकीय निर्देशन में दही के साथ करें।

* रक्तप्रदर की समस्या होने पर जामुन की गुठली के चूर्ण में पच्चीस प्रतिशत पीपल की छाल का चूर्ण मिलाएं और दिन में दो से तीन बार एक चम्मच की मात्रा में ठंडे पानी से लें।

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