डीसी शिमला के खिलाफ मोर्चा

By: Jul 23rd, 2017 7:23 pm

कोटखाई छात्रा गैंगरेप प्रकरण पर फैली हिंसा को लेकर निशाने पर

newsठियोग –  कोटखाई गैंगरेप को लेकर फैली हिंसा व सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचने से अब डीसी शिमला पर गाज गिरनी बाकी है। बिटिया मामले को लेकर कोटखाई व ठियोग में कुछ लोगों द्वारा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने को लेकर जनप्रतिनिधियों ने डीसी शिमला रोहन चंद ठाकुर को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा है कि इस घटना के बाद यदि वह समय पर मौके पर पहुंचते और लोगों को समझाने का प्रयास करते तो इस तरह के हालात पैदा न होते और हिंसा न फैलती। जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन की नाकामी देख अब डीसी शिमला के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ठियोग बीडीसी के चेयरमैन मदन लाल वर्मा ने डीसी शिमला पर आरोप लगाते हुए कहा है कि डीसी यदि समय रहते सक्रिय हो जाते ठियोग और कोटखाई में, जिस तरह से सरकारी संपत्ति को कुछ लोगों द्वारा नुकसान पहुंचाया गया है और हालात हिंसक पैदा हो गए हैं और तोड़फोड़ न होती। मदन लाल वर्मा ने कहा है कि डीसी शिमला घटना के दो सप्ताह के बाद पीडि़ता के घर जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम यदि पहले ही उठा लिए होते तो स्थितियां और ही होती। मदन लाल वर्मा ने कहा कि पीडि़त परिवार की जो आशंकाएं थी और जो कार्रवाई चाहते थे वह डीसी के माध्यम से सरकार तक जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि डीसी शिमला ही जिला शिमला में पैदा हुए हालात के लिए जिम्मेदार हैं, जिन्होंने लोगों से कोई संवाद नहीं किया। श्री वर्मा ने आरोप लगाया कि उन्हें इस घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों तथा जनप्रतिनिधियों से संवाद स्थापित करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था को देखना डीसी का काम होता है, लेकिन वह इसमें पूरी तरह से विफल रहे। मदन लाल वर्मा ने आरोप लगाया कि डीसी शिमला पीडि़ता के घर भी तब गए जब उन पर लोगों का दबाव बढ़ा और बार-बार उन्हें पीडि़ता के घर जाने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि दो सप्ताह बाद डीसी पीडि़ता के घर पहुंचते हैं, जिससे उनकी संवेदनशीलता का पता चलता है। मदन लाल वर्मा ने डीसी पर सीएम के आदेशों पर अमल न करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि डीसी का यह कहना कि उनके दरवाजे सबके लिए खुले हैं यदि ऐसा होता तो आज परिस्थितियां कुछ और होती। श्री वर्मा ने कहा कि जिला शिमला में जिस तरह से बिटिया प्रकरण को लेकर कानून व्यवस्था चरमराई है और पुलिस प्रशासन का इस केस में फेलियर होना सामने आया है । इससे साफ जाहिर होता है कि व्यवस्था को काबू करने में जिलाधीश बिलकुल ही असफल साबित हुए, जिससे कि आज स्थानीय लोगों के अलावा जनप्रतिनिधियों में भी उनके खिलाफ काफी रोष है। मदन लाल वर्मा ने कहा कि डीसी को जिला के लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और उसके मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए। बिटिया से हुए गैंगरेप और हत्या को लेकर शुरू से ही डीसी शिमला के रवैये को लेकर सवाल उठते रहे हैं और स्थानीय लोग बार-बार यह मांग करते आए हैं कि उन्होंने करीब 15 दिन के बाद पीडि़ता के घर जाकर उनका हालचाल जाना है, जबकि होना ही चाहिए था कि जिलाधीश का दायित्व बनता है कि जिला के अंदर इस तरह की कोई भी संगीन घटना घटने पर उसे हल्के में न लेकर लोगों की संवेदना को भी समझना चाहिए।

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