फेगड़ा रोपा वन महोत्सव मनाया

शिमला – हिमालयन वन अनुसंधान, शिमला द्वारा पाटरहिल, शिमला में 68वें वन महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ संस्थान के निदेशक, डा. वीपी तिवारी ने फेगड़ा का श्रेष्ठ अनुवांशिक गुणों वाला पौधा लगा कर किया।  इस अवसर पर हिमालयन वन अनुसंधान, शिमला के समस्त अधिकारियों, वैज्ञानिकों व कर्मचारियों के अतिरिक्त विश्व प्रकृति निधि, शिमला इकाई के सदस्यों, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालयों के छात्रों व स्थानीय ग्रामीणों ने पौधारोपण किया गया। उपस्थित लोगों द्वारा बुरांस, बान तथा फेगड़ा जो कि इस क्षेत्र के स्थानीय पौधे हैं का रोपण किया । वन महोत्सव के अवसर पर डा. वीपी तिवारी ने कहा कि मानव जीवन में वृक्षों का विशेष महत्त्व है और पौधारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए देश भर में प्रति वर्ष जुलाई में आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर संस्थान के समूह समन्वयक अनुसंधान, डा. कुलराज सिंह कपूर ने लोगों को संस्थान की मुख्य गतिविधियों से अवगत करवाते हुए कहा कि यह संस्थान दो हिमालयी राज्यों, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में वानिकी के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है। इसके प्रमुख कार्यो में, रई ‘सिल्वर फर- तथा तोष ‘सप्रूस- प्रजातियों की अप्राकृतिक, कृत्रिम पुनर्जनन तकनीक का विकास एवं मानकीकरण, शंकुधारी ‘कोनिफर- और चौड़ी पत्ती ‘ब्रॉड-लीव्ड- वाले वृक्ष प्रजातियों, औषधीय पौधों तथा शुष्क मरूस्थल की स्थानीय प्रजातियों की बीज, पौधशाला तथा पौधरोपण की तकनीकों का विकास एवं मानकीकरण, शीशम प्रजाति के क्लोनल सीड ऑर्चड, राष्ट्रीय उद्यान व वन्यजीव अभयरण्यों में पादप-विविधता का अध्ययन, देवदार, चीड़, कैल, सैलिक्स तथा कुछ प्रजातियों की बीमारियों, नश्वरता नियंत्रण के लिए कीट प्रबंधन रणनीति, हिमाचल प्रदेश में स्थापित विभिन्न जल विधुत परियोजनाओं का पर्यावरण प्रभाव आकलन अध्ययन तथा पर्यावरण प्रबंधन योजना का प्रारूप हिमाचल प्रदेश के उच्च परिवर्तनशील क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए औषधीय पौधे संरक्षण क्षेत्रों की स्थापना तथा लोगों में पर्यावरण जागरूकता एवं शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।

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