बासमती की महक से महकेगा सिरमौर

By: Jul 12th, 2017 12:10 am

newsनाहन —  जिला सिरमौर की दून घाटी के किसान इन दिनों धान लगाने में व्यस्त हैं। न केवल पांवटा दून क्षेत्र बल्कि नाहन के कालाअंब, बोहलियों, कोलर व जिला के अन्य क्षेत्रों में भी इन दिनों धान की रोपाई का कार्य जोरों पर चल रहा है। जानकारी के मुताबिक जिला सिरमौर में करीब पांच हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती की जाती है। भले ही आज जिला सिरमौर का प्रसिद्ध लाल धान अब लुप्त हो चुका है बावजूद इसके भी जिला के किसान पारंपरिक धान की किस्मों के साथ-साथ उन्नत धान की किस्मों की खेती कर रहे हैं। जिला सिरमौर में पांवटा, माजरा, टोका नगला, कोलर, धौलाकुआं, बोहलियों, अंबोया, डांडा, सिंघपुरा, मेहरूवाला, खोदरी माजरी, त्रिलोकपुर, सुकेती, विक्रमबाग व कालाअंब क्षेत्र में भारी मात्रा में किसान धान की खेती करते हैं। भले ही विश्वविद्यालय ने प्रदेश के सिंचित क्षेत्रों के लिए पालम लाल धान-एक व असिंचित क्षेत्रों के हिमपालम लाल-एक किस्म लगाने की सिफारिश की है, लेकिन किसानों द्वारा पालम लाल धान व हिमपालम की कम खेती की जा रही है। पांवटा दून में अधिकतर किसान देहरादून बासमती टाइप-तीन, बासमती पूसा 1121, सरवती व कस्तूरी आदि किस्में लगाई जाती हैं, लेकिन कुछ किसानों द्वारा एराइज 6444 व एराइज फिट गोल्ड किस्में आदि भी लगाई जा रही है। इसके अतिरिक्त जिला के कृषक पारंपरिक किस्में भी लगाते हैं। इन दिनों बारिश के चलते जिला भर में धान की रोपाई का कार्य जोरों पर चल रहा है। जानकारी के मुताबिक कृषकों द्वारा धान की रोपाई का कार्य जून के अंतिम सप्ताह से आरंभ किया गया है, लेकिन पछेती धान की रोपाई का कार्य 15 जुलाई तक चलता है। पांवटा दून व अन्य क्षेत्रों में कृषक क्यारियों में धान लगाते देखे जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक पांवटा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में कई बार धान बैक्ट्रीयल ब्लाइट की चपेट में आता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि धान में बैक्ट्रीरियल ब्लाइट नाम की बीमारी लगे तो किसानों को चाहिए कि जो पौधे बीमारी की चपेट में आए हैं उन्हें खेत से निकालकर जला दें, क्योंकि कई मर्तबा यह बीमारी एक पौधे से दूसरे पौधे में भी लग जाती है। बताते हैं कि एक समय में दून क्षेत्र में धान की करीब तीन हजार किस्में होती थी, लेकिन अब सिमटकर यह किस्में एक दर्जन तक ही रह गई हैं।

क्या कहता है कृषि विभाग

प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि अनुसंधान केंद्र धौलाकुआं के धान विशेषज्ञ डा. धीरेंद्र सिंह व कृषि उपनिदेशक कृषि विभाग डा. कुलवंत सिंह ने बताया कि जिला सिरमौर के किसानों द्वारा करीब एक दर्जन धान की किस्मों की खेती की जाती है। उन्होंने कहा कि जिला में करीब पांच हजार हेक्टेयर भूमि पर धान उगाया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि यह सही है कि अब जिला सिरमौर का प्रसिद्ध लाल धान लुप्त हो गया है, लेकिन किसानों द्वारा उन्नत्त किस्में उगाई जा रही हैं।

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