भीड़ ने रौंदा पर्यटन

By: Jul 2nd, 2017 12:05 am

हिमाचल में साल-दर-साल सैलानियों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इस बार तो यह दो करोड़ को भी पार कर सकता है, लेकिन प्रदेश में आने वाले सैलानियों को क्या सुविधाएं मिलती हैं और उन्हें किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है व पर्यटकों के लिए क्या चाहिए… हर दिक्कत-सुविधा को बारीकी से दखल के जरिए बता रहे हैं स्टेट ब्यूरो चीफ सुनील शर्मा …

हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा दिल्ली की एक विख्यात एजेंसी द्वारा करवाए गए एक सर्वेक्षण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कयासों के विपरीत हिमाचल में पर्यटकों का स्टे बढ़ नहीं पा रहा है। देशी पर्यटक बमुश्किल एक दिन, जबकि विदेशियों का औसतन दो दिन का ठहराव है। मौजूदा पर्यटक सीजन के दौरान भी यही आलम रहा। बेशक पर्यटक संख्या लगातार बढ़ रही है, मगर स्टे अभी भी कम है। वजह यही है कि प्रदेश में होटलों की कमी है। गेस्ट हाउसिज के साथ-साथ रेस्ट हाउसिज व होम स्टे की इकाइयां भी ज्यादा नहीं हैं।

पर्यटन आकर्षण के लिए कोई बड़े स्थल विकसित नहीं हो पाए हैं। न ही कोई बड़ी योजनाएं बन सकी हैं। स्तरीय पर्यटन अभी भी निखर नहीं पाया है।  सर्वेक्षण खुलासा करता है कि प्रदेश में   देशी सैलानी हर दिन औसतन 8230 रुपए खर्च कर रहा है, जबकि विदेशी 17564 रुपए।

खास यह भी कि देश का सैलानी 25.4 फीसदी रहने पर खर्च करता है, 17.3 प्रतिशत खाने पर, 27 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट पर, जबकि 28.5 फीसदी शॉपिंग पर और मात्र 1.4 फीसदी मौज-मस्ती के लिए। विदेशी सैलानी 19 फीसदी एकोमोडेशन पर, 10.7 प्रतिशत खाने पर, 50 फीसदी ट्रांसपोर्टेशन पर, 19.4 फीसदी शॉपिंग पर और एक प्रतिशत मौज मस्ती पर।

देश के 80 फीसदी सैलानी छुट्टियां मनाने के लिए हिमाचल आते हैं, विदेशियों में यह दर 97 फीसदी है। जबकि हर दिन आने वाले पर्यटकों की फेहरिस्त में से 48 फीसदी ऐसे हैं, जो धार्मिक स्थलों में शीश नवाकर वापस लौट जाते हैं। हिमाचल सकल राज्य घरेलू उत्पाद में पर्यटन से 7.82 फीसदी हासिल कर रहा है, जबकि इस क्षेत्र से 5.59 फीसदी ही रोजगार मिल पा रहा है। हिमाचल आने वाले 93 फीसदी पर्यटक सड़क मार्ग द्वारा आते हैं, 10 फीसदी से भी कम सैलानी रेल या हवाई मार्ग द्वारा प्रदेश में पहुंचते हैं।

यह हैं सूरत-ए-हाल

सर्वेक्षण में सामने आया है कि ज्यादातर पर्यटक स्थलों में यादगार के तौर पर वापस ले जाने के लिए सोविनियर शॉप्स ही नहीं है। यहां तक कि इंटरनेट व फर्स्ट एड की सुविधा भी मौजूद नहीं थी। स्थानीय लोगों के अच्छे व्यवहार से पर्यटक कायल होकर वापस लौटते हैं।

रोजगार की स्थिति

एकोमोडेशन यूनिट्स में 21328

ट्रैवल एंड टूअर यूनिट्स में 7127

रेस्तरां में 3934

सोविनियर शॉप्स में 266

कुल बेड क्षमता-80243

होटलों में 75918

होम स्टे में 4325

होटल-2784 रेस्तरां-644 

होम स्टे यूनिट्स -876

सैलानियों की आमद के आंकड़े

राज्य                देशी              विदेशी

हिमाचल           17125045            406108

जम्मू-कश्मीर       9145016              58568

गोवा              4756422             541480

गुजरात           36288463             284973

उत्तराखंड         29496938             105882

पश्चिम बंगाल      70193450           1489500

सिक्किम         705023               38479

राज्य       देशी                   विदेशी

राजस्थान  35187573            1475311

केरल      12465571            977479

मेघालय    751165               8027

मिजोरम    66605                 798

नागालैंड   64616                 2769

हरियाणा   7395496            303118

पंजाब     25796361            242367

साहसिक पर्यटन बढ़े तो बने बात

हमीरपुर, किन्नौर, लाहुल-स्पीति में साहसिक पर्यटन व व्हाइट वाटर और रिवर राफ्टिंग की व्यापक संभावनाएं हैं। ये स्थल शिमला, कांगड़ा, कुल्लू-मनाली से नजदीक हैं। पर्यटन विकास की व्यापक संभावनाओं के मद्देनजर इन्हें विकसित किया जाना चाहिए।

ईको टूरिज्म की बढ़े रफ्तार

हिमाचल में लगातार बढ़ती पर्यटकों की भीड़ को एडजस्ट करने के लिए ईको टूरिज्म जैसी वैकल्पिक व्यवस्था को जल्द सिरे चढ़ाने की जरूरत है। दो वर्ष पहले ईको टूरिज्म पालिसी को हरी झंडी दिखाई गई थी। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अब पांच महीने बीत चुके हैं, मगर फील्ड में किसी भी प्रोजेक्ट पर काम पूरा नहीं हो सका है। यही वजह है कि पर्यटक पहले से ही व्यस्त स्थलों में और भीड़ बढ़ा रहे हैं।  हिमाचल में ईको टूरिज्म की अपार संभावनाओं के मद्देनजर मंत्रिमंडल ने संशोधित ईको टूरिज्म पालिसी-2016 को मंजूरी दी थी। इससे जहां स्वरोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी, वहीं हिमाचली लोक संस्कृति का भी देश-विदेश के पर्यटकों में खूब प्रचार हो सकेगा। खास बात यह कि ईको टूरिज्म विकास के क्षेत्र में वन विभाग अब अकेले ही कार्य करने के लिए अधिकृत नहीं होगा। मंत्रिमंडल ने संशोधित नीति को इसी शर्त पर मंजूरी दी थी कि नए पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए स्थलों का चयन किया जाएगा। मगर यह कार्य सिरे नहीं चढ़ पा रहा है। हिमाचल में 92 वैटलैंड साइट्स हैं, जिनमें से तीन रामसर घोषित हैं, पौंग, रेणुका और चंद्रताल, जबकि रिवालसर व खजियार को राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित किया गया है। इसके अलावा भृगु, पराशर, गोबिंदसागर, डल जैसे कई अन्य वैटलैंड हैं, इनके आसपास यदि प्राकृतिक क्षेत्रों में टैंट लगाकर स्थानीय लोगों को ही राजस्थान व मध्य प्रदेश की तर्ज पर ईको टूरिज्म विकसित करने के लिए सहूलियतें दी जाएं तो हिमाचल में पर्यटन की दिशा व दशा दोनों बदल सकती है। वन विभाग इस बाबत उनसे शुरुआत में कुछ शुल्क भी ले सकता है। काम चलने पर इस राशि में बढ़ोतरी भी की जा सकती है।

120 स्थल तलाशे

पर्यटन विभाग ने प्रदेश में 120 से भी ज्यादा ऐसे नए स्थल विभिन्न जिलों में चिन्हित कर रखे हैं, जहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। ऐसे इलाकों में ईको टूरिज्म के लिए यदि प्रयास हों तो स्थानीय लोगों व इच्छुक निवेशकों को इसका लाभ मिल सकता है।

ये प्रोजेक्ट चढ़ने हैं सिरे

सोलन –आर-35 कदौन,    डी-35, चिरोटी की धार

राजगढ़ -भूरि सिंह टेंपल, आरएफ पनवा

मंडी – देना पार्क

जोगिंद्रनगर – फूलाधार

कुनिहार – जगजीत नगर

भरमौर-रॉक गार्डन, डीपीएफ जाबला,  भरमाणी डीपीएफ-1

पांगी – हुडन भाटरी,  सुरल भटूरी, पुर्थी

कोटगढ़    तानू-जुब्बड़

कुल्लू – बिजली महादेव,     खसधार नजदीक एफआरएच

सराज – छमनाला

शिमला शहरी  – भराड़ी, नजदीक एवरसन्नी भड़श

ठियोग  – तीर महासू

शिमला  –  धोगरपू, समीप अश्वनी खड्ड जुन्गा

ऊना  – पंडोगा

धर्मशाला –  इंद्रू नाग

यह हो रहा नया

साधु पुल में वाटर पार्क डेढ़ करोड़ की लागत से स्थापित कर दिया गया है। इसमें बच्चों के लिए 15 तरह की वाटर स्लाइड्स हैं। भराड़ीघाट में वे-साईड रेस्तरां, ऊना में बंद पड़े सोमभद्रा रेस्तरां को शुरू किया गया है।  जाखू रोप-वे चालू हो चुका है। धर्मशाला-मकलोडगंज रोप-वे प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है। पलचान से रोहतांग के लिए भी कार्य चालू है। टुटीकंडी से मालरोड तक रोप-वे का कार्य शुरू हो चुका है।

100 करोड़ का स्वदेश दर्शन प्रोजेक्ट

हिमाचल के पांच जिलों कुल्लू, हमीरपुर, मंडी, शिमला व कांगड़ा में स्वदेश दर्शन प्रोजेक्ट के तहत पर्यटन में और निखार लाने की तैयारी है।

ट्रैफिक व्यवस्था

न जवान, न ही उपकरण

प्रदेश में ट्रैफिक व्यवस्था सही नहीं है। न तो पर्याप्त स्टाफ है न ही संसाधन। जानकारी के अनुसार पुलिस विभाग में ट्रैफिक पुलिस के मात्र 702 पद मंजूर हैं, हालांकि ट्रैफिक से निपटने के लिए पुलिस विभाग द्वारा राज्य में 1317 से ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 201 जवान शिमला शहर में तैनात किए गए हैं। वहीं मंडी जिला में 190, कांगड़ा में 168, चंबा में 125, ऊना में 118, कुल्लू में 111 जवान लगाए गए हैं। हालांकि कुछ  पर्यटन स्थलों पर पुलिस विभाग ने बटालियनों से और भी जवान  इन दिनों भेजे हैं ताकि ट्रैफिक को सुचारू रखा जा सके। लेकिन जितने जवानों को तैनात किया गया है,उसके कई गुना अधिक जवानों को तैनात किया जाना जरूरी है।  जहां तक ट्रैफिक रेगुलेट करने के लिए उपकरणों का सवाल है तो पुलिस विभाग के पास क्रेनों की कमी है। विभाग के पास मात्र 17 क्रेन हैं। वहीं पुलिस विभाग के पास बड़ी क्रेन नहीं है। यदि कहीं कोई बस व ट्रक कहीं बीच रास्ते में  पार्क कर दिया जाए तो पुलिस को इसके लिए क्रेन हायर करनी पड़ती है। शिमला शहर में भी पुलिस के पास छोटी क्रेन हैं जो कि कार व दूसरे छोटे वाहनों को ही उठा सकती हैं। वहीं बड़े वाहनों के सड़क पर पार्क होने पर पुलिस के हाथ खड़े हो जाते हैं। पुलिस के पास करीब पौने दो सौ एल्को सेंसर, डेढ़ दर्जन गैस एनालाइजर, एक दर्जन लेजर स्पीड, दो दर्जन नोइज मीटर और इक्कासी डॉप्लर राडार हैं।

प्रशासन सीजन से पहले बनाता है रणनीति

पर्यटन सीजन से पूर्व ही जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग के साथ-साथ पुलिस महकमों की संयुक्त बैठकें होती हैं, जिसमें सीजन के दौरान पर्यटकों की सहूलियत के लिए रणनीति तैयार की जाती है। पर्यटकों को पार्किंग संबंधी दिक्कतें न आएं, लिहाजा ट्रैफिक पुलिस दोस्ताना रुख रखती है।  टूरिस्ट्स स्थलों पर भी पर्यटकों से लूट-खसोट न हो, इसलिए संबंधित एजेंसियां पूरी निगरानी के साथ औचक निरीक्षण भी करती हैं।

अब सैलानी मांगें कुछ नया

हिमाचल में पर्यटक बेशुमार पहुंच रहे हैं। हर सीजन में इनका आंकड़ा बढ़ रहा है।  ईको टूरिज्म की बड़ी योजनाएं अभी तक शुरू नहीं हो सकीं। मनोरंजन पार्क के कई बार ऐलान हुए। वर्ष 1977 से इसकी तैयारियां चल रही हैं, मगर यह सिरे नहीं चढ़ पाया। साहसिक पर्यटन को दिशा देने के लिए हिमाचल ने जरूर बीड़-बिलिंग को चुना है। कुल्लू-मनाली, बिलासपुर में भी ऐसे बड़े आयोजनों की जरूरत है। ये क्षेत्र अभी भी ऐसे आयोजनों के लिए तरस रहे हैं, जबकि इनमें पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं।

शिमला जिला अपनी खूबसूरती के लिए बेहद प्रसिद्ध है।  ऐलानों के बावजूद रोहड़ू के चांशल में स्कीईंग व अन्य साहसिक खेल परवान नहीं चढ़ सके। जरूरत इस बात की है कि हिमाचल में अब ऐसे क्षेत्रों को खोला जाए, जहां प्राकृतिक सौंदर्य भरपूर है। वे शहरों के कोलाहल से दूर हों। पर्यटक सही मायने में वहां सुकून का अनुभव कर सकें। ऐसे ही क्षेत्रों में न तो यातायात समस्या होगी, न ही पार्किंग की दिक्कतें, मगर अभी तक भी हिमाचल में इसे लेकर गंभीर प्रयास नहीं हो सके हैं। शिमला जिला के विभिन्न क्षेत्रों में पैराग्लाइडिंग के लिए बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं, मगर इस ओर कभी भी गंभीरता से ध्यान ही नहीं दिया गया।  प्रमुख होटल व्यवसायी मोहेंद्र सेठ, सुरेंद्र ठाकुर, कमल कुमार और जगदीश कुमार का कहना है कि यदि हिमाचल ने अब बड़ी योजनाओं की तरफ कदम नहीं बढ़ाया तो आने वाले वर्षों में हिमाचल गलाकाट प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकता है। सबसे बड़ी पार्किंग दिक्कत बनती है, जिसे प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाना चाहिए।

पुराने स्थल अब उबाऊ

प्रदेश के शिमला, कुल्लू-मनाली, सोलन, सिरमौर, किन्नौर, लाहुल-स्पीति और चंबा के साथ-साथ मंडी में पर्यटन के नए क्षेत्र विकसित करने की भी जरूरत है। क्योंकि पुराने स्थल अब उबाऊ साबित होने लगे हैं।

सरकार ने की पहल

अब मौजूदा सरकार ने धर्मशाला-मकलोडगंज, टुटीकंडी-माल रोड, पलचान-कोठी-रोहतांग के लिए कार्य शुरू किया है। पलचान-कोठी के लिए तैयारियां चली हैं। बिजली महादेव का कार्य भी शुरू होने वाला है। जाखू रोप-वे शुरू हो चुका है। लिहाजा आने वाले वर्षों में पर्यटकों के लिए नया आकर्षण ये प्रोजेक्ट बन सकते हैं।

एयर-रेल कनेक्टिविटी बेहद जरूरी

पर्यटन विशेषज्ञों की राय में जब तक प्रदेश में पार्किंग की सुविधाओं के साथ-साथ पर्यटन स्थलों में आधारभूत ढांचे को मजबूत नहीं कर लिया जाता, तब तक दिक्कतें पेश आती रहेंगी। हालांकि पर्यटन विभाग ने पिछले कुछ अरसे से खूब मेहनत की है। एडीबी के 400 करोड़ के प्रोजेक्ट के जरिए पर्यटन स्थलों की दशा सुधारने की मुहिम जारी है। मगर व्यवसायियों का कहना है कि जब तक एयर कनेक्टिविटी, रेल कनेक्टिविटी नहीं बढ़ेगी, तब तक निखार अधूरा ही रहेगा।

वाटर स्पोर्ट्स को दिया जाए बढ़ावा

प्रदेश के पौंग, चमेरा और भाखड़ा में वाटर स्पोर्ट्स की बड़ी क्षमताएं हैं। कुल्लू में ब्यास से लेकर तत्तापानी-सतलुज में भी व्यापक संभावनाएं हैं। इन सबका बड़े स्तर पर दोहन करने की आवश्यकता है। निजी निवेशकों के लिए सकारात्मक माहौल मिले, इसे सुनिश्चित बनाना जरूरी होगा।

यहां से आते हैं ज्यादा पर्यटक

हिमाचल में कुल पर्यटकों की आमद में से 22 फीसदी दिल्ली, 18.5 पंजाब, हिमाचल से ही 11.5, हरियाणा से 11, चंडीगढ़ से 6.6, उत्तर प्रदेश से 4.2, महाराष्ट्र से 4.1, पश्चिम बंगाल से 2.1, जबकि विदेशी पर्यटकों में 25.3 फीसदी ब्रिटेन, 7.3 अमरीका, 6.9 इजरायल, 5 जर्मनी, 2.3 फ्रांस, 1.7 नेपाल, 1.4 सिंगापुर जबकि 1.2 फीसदी दक्षिणी अफ्रीका से आते हैं।

ऊना में सबसे ज्यादा सैलानी

ऊना में पर्यटकों की सबसे ज्यादा ऑक्यूपेंसी 51 फीसदी आंकी गई। इसके बाद शिमला, बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, चंबा और कुल्लू रहे।

इन जिलों में आक्यूपेंसी कम

हमीरपुर, किन्नौर, लाहुल-स्पीति, सिरमौर और सोलन में औसत से भी कम ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई। साल भर हिमाचल के होटलों की औसतन ऑक्यूपेंसी 39.8 आंकी गई है।

78 फीसदी विदेशी कपल आते हैं

हिमाचल आने वाले 82 फीसदी देशी टूरिस्ट, जबकि 78 फीसदी विदेशी पर्यटक विवाहित होते हैं, 96.5 फीसदी देशी और 94.4 फीसदी विदेशी पर्यटक ट्रांसपोर्ट सुविधा खुद जुटाते हैं, 55 फीसदी देशी पर्यटक और 59 फीसदी विदेशी पर्यटक साल में एक बार, जबकि अन्य कभी-कभार ही हिमाचल आते हैं। हिमाचल आने वाले ज्यादातर पर्यटक निजी क्षेत्र में कार्यरत रहते हैं, या फिर स्वरोजगार से जुड़े होते हैं।

चौकसी के बाद भी लूट खसोट

पर्यटन सीजन से पहले पर्यटन विभाग व पुलिस विभाग संबंधित जिला प्रशासन के साथ समन्वय बैठक कर जायजा लेते हैं। पर्यटक सीजन के दौरान औचक निरीक्षण भी होते हैं। ट्रैफिक पुलिस को खास हिदायतें दी जाती हैं कि पर्यटन वाहनों को पार्क करने के लिए ज्यादा से ज्यादा सहूलियतें दी जाएं। टूरिज्म विभाग का फ्लाइंग स्क्वायड शिमला, कुल्लू-मनाली व अन्य पर्यटक स्थलों में छापेमारी भी करता है। सभी संबंधित सरकारी एजेंसियां पर्यटकों की सहूलियत के लिए पर्यटन स्थलों में भी निगरानी रखते हैं। बावजूद इसके शिकायतें आम रहती हैं कि पर्यटकों से लूट-खसोट होती है।

इस बार दो करोड़ का आंकड़ा होगा पार

होटल व्यवसायी व शिमला होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष हरनाम कुकरेजा, सुरेंद्र ठाकुर व महेंद्र सेठ  का कहना है कि इस बार सैलानियों की संख्या बढ़ी है। हिमाचल में स्वच्छ पर्यावरण व अच्छी कानून-व्यवस्था के साथ-साथ स्तरीय पर्यटन स्थल सैलानियों को आकर्षित करते हैं। पर्यटन व्यवसायियों के मुताबिक यदि यही आलम रहा तो इस बार पर्यटन आमद का आंकड़ा दो करोड़ भी पार कर सकता है। होटल व्यवसायियों का कहना है कि ट्रैवल एजेंट्स हिमाचल के पर्यटक स्थलों में अग्रिम बुकिंग तक के लिए बड़ा दबाव बना रहे हैं।

गर्मियों में उमड़ता है पर्यटकों का सैलाब

हिमाचल में इस बार मैदानी इलाकों में बढ़ती तपिश के कारण सैलानियों का ज्यादा हुजूम उमड़ रहा है। वहीं दार्जिलिंग व घाटी में लगातार बढ़ती दिक्कतों से हिमाचली पर्यटन में और निखार आया है। इस साल पर्यटन आमद का आंकड़ा दो करोड़ पार करने को है। वीकेंड पर वैसे भी पर्यटकों का काफी रश रहता था, मगर पिछले एक महीने से इसने और ज्यादा रफ्तार पकड़ी है। होटल जैम पैक हो चुके हैं। पर्यटक अपने वाहनों में आ रहे हैं, नतीजतन ट्रैफिक जैम की समस्या लगातार बढ़ रही है।  शिमला से धर्मशाला, मकलोडगंज, उधर कुल्लू-मनाली में होटलों में तिल धरने तक की जगह नहीं है। हालांकि हर साल हिमाचल में डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा पर्यटक सैर-सपाटे के लिए पहुंचते हैं, मगर इस बार घाटी के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में दिक्कतों के चलते सैलानी हिमाचल की शांत सैरगाहों को प्राथमिकता देने लगे हैं। इन दिनों हिमाचल की सैरगाहों में होटल जैम पैक हो चुके हैं।

एचपीटीडीसी ने कमाए 3.29 करोड़ रुपए

मौजूदा पर्यटन सीजन में हिमाचल के कारोबारियों ने कितना मुनाफा कमाया, इसकी मिसाल एचपीटीडीसी से ली जा सकती है। निगम की होटल व रेस्तरां इकाइयों ने अप्रैल से जून तक तीन महीनों में 3 करोड़ 29 लाख का मुनाफा अर्जित किया है। निगम अब दिल्ली से लेह तक के लिए पांच डीलक्स बसें चलाने जा रहा है। पांच वोल्वों बसें पहले ही दिल्ली व मनाली से आवाजाही कर रही हैं। निगम के होटलों में इस दौरान 87 फीसदी ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई।  एचआरटीसी को पर्यटन सीजन के दौरान ज्यादा फायदा तो नहीं मिला, मगर अंतरराज्यीय रूटों पर उसकी ऑक्यूपेंसी में 15 से 20 फीसदी बढ़ोतरी होने की सूचना है।

निगम के होटलों में एडवांस बुकिंग

एचपीटीडीसी के डिप्टी जनरल मैनेजर डा. बीआर चौहान का कहना है कि निगम के होटल अग्रिम बुकिंग पर चल रहे हैं। इस बार सैलानियों की आमद बढ़ सकती है।

सैलानियों को रिझाने की हो नई तैयारी

पर्यटन विशेषज्ञों के मुताबिक यदि अविकसित पर्यटन स्थलों को निखारा जाए, शिमला-धर्मशाला के बीच बिलासपुर, हमीरपुर व कई अन्य क्षेत्रों से पर्यटक आकर्षण की नवीन योजनाएं तैयार की जाएं, तो सैलानी हर साल बड़ी संख्या में यहां आने को उत्सुक रहेंगे। वरना अभी तक स्वच्छ पर्यावरण व अच्छी आबोहवा ही पर्यटकों को खींच रही है। पुराने पर्यटन स्थल उबाऊ हो चले, लिहाजा जरूरत होगी नए पर्यटन स्थल विकसित करने की।


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