मछली के लिए पानी कम

बिलासपुर —  प्रदेश में नीलीक्रांति के विकास की योजना को इस बार गोबिंदसागर में झटका लग सकता है। गोबिंदसागर में जलस्तर कम होने के चलते फिश प्रोडक्शन के मत्स्य विभाग के लक्ष्य के भी डगमगाने के आसार दिख रहे हैं। पहली अगस्त से झील में मत्स्य आखेट आरंभ हो जाएगा। इसके लिए तेरह दिन ही शेष बचे हैं। पानी का स्तर काफी नीचे है लिहाजा यदि आगे भी जलस्तर यथावत रहता है तो विभाग को इस बार लैंडिंग सेंटर झील में कहीं नीचे बनाने पड़ेंगे। जानकारी के मुताबिक मत्स्य विभाग ने इस साल प्रदेश में 13,200 मीट्रिक टन प्रोडक्शन का लक्ष्य तय किया है। जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 12,500 मीट्रिक टन था। विभाग ने उम्मीद लगा रखी है कि लक्ष्य को भी पार कर जाएंगे। लेकिन गोबिंदसागर में फिश प्रोडक्शन बढ़ोतरी की उम्मीदों को झटका लग सकता है क्योंकि पानी का स्तर काफी नीचे है जिस कारण मछली प्रजनन पर गहरा असर पड़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। यहां बता दें कि पहली जून से लेकर 31 जुलाई तक जलाशयों में मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध लगाया हुआ है और अभी महज तेरह दिन ही शेष बचे हैं। पहली अगस्त से जलाशयों में मत्स्य आखेट शुरू हो जाएगा। मगर गोबिंदसागर झील के जलस्तर में कमी को देखते हुए विभाग भी प्रोडक्शन को लेकर चिंतित है। गोबिंदसागर में नौ लैंडिंग सेंटर बनाए गए हैं जिनमें बिलासपुर, दाड़ी, जडडू, नकराणा, जकातखाना, भाखड़ा, मांदली, लठियाणी और द्रोबड़ इत्यादि शुमार हैं। यदि जलस्तर नहीं बढ़ता है तो विभाग को इस बार पानी के नजदीक ही लैंडिंग सेंटर बनाने होंगे। बताते चलें कि कोलडैम में भी इस बार मछली बीज डाला गया है। जिससे अब प्रदेश में पांच जलाशयों में मत्स्य उत्पादन हुआ करेगा। कोलडैम नया जलाशय विकसित हो गया है जिसमें 1302 हैक्टेयर एरिया में मत्स्य उत्पादन किया गया है। इसी प्रकार गोबिंदसागर में मछली उत्पादन के लिए 16000 हैक्टेयर, पौंगडैम में 24483 हैक्टेयर एरिया, चमेरा में 1500 हैक्टेयर और रणजीत सागर डैम में 500 हैक्टेयर एरिया निर्धारित किया गया है। दूसरी ओर, नीली क्रांति के विकास को लेकर अब भारत सरकार भी गंभीरता दिखा रही है। इसके मद्देनजर कोल्ड वाटर फिशरीज को लेकर पॉलिसी तैयार की जा रही है। बिलासपुर में तीन जुलाई को राष्ट्रीय स्तर की तीसरी और अंतिम मीटिंग में देश के विभिन्न राज्यों के फिशरीज एक्सपर्ट्स कोल्ड वाटर फिशरीज पर स्टेट होल्डर कंसलटेशन फॉर फॉर्मुलेशन ऑफ नेशनल इनलैंड फिशरीज एंड अक्वाकल्चर पॉलिसी के लिए अहम सुझाव दिए हैं जिन्हें पॉलिसी में शामिल किया जाएगा। ऐसे में विभाग हरसंभव प्रयास कर रहा है कि जलाशयों में मत्स्य उत्पादन में वृद्धि हो लेकिन पानी के स्तर में कमी के चलते मत्स्य उत्पादन में वृद्धि की संभावनाएं कम ही नजर आ रही हैं।

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