मैदान-पहाड़ जमकर भीगे…घरों में मटमैला पानी

सरकाघाट में सबसे ज्यादा बारिश, 16 तक तेवर तीखे

शिमला  – प्रदेश में मानसून ने रफ्तार पकड़ ली है। रविवार रात व  सोमवार को राज्य के मैदानी व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में कई जगह झमाझम बारिश हुई, जिससे अधिकतम तापमान में फिर गिरावट आई है। मौसम विभाग की मानें तो प्रदेश के मैदानी व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में मंगलवार व बुधवार को भी मौसम कड़े तेवर दिखाएगा। विभाग ने मैदानी व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में दो दिन के दौरान भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जबकि समूचे राज्य में 16 जुलाई तक मौसम खराब बना रहेगा। सुंदरनगर में सबसे अधिक 124 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई। इसके अलावा सरकाघाट में 106, धर्मशाला में 89, भोरंज में 80, गग्गल में 79, मंडी में 71, देहरा गोपीपुर में 69, बैजनाथ में 60, गुलेर में 55, पंडोह में 42, गोहर में 40, भराड़ी-जोगिंद्रनगर में 37, हमीरपुर में 31, पालमपुर में 29, नगरोटा सूरियां सुन्नी में 26, कसौली में 23, सुजानपुर टिहरा, अर्की में 14 और मशोबरा में 17 मिलीमीटर बारिश हुई। सोमवार को भी प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में मौसम खराब बना रहा। इस दौरान कुछ जगह बारिश की भी सूचना है। बारिश से अधिकतम तापमान में पहले के मुकाबले हल्की गिरावट आई है। अधिकतम तापमान में एक से दो डिग्री तक की गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग ने शिमला, कांगड़ा, मंडी, सिरमौर, सोलन और बिलासपुर में आगामी दो दिन भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।

फिल्टर से नहीं जुड़ीं आईपीएच की पेयजल योजनाएं, लोग परेशान

शिमला – बरसात के दिनों में लोगों के घरों में मटमैला पानी पहुंच रहा है। आईपीएच की पेयजल योजनाएं पूरी तरह फिल्टर से नहीं जुड़ पाई हैं, जिस कारण लोगों को मटमैला पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश जगह ऐसे गंदे पानी की सप्लाई हो रही है, जो कि पूरी तरह मिट्टी से भरा है। जहां-जहां भी बारिश होती है, वहां अगले दिन ऐसा मटमैला पानी पहुंच रहा है, क्योंकि यह पानी फिल्टर नहीं किया जा रहा। इस कारण प्रदेश के लोग गंदे पानी से होने वाली बीमारियों की जद्द में आने से भयभीत हैं। हर साल बरसात में गंदे पानी की वजह से बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ते हैं। लोगों को स्वच्छ पानी देने के चाहे जितने भी दावे आईपीएच विभाग करता है, लेकिन सच्चाई यह है कि 200 से ज्यादा योजनाएं अभी भी फिल्टर्ड नहीं हैं। इनकी संख्या 500 से ज्यादा थी, जिसमें छोटी-बड़ी सभी तरह की योजनाएं शामिल थीं। काफी संख्या में ऐसी योजनाओं में फिल्टर तो लगा दिए गए हैं, लेकिन अभी भी ऐसी योजनाएं बची हैं। इस संबंध में विशेष तौर पर सरकार द्वारा विभाग को निर्देश दिए जा चुके हैं, लेकिन काम बड़ी धीमी गति से हो रहा है। यहां शिमला जिला की बात करें तो शिमला ग्रामीण, जो कि खुद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का विधानसभा क्षेत्र है, में भी लोग मटमैला पानी पीने को मजबूर हैं। यहां भी कई योजनाओं में फिल्टर नहीं हैं, जबकि कइयों के फिल्टर नहीं चल रहे। विधानसभा में भी बिना फिल्टर की स्कीमों को लेकर कई दफा बखेड़ा खड़ा हो चुका है। बारिश का दौर अभी शुरू हुआ है तो इन पेयजल योजनाओं की बुरी हालत है, आने वाले दिनों में बरसात पूरे यौवन पर होगा, तब क्या हाल होगा, यह सोचा जा सकता है। इस मामले में विभाग की कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है।

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