लैंडिंग से पहले ‘धंसी’ कंडाघाट एयरपोर्ट की जमीन

By: Jul 12th, 2017 12:15 am

आखिरी दौर पर आकर खटाई में पड़ी बीशा-बाशा में हवाई अड्डा बनाने की योजना

news सोलन —  कंडाघाट के समीप बीशा-बाशा में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की योजना फाइलों में ही दफन हो गई है। शिमला व सोलन के बीच बनने वाला यह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा प्रदेश की तरक्की को चार चांद लगा सकता था, लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति न होने की वजह से यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। जानकारी के अनुसार कुछ वर्ष पहले कंडाघाट के पास बीशा-बाशा में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाए जाने के लिए करीब 400 बीघा जमीन का चयन किया गया था। राजस्व विभाग द्वारा अधिकतर औपरिकताएं भी पूरी कर दी गई थीं। कई बार एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने भी मौके का निरीक्षण किया। इसके बाद अचानक से बात सामने आई कि इस स्थान पर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाए जाने की लागत कई गुना अधिक आएगी। इसके बाद चयनित स्थल को ही रद्द कर दिया गया। हालांकि इसके बाद कई बार अन्य जगह जमीन तलाशने का प्रयास किया गया, लेकिन यह योजना सिरे ही नहीं चढ़ पाई। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा हिमाचल की तरक्की के लिए बेहद जरूरी है। इस हवाई अड्डे का सबसे अधिक फायदा प्रदेश के पर्यटन को होगा। न केवल देश के विभिन्न राज्यों से बल्कि विदेशों से भी पर्यटक हिमाचल घूमने के लिए आएंगे। कंडाघाट के समीप अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने का सबसे अधिक फायदा सोलन, सिरमौर और शिमला के लोगों को होगा। हजारों स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिलेंगे। हवाई अड्डा बनने के बाद होटल व्यवसाय सबसे अधिक बढ़ेगा। देश और विदेशों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा, जिसकी वजह से टैक्सी व रेस्तरां आदि के व्यवसाय में कई गुना की बढ़ोतरी होगी। शिमला और सोलन ऐसे जिला हैं, जहां पुष्प व सेब उत्पादन सबसे अधिक होता है। किसानों के पुष्प व सेब को अंतरराष्ट्रीय मार्केट मिलने के द्वार भी हवाई अड्डा बनने के बाद खुलेंगे। हिमाचली उत्पादों को हवाई सेवा के माध्यम से विदेशों में भेजना बेहद आसान हो जाएगा।

एयरपोर्ट के लिए मापदंड

अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाए जाने के लिए पांच किलोमीटर लंबी पट्टी का होना जरूरी है। यह पट्टी बिलकुल सीधी होनी चाहिए, ताकि बड़े व छोटे विमानों की लैंडिंग आसानी से हो सके। करीब 400 बीघा जमीन पर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा स्थापित किया जा सकता है।

कहीं के लिए सौगात, कहीं विस्थापन

* अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाए जाने के लिए बीशा व बाशा पंचायतों की जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा था, एक दर्जन गांव के लोग हवाई अड्डे की वजह से विस्थापित हो रहे थे

* हवाई अड्डा बनने के बाद सबसे अधिक फायदा सोलन, शिमला और सिरमौर के लोगों को होगा। पर्यटन, बागबानी और पुष्प उत्पादन को भी इस हवाई अड्डे के बनने का फायदा होगा

* बीशा-बाशा पंचायतों में केवल 150 बीघा जमीन सरकारी है, जबकि 250 बीघा निजी जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा था

* हवाई अड्डे की पांच किलोमीटर लंबी पट्टी बीशा से बाशा तक थी

* सुरक्षा की दृष्टि से भी भी यह बेहद जरूरी है। कंडाघाट से जम्मू-कश्मीर के साथ लगती भारत-पाक सीमा भी अधिक दूर नहीं है। आपात स्थिति में यहां से आसानी से उड़ानें भरी जा सकती हैं

सरकार जमीन दे तो केंद्र से मांगेंगे बजट

एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया के हिमाचल क्षेत्र के अध्यक्ष वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि यदि प्रदेश सरकार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए जमीन मुहैया करवाती है, तो वह केंद्र सरकार से बजट का प्रावधान करवाएंगे। प्रदेश सरकार को इस बारे में एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर केंद्र को भेजनी चाहिए, ताकि उसके अनुसार बजट का प्रावधान किया

जा सके।

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