हणोगी में…बस मां ही बचा गई

हणोगी —  यह भी देवी शक्ति की कृपा है कि हणोगी माता मंदिर पर तीन भारी भरकम चट्टानें गिरने के बाद भी जानमाल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन हर बार ऐसा हो, यह भी जरूरी नहीं है। दुर्घटनाओं की दृष्टि से सबसे अधिक संवेदनशील स्पाट होने के बाद आज तक प्रशासन ने इसे लेकर कोई एहतियातन कदम नहीं उठाए हैं, जबकि एनएच-21 पर ब्यास किनारे व पहाडि़यों के बीच स्थापित शक्तिपीठ हणोगी माता मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं व पर्यटकों का तांता लगा रहता है। मंडी से कुल्लू जाने और आने वाला हर वाहन कुछ देर के लिए हणोगी माता मंदिर के पास रुकता है और लोग माथा टेकते हैं। यहां पर अकसर पर्यटक फोटोग्राफी भी करते हैं। रविवार को हुए हादसे में यह गनीमत रही कि उस समय मौके पर कोई पर्यटक मंदिर में माथा नहीं टेक रहा था। अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था। यही नहीं इस हादसे से ठीक तीन मिनट पहले पर्यटकों के तीन वाहन कुल्लू की तरफ निकले थे। हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के इन वाहनों में मनाली घूमने जा रहे पर्यटकों ने मंदिर में माथा टेका था और उसके बाद ये लोग मंदिर से निकल गए। इन पर्यटकों के वाहन अभी मंदिर से 100 मीटर दूर भी नहीं पहुंचे होंगे कि मंदिर पर तीन बड़ी चट्टानें आ गिरीं। कई सौ टन की भारी भरकम ये चट्टानें अगर कुछ मिनट पहले गिरतीं तो न जाने कितने लोगों की जान चली जाती, लेकिन हणोगी माता की कृपा से ऐसा नहीं हुआ, जबकि आज तक प्रशासन ने इस जगह पर सुरक्षा की दृष्टि से कोई बडे़ उपाय नहीं किए हैं। यही नहीं बांधी पंचायत में आने वाले इस पहाड़ का कभी सर्वे भी नहीं किया गया है, जिससे पत्थरों की स्थिति को लेकर पता चल सके, जबकि कई बार लोग इसकी मांग कर चुके हैं। लोगों की मांग है कि पहाड़ों पर ऐसे पत्थरों को चिन्हित कर समय रहते उनसे बचने को लेकर कदम उठाए जाने चाहिएं।

वहीं खड़े रह जाते तो गंवा देते जान

इस हादसे में आंशिक रूप से घायल लोग भी माथा टेकने के बाद अगर माता की मूर्ति के सामने ही खडे़ रहते तो शायद दोनों जिंदा नहीं बचते। ये दोनों लोग भी माथा टेक कर अपने वाहन के पास  आ गए थे और चट्टानें इनके आगे जा गिरीं।

पहाड़ी से खिसक सकती हैं और चट्टानें

हणोगी माता मंदिर पर जिस पहाड़ से पत्थर गिरे हैं, उसी पहाड़ से कई और बड़ी चट्टानें गिरने की तैयारी में हैं। बांधी पंचायत के लोगों का कहना है बरसात के कारण कई और चट्टानें खिसक सकती हैं।

ऊपर पहाडी़, निचली तरफ ब्यास

बरसात के समय पंडोह बाजार से गुजरने के बाद रैस नाला और दवाडा तक पहाड़ी से पत्थर गिरने का खतरा हर समय बना रहता है। पिछले एक दशक में एक दर्जन से अधिक लोगों की जान इस रास्ते पर पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण गई है। एक तरफ पहाड़ से पत्थर गिरने का खतरा तो दूसरी तरफ उफनती ब्यास का खतरा बना रहता है। हालांकि इसके बाद भी कोई बडे़ एहतियातन कदम प्रशासन द्वारा नहीं उठाए गए हैं। यही वजह है कि यहां हादसा कभी भी हो जाता है।

यहां सलामती को सिर्फ नोटिस बोर्ड

माता मंदिर के आसपास भी अकसर कई बार छोटे तो कई बार बडे़ पत्थर गिरते रहते हैं। वहीं इतनी बड़ी संख्या में लोगों के मंदिर में रुकने के बाद भी प्रशासन ने आज तक इस दृष्टि से कोई कदम नहीं उठाए हैं।  यहां पर पहाड़ के नीचे सड़क किनारे ही वाहन पार्क किए जाते हैं। वहीं आपदा प्रबंधन के नाम पर हणोगी माता मंदिर के आसपास सिर्फ पत्थर गिरने के नोटिस बोर्ड ही प्रशासन ने लगाए हैं। एसडीओ कांशी राम गुलेरिया ने बताया कि पहाड़ को लेकर ऐसा कोई सर्वे तो नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पहाड़ पर से पत्थर काफी दूर से आते हैं।

तीन साल पहले जीप पर गिरी थी चट्टान

हणोगी माता मंदिर में तीन साल पहले इसी जगह पर एक जीप पर भी चट्टान गिरी थी, जिसमें जीप पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में किसी की जान नहीं गई थी।

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