किन्नौर में पशुपालन पर खर्चे सवा पांच करोड़

रिकांगपिओ— जिला किन्नौर पशुपालन में अग्रणी बनने के लिए अग्रसर है तथा जिला में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए किन्नौर जिला में पिछले साढ़े चार वर्षों में पशुपालन विभाग ने  521.30 लाख रुपए विभिन्न कार्यों में खर्च किए। जिला लोक संपर्क विभाग ने कहा कि पिछले साढ़े चार साल में जिला किन्नौर में पशु धन पर 21 पशु चिकित्सालय, 38 पशु औषधालय, मुख्यमंत्री अरोग्य पशुधन योजना के तहत आठ औषधालय, एक केंद्रीय पशु औषधालय, दो कुकुट प्रसारण केंद्र, एक भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र तथा एक भेड़ एवं ऊन प्रसारण केंद्र कार्यरत किए गए। जिला में कार्यरत पशु चिकित्सालय एवं औषधालयों में 58 पशु चिकित्सा संस्थानों में गो पशु नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध है, ताकि यहां के कम दूध देने वाली गो, पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान के माघ्यम से नस्ल सुधार कर दुग्ध उत्पादन को बढ़ाया जा सके। जिला में पशुपालन को सुदृढ़ करने के लिए पशु औषधालय कल्पा को स्तरोन्नत कर पशु चिकित्सालय बनाया गया, जिसके खुलने से बहुत लंबे समय से पशुपालकों की पशु  चिकित्सा संबंधि समस्याओं का निवारण व कल्पा तथा उसके आसपास की पांच पंचायतों के कई ग्रामों को उच्च स्तरीय पशु चिकित्सा सुविधा प्राप्त हुई। प्रदेश सरकार के प्रयासों से वांगतू नामक स्थान में लगभग 28 लाख रुपए की लागत से एक आयातित भेड स्नान यंत्र स्थापित किया गया है । जिला में बढ़ते आवारा पशुओं की संख्या पर नियंत्रण हेतु जिला किन्नौर में प्रथम चरण में दस लाख रुपए खर्च कर माइक्रो चिप एवं रीडर क्रय किया गया । श्री नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से जिला  के विभिन्न स्थानों में कार्य कर रहे पशु चिकित्सालयों, औषधालयों एवं कुकुट प्रसारण केंद्रों के माघ्यम से साढ़े चार वर्षों में 02,56,086 पशुओं को चिकित्सा प्रदान कि गई है । किन्नौर जिला में भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र कड़छम (काक्स्थल) एवं प्रदेश वूल फेडरेशन शिमला के माघ्यम से जिला के भेड़पालकों को समय-समय पर आवश्यक जानकारी प्रदान की जा रही हैं।

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