खुद फसलें बेचेंगी महिला किसान

अब मंडियों में मिलेंगी विशेष दुकानें, पालिसी बनाने की तैयारी में सरकार

शिमला— खेतों में पूरा दिन काम करके गुजर बसर कर रहीं महिलाओं को अब उनकी फसल बेचने का हक मिलेगा। अपनी फसल को ये महिला किसान खुद बेचेंगी और मंडियों में उनको विशेष रूप से दुकानें दी जाएंगी। अभी तक इस तरह का कोई प्रावधान विशेष रूप से नहीं रखा गया है, लेकिन पहली दफा प्रदेश सरकार महिलाओं को उनके हक देने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार मंडी समितियों के माध्यम से प्रदेश की सभी मंडियों में महिलाओं को विशेष रूप से दो या तीन दुकानें दी जाएंगी। ये दुकानें उन महिलाओं को दी जाएंगी, जो सबसे पहले इनके लिए आवेदन करेंगी। इसके लिए मापदंड तय किए जाएंगे, जिस पर अधिकारी चर्चा करेंगे। महिला किसान बड़ी संख्या में प्रदेश में मौजूद हैं। कई मामलों में कर्मचारी वर्ग की महिलाएं घरों में खेती-बाड़ी का काम कर रही हैं, तो कई पति का हाथ बंटाती हैं। ऐसा भी देखने में आया है कि पुरुष अपनी मनमर्जी से फसल बेचते हैं, जबकि मेहनत औरत की भी बराबर रहती है, फिर औरत को उसको बराबरी का हक नहीं मिल पाता। महिलाओं को उनके हक दिलाने को लेकर एक कार्यशाला हाल ही में उत्तराखंड में आयोजित हुई है, जिसमें पहाड़ी राज्यों के अधिकारियों को बुलाया गया। यहां केंद्र सरकार की ओर से भी प्रतिनिधि थे, जिसमें ये तय किया गया है कि महिलाओं को उनके ऐसे हक, जो कि नहीं मिल पाए हैं, उनको दिलाने के लिए प्रयास होंगे। इस पर राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया जाएगा और नए नियमों की रूपरेखा बनेगी। इसमें महिलाओं को जमीनी हक को लेकर भी कुछ मुद्दे उठे हैं, जिनके नाम पर जमीन नहीं हो पाती है। पति के बाद रह रही अकेली महिला को भी इसका हक नहीं मिल पाता, जबकि वे जमीन का काम कर रही हैं। इस पर राजस्व विभाग से बातचीत की जाएगी, ताकि यहां पालिसी में संशोधन किया जा सके। वैसे महिला हित में कृषि उपज एवं वितरण की नियमावली में संशोधन हो सकते हैं।

कुछ अहम फैसले लेंगे

प्रदेश में इस पर काम शुरू कर दिया गया है। जल्दी ही इसकी प्रस्तावना राज्य सरकार को जाएगी, जिसमें मंडियों में विशेष दुकानें महिलाओं को देने के साथ कुछ और महत्त्वपूर्ण फैसले भी लिए जाएंगे।

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