प्रदेश में हर साल करोड़ों की संपत्ति तबाह

By: Aug 14th, 2017 12:15 am

newsnewsशिमला — हिमाचल में बारिश तांडव मचा रही है। राज्य में बारिश से सड़कें, पेयजल परियोजनाओं, बिजली, कृषि बागबानी सहित विभिन्न क्षेत्रों को हर साल करोड़ों का नुकसान हो रहा है। गत पांच सालों में बारिश से करीब 3700 करोड़ रुपए का नुकसान राज्य में हो चुका है। यही नहीं, बारिश हर साल 30 से 40 लोगों की जान ले रही है और भारी संख्या में पशुधन भी इस आपदा का शिकार हो रहा है। राज्य में हर साल करोड़ों इस आपदा की भेंट चढ़ रहे हैं। जानकारी के अनुसार 2013 से 2015 तक राज्य में भारी बारिश से 2400 करोड़ से अधिक की संपत्ति तबाह हुई। वहीं साल 2016 में राज्य में 864 करोड़ और साल 2017 में अब तक 500 करोड़ से अधिक का नुकसान आंका गया है। राज्य में बारिश से सड़कें ढह रही हैं और पुल क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, वहीं पेयजल परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हो रही हैं। प्रदेश में बिजली की लाइनों और खंभों को भी क्षति पहुंच रही है। इनमें सबसे ज्यादा 373 करोड़ का नुकसान सड़कों को हुआ है। राज्य में पेयजल योजनाओं को भी क्षति हुई हैं और कई परियोजनाएं बारिश से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। अब तक आईपीएच विभाग को करीब 124 करोड़, बिजली बोर्ड को भी करीब 2.78 करोड़, बागबानी को 2.33 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है। बारिश से इस बार 34 लोगों की अकाल मौत होने की सूचना है। वहीं करीब 155 पशु भी इस बारिश में अब तक मारे जा चुके हैं। इस साल अब तक करीब 525 कच्चे व पक्के मकान बारिश से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। गत साल 2016 में भी राज्य में करीब 864 करोड़ की संपत्ति इस बारिश की भेंट चढ़ गई थी। इसमे सबसे ज्यादा 595.02 करोड़ रुपए का नुकसान पीडब्ल्यूडी को हुआ था, जबकि आईपीएच को 151.24 करोड़, बिजली विभाग को 69.66 करोड़, मत्स्य पालन को एक करोड़, कृषि व बागबानी को 26 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। गत साल बरसात में 40 लोगों की जान गई थी। बारी बारिश से जहां ग्रामीण इलाकों में सड़कें बुरी तरह से तबाह हो गई हैं, वहीं गांवों से शहरों तक पानी की समस्या पैदा हो गई है।

केंद्र से नहीं मिलती पूरी मदद

बरसात के दौरान जहां हिमाचल में भारी नुकसान हो जाता है। वहीं इसके बदले केंद्र से पर्याप्त मदद नहीं मिलती। बात किसी एक पार्टी की सरकार की नहीं, बल्कि केंद्र में तकरीबन सभी सरकारें आपदा के बदले राज्य को पर्याप्त राशि नहीं देती। ऐसे में राज्य सरकारों को अपने दम पर इस आपदा से निपटना पड़ता है। वहीं केंद्रीय आपदा दल हिमाचल का दौरा तो करते हैं, लेकिन यह दौरान टूअर बनकर रह जाता है।

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