बिन बारिश ही दरक गया पहाड़

फिर खुली आपदा प्रबंधों की पोल, हाथ से मलबा हटाते रहे लोग

मंडी— मंडी पठानकोट एनएच कोटरूपी के पास दरके पहाड़ को अब तक प्रदेश में सबसे बड़ा लैंड स्लाइड माना जा रहा है। इस हादसे में सड़क से लगभग 200 मीटर से भी ज्यादा ऊंचा पहाड़ बिना किसी बारिश और बादल फटने के दरक गया और इतना मलबा आ गिरा कि जिसकी कल्पना करना भी नाममुकिन है। इस हादसे की भयानकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि एनएच से डेढ़ किलोेमीटर दूर मलबे में जा दबी चंबा-मनाली बस 16 घंटे बाद मलबे के अंदर दिखी। बस का पीछे का हिस्सा सुबह दस बजे के लगभग नजर आया गया था, लेकिन पूरी बस चार बजे के लगभग जाकर नजर आई। सेना, एनडीआरएफ और पुलिस प्रशासन के सैकड़ों जवान मलबा हटाने में लगे रहे। गनीमत तो यह रही कि पोकलेन मशीन के गवा नाले में पहुंचने के बाद जब बडे़ स्तर पर मलबा हटाया गया तो बस टूट-फूट चुकी थ्ी और उसमें कटी-फटी लाशें तब जाकर नजर आईं। बेशक इस हादसे में इनसानी व प्रशासन की लापरवाही नहीं रही हो, लेकिन हादसे ने एक बार फिर से प्रदेश के आपदा प्रबंधन की पोल खोल कर रख दी है। ऐसे दर्दनाक हादसों से निपटने के लिए अभी प्रशासन के पास न तो आधुनिक उपकरण है और न ही अन्य साजोसामान पर्याप्त मात्रा में है। गवा नाले में मलबा हटाने के कार्य के दौरान शुरुआत में काफी देर तक तो लोग हाथों से ही मलबा हटाते रहे। काफी देर बाद मौके पर पर्याप्त मात्रा में मलबा हटाने का साजोसामान पहुंचा। ऐसे हादसों से निपटने के लिए प्रदेश में तैयारी होना जरूरी है। ऐसे हादसों के बाद भी अगर प्रदेश सरकारों ने सबक नहीं लिया तो भविष्य में भी ऐसे हादसे कइयों की जान लेंगे।

घायलों की हालत स्थिर

शिमला — मंडी हादसे में दो गंभीर घायलों को आईजीएमसी में दाखिल किया गया। आईजीएमसी में उपचाराधीन मंजू और ब्यूटी शर्मा की हालत चिकित्सकों के मुताबिक स्थिर हैं। दोनों घायलों के पैर और बाजू में फ्रेक्चर है । इसके सांथ ही शरीर के अन्य हिस्सों में भी गहरी चोटें आई हैं।

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