पक्ष-विपक्ष ने पास किया बिल, निजी कालेज भी आएंगे दायरे में
नेता प्रतिपक्ष धूमल बोले, विधेयक ऐतिहासिक
बिल पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष प्रो. धूमल ने कहा कि प्रदेश में आयुर्विज्ञान शिक्षा का विस्तार तेजी के साथ हो रहा है, जिसमें यहां दो मेडिकल कालेज पहले से थे और सरकारी क्षेत्र में ही तीन मेडिकल कालेज और खुल गए हैं। हमीरपुर और चंबा में भी दो अन्य मेडिकल कालेज खोले जा रहे हैं। यही कारण है कि विपक्ष ने इसका समर्थन किया है, क्योंकि ये प्रदेश के लिए ऐतिहासिक विधेयक होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ईएसआई मेडिकल कालेज में एनआरआई की सीटें जब पूरी तरह से नहीं भरी जा रही हैं तो उसमें हिमाचल के बच्चों को प्रवेश दिया जाना चाहिए।
जयराम ठाकुर-सुरेश भारद्वाज का भी समर्थन
सदन में विपक्ष की ओर से विधायक सुरेश भारद्वाज व जयराम ठाकुर ने भी विधेयक का समर्थन किया। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि आईजीएमसी शिमला को रिसर्च सेंटर के रूप में विकसित किया जाना चाहिए और यह विश्वविद्यालय यदि शिमला में ही बनता तो और बेहतर होता, क्योंकि इससे आईजीएमसी में और अधिक सुविधाएं मिल पातीं। जयराम ठाकुर ने कहा कि ईएसआई मेडिकल कालेज में सीटों का जो आबंटन किया गया है, उसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
हिमाचलियों के लिए साढ़े पांच लाख में मिलेगी सीट
विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ने सभी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि सरकारी हो या निजी सभी मेडिकल कालेज इस विश्वविद्यालय के दायरे में आएंगे। उन्होंने कहा कि शिमला में जगह कम होने के कारण नेरचौक में यह यूनिवर्सिटी चलाई जाएगी। साथ मंडी प्रदेश का केंद्र बिंदु है और साथ ही बिलासपुर में एम्स भी बनेगा। उन्होंने बताया कि हिमाचल के युवा यदि खाली पड़ी एनआरआई सीट लेना चाहते हैं तो उनको साढ़े पांच लाख फीस लगेगी, जबकि बाहर वालों को नौ लाख रुपए फीस देनी होगी।
तिब्बतियों को सात सीटें
ईएसआई मेडिकल कालेज में हिमाचल कोटे के साथ तिब्बतियों के लिए भी सात सीटों का कोटा रखा गया है, जो कि उन सीटों पर प्रवेश ले सकते हैं।
650 डाक्टरों की कमी
राज्य में इस समय 650 डाक्टरों की कमी है। हर मंगलवार को यहां डाक्टरों का साक्षात्कार लिया जाता है और लगातार सरकार इनकी भर्ती कर रही है। कौल सिंह ने कहा कि जिस तरह से यहां पर संस्थान बढ़े हैं और अपग्रेड किए गए हैं, उस गति से डाक्टर नहीं मिल पाए, लिहाजा यहां डाक्टरों की कमी है।
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