सुबह होते डूबी उम्मीद की किरण

उरला (मंडी)— रात को उजाले में जहां पहाड़ गिरने का अंदाजा लगया जा रहा था, लेकिन जब सुबह हुई तो सारा मंजर भयानक था, जिसे देखकर हर किसी की रूह कांप गई। एनएच मंडी-पठानकोट पर कोटरूपी के पास करीब 200 मीटर एनएच पर मलबा ही मलबा था। एनएच से नीचे नाले की तरफ डेढ़ किलोमीटर नीचे तक नाला किसी उबड़-खाबड़ मैदान की तरह लग रहा था, जिसे में दर्जनों फुट ऊंचा और लाखों टन मलबा ही मलबा दिखाई दे रहा था। यही नहीं, छोटे से नाले ने इस पहाड़ के गिरने के बाद दो सौ मीटर से अधिक की तो चौड़ाई ही बना ली थी। मलबे के नीचे एक जगह पर कार दबी हुई थी, जबकि बस समेत अन्य वाहनों का कुछ अता पता नहीं था। एनएच से लेकर डेढ़ किलोमीटर नीचे तक मलबे के ऊपर सैकड़ों पेड़ और बड़ी-बड़ी चट्टानें गिरी हुई थी, जो बता रहीं थी कि कैसी भयंकर आपदा रात को हुई है। इस जगह से नीचे की तरफ जिसे नाला और खाई कहा जाता था, तो वह अब मलबे से भरकर मैदान की तरह लग रहा था। इस मंजर को देखते ही सुबह इस बात का अंदाजा हो गया था कि इस हादसे में नीचे दबे लोगों के बचने की अब कोई उम्मीद नहीं है। कोटरूपी में शनिवार देर रात हुए भू-स्खलन की खबर आसपास के गांवों में आग की तरह फैली। पास के क्षेत्रों में जिसे भी खबर लगी, सभी टॉर्च और मशालें लेकर घटनास्थल की ओर रवाना होने लगे। रात करीब दो बजे तक कोटरूपी के आसपास लोगों का जमावड़ा लग गया। रात के अंधेरे के कारण भू-स्खलन का सही अनुमान नहीं हो पा रहा था, लेकिन लोगों की चीखों पुकार से सभी जान चुके थे कि त्रासदी बड़ी है। हालांकि समय गुजरने के साथ ही ये आवाजें हमेशा के लिए खामोश हो गईं। मौके पर कुछ लोग एनएच पर दबी एचआरटीसी की बस से लोगों को निकालने लगे। इसके बाद जैसे ही लोगों को पता चला कि एक बस मलबे के साथ एनएच से डेढ़ किलोमीटर नीचे रवा नाले में पहुंच गई तो लोग तुंरत रवा नाले पहुंचे, लेकिन नीचे पहुंचते ही उनके होश फाख्ता हो गए। बस पूरी तरह से मिट्टी में दब चुकी थी और बस की सिर्फ एक छोटी सी खिड़की ही दिखाई दे रही थी। ऐसे में लोग चाहकर भी कुछ न कर पाए। अल सवेरे जब थोड़ी रोशनी हुई तो मौके पर मौजूद लोगों के होश उड़ गए। तबाही का मंजर देख हर कोई स्तब्ध था। जहां तक नजर जा रही थी हर और मलबा ही दिखाई दे रहा था।

एसडीएम दीप्ति डटी रहीं रात भर

हाल में ही जोगिंद्रनगर में एसडीएम कार्यभार संभालने वाली दीप्ति मंढोत्रा रात को ही घटनास्थल पर पहुंच गई थीं। उन्होंने मलबे में पूरी तरह दब चुकी बस की जगह डेरा जमाए रखा और दिन भर मौके पर प्यासी डटी रहीं। अधिकारी के इस जज्बे की मौके पर पहुंच सभी लोग जमकर तारीफ की।

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