हर साल 70 करोड़ मेडिकल अलाउंस

अफसरों-कर्मचारियों सहित परिजनों को सरकार दे रही दो तरह की सुविधा

शिमला— प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों पर सरकार हर साल करोड़ों रुपए का खर्चा करती है। इनको हर तरह की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, जिन पर सालाना करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। महंगाई भत्ता, अंतरिम राहत के साथ इस वर्ग को कई दूसरी सुविधाएं भी दी जाती हैं, जिनमें से एक उनकी चिकित्सा प्रतिपूर्ति भी है। चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए सरकार हर साल लगभग 70 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्चा करती है, जिसमें अधिकारियों व कर्मचारियों को ही नहीं, बल्कि उनके परिवार के कुछ सदस्यों की बीमारी पर भी खर्च सरकार का होता है। विधानसभा सदन में प्रश्नकाल तीसरे दिन भी नहीं हो सका, लेकिन यहां विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों के लिखित में जवाब जरूर आए। इनमें एक सवाल पर सामने आया कि चिकित्सा प्रतिपूर्ति के रूप में पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार  ने लगभग 70 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का क्लेम दिया है। प्रदेश के सरकारी महकमों मे 51,667 अधिकारी व कर्मचारी ऐसे हैं, जो कि फिक्स मेडिकल अलाउंस लेते हैं। इनके अलावा एक लाख 18 हजार 204 ऐसे अफसर व कर्मी हैं, जो कि ओपन मेडिकल रिइंबर्समेंट लेते हैं। इसमें अभी कुछ विभागों की सूचना शामिल नहीं है, यानी इनकी संख्या और भी ज्यादा है और देय राशि भी अधिक है। वित्त वर्ष 2016-17 में 15 फरवरी, 2017 तक फिक्स मेडिकल अलाउंस लेने वाले लोगों को सरकार ने 19 करोड़, 16 लाख, 25 हजार, 493 दिए, जबकि ओपन मेडिकल रिइंबर्समेंट लेने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को 50 करोड़ 90 लाख पांच हजार 693 रुपए की प्रतिपूर्ति राशि दी गई है।

राज्य में 103 तहसीलें-58 उपतहसीलें

प्रदेश में सरकार ने दिल खोलकर तहसीलें व उपतहसीलें दी हैं। राज्य में मौजूदा समय में 103 तहसीलें हो चुकी हैं और 58 उपतहसीले। सभी तहसीलों को ए, बी व सी तथा उपतहसीलों को ए व बी श्रेणी में बांटा गया है। तहसीलों व उपतहसीलों में पदों का सृजन निर्धारित मानकों के अनुसार किया गया है। इसके लिए सरकार ने नियम बनाए हैं और एक अनुपात निर्धारित कर रखा है। जिलों में बड़ी संख्या में तहसीलों व उपतहसीलों में विभिन्न श्रेणियों के पद खाली पड़े हुए हैं।

तीन साल में प्रदेश में खोले गए 94 नए स्वास्थ्य केंद्र

प्रदेश में पिछले तीन साल में 94 नए स्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं। मौजूदा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए न केवल नए संस्थान खोले हैं, बल्कि कई पुराने संस्थानों को अपग्रेड भी किया है। सदन में दी लिखित जानकारी के मुताबिक तीन साल में सरकार ने 29 नए हैल्थ सब-सेंटर खोले हैं, जबकि 65 प्राथमिक चिकित्सा संस्थान खोले गए। इनके अलावा 14 हैल्थ सब-सेंटर व 28 प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों को स्तरोन्नत किया गया है। यही नहीं, 14 सिविल अस्पतालों को भी स्तरोन्नत किया गया।

नाबार्ड के पास हिमाचल के 176 सड़क प्रोजेक्ट लंबित

सरकार ने पिछले दो साल में विभिन्न जिलों में सड़क नेटवर्क को सुदृढ़ करने के लिए नाबार्ड को कुल 285 प्रोजेक्ट भेजे थे, जिनकी लागत 1133.50 करोड़ रूपए की है। इसमें से 176 सड़कें जिनकी लागत 714.07 करोड़ रुपए की है, अभी तक मंजूर नहीं हो पाई हैं। यह जानकारी एक लिखित जवाब में सदन में दी गई।

नेशनल बैंक को भेजी गई योजनाएं

नाबार्ड को प्रदेश सरकार द्वारा जो योजनाएं भेजी गई हैं, उनमें मंडी डिवीजन नंबर एक की छह, डिवीजन दो की पांच, सुंदरनगर डीवीजन की चार, सरकाघाट की दो, करसोग की एक, गोहर की पांच और धर्मपुर की एक योजना है। इसी तरह उदयपुर की नौ, कुल्लू जिला की दस, जोगिंद्रनगर की दो, बैजनाथ की नौ, पालमपुर की 17, जयसिंहपुर की तीन, कांगड़ा की 14, देहरा की 10, टांडा की एक, धर्मशाला की आठ, जवाली की पांच, नूरपुर की आठ और फतेहपुर की तीन योजनाएं शामिल हैं। बिलासुपर की 16, ऊना की 21, हमीरपुर की 18, चंबा की 16, सिरमौर की 17, निरमंड की दो, कड़छम की छह, रामपुर की पांच, कल्पा की तीन, काजा की एक, कुमारसैन की छह, शिमला जिला की 32 व सोलन जिला की 19 योजनाएं शामिल हैं। कुल 285 योजनाएं नाबार्ड को मंजूरी के लिए दो साल से भेजी गई हैं।

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