हां … मैं ब्राह्मण हूं

By: Aug 6th, 2017 12:05 am

देश व प्रदेश में जल-थल व नभ में ब्राह्मणों ने सितारों की तरह अपनी चमक बिखेरी है। शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र होगा, जहां इस वर्ग से बुद्धिजीवी, वैज्ञानिक, डाक्टर, युद्धवीर या फिर अन्य विद्वानों ने अपनी अलग छाप न छोड़ी हो…

हिमाचल के लिए यह गौरव की बात है कि भारतीय सेना में सबसे पहला परमवीर चक्र हासिल करने वालों में भी ब्राह्मण सेनानी मेजर सोमनाथ शर्मा कांगड़ा के डाढ से थे। बाद में उनके भाई जनरल वीएन शर्मा ने भारतीय सेना में चीफ ऑफ दि आर्मी स्टाफ का पदभार संभाला।  यही नहीं, कारगिल युद्ध में सौरभ कालिया के साथ-साथ अमोल कालिया ने जो इतिहास रचा, वह आज भी  हर आदमी की जुबान पर है। इसी वर्ग से सेना में मेजर जनरल के पदों तक कई लोग सुशोभित हुए। इन्हीं में से मेजर जनरल सीएम  शर्मा  हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भी बने। राजनीति में इस वर्ग ने अमिट छाप छोड़ी है। हिमाचल में दो बार शांता कुमार मुख्यमंत्री के पद को सुशोभित कर चुके हैं। प्रजामंडल की शुरुआत इसी वर्ग से हुई थी। पंडित पदमदेव हिमालया रियासत प्रजामंडल आंदोलन के संस्थापक सदस्य थे। हिमाचल के पहले गृह मंत्री भी वही बने। इसी कड़ी में दौलत राम सांख्यान का नाम भी आता है, जो 1957 से लंबे अरसे तक हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद को सुशोभित करते रहे। वह कई वर्षों तक कैबिनेट मंत्री भी रहे। लालचंद प्रार्थी प्रदेश की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, उन्होंने 1942 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन के साथ-साथ कई राष्ट्रीय आंदोलनों में भी हिस्सा लिया।  उन्होंने कुल्लूत  देश की कहानी नामक पहली किताब भी लिखी, जो काफी चर्चित रही।

यह है कुल आबादी का प्रतिनिधित्व

ब्राह्मण हिमाचल की कुल आबादी का 20 फीसदी प्रतिनिधित्व करते हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इस वर्ग की आबादी 5.6 करोड़ आंकी गई है। देश में 19 फीसदी ब्राह्मण अमीर वर्ग में आते हैं, जबकि 13 प्रतिशत गरीब। साक्षरता दर 84 फीसदी आंकी गई है।

न्यायिक सेवाओं में अग्रणी समुदाय

हिमाचल से न्यायिक सेवाओं में इस वर्ग से अनेकों ऐसे नाम हैं, जिनमें राजीव शर्मा उत्तराखंड हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के पद पर तैनात हैं। जस्टिस वीके शर्मा प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष हैं। प्रदेश के ही असिस्टेंट सोलिसीटर जनरल अशोक शर्मा हैं, जबकि सत्र व अन्य जिला न्यायालयों में  सैकड़ों ऐसे नाम हैं, जो इस कार्य क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ते रहे हैं।

मोदी मंत्रिमंडल का इंजन भी ब्राह्मण

केंद्रीय मंत्रिमंडल में जो सरकार को दिशा दे रहे हैं, उनमें ब्राह्मण मंत्री सबसे आगे हैं। इनमें अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, सुरेश प्रभु, एचएन अनंत कुमार, जगत प्रकाश नड्डा, कलराज मिश्र, मनोहर पर्रिकर अब गोवा के मुख्यमंत्री बन चुके हैं, डा. महेश शर्मा और प्रकाश जावड़ेकर शामिल हैं।

देश की स्वतंत्रता में योगदान

देश की स्वतंत्रता में ब्राह्मण समुदाय का अहम योगदान रहा है। आजादी की मशाल जलाने वालों में मंगल पांडे, गोपाल कृष्ण गोखले महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु, बाल गंगाधर तिलक, सी. राजा गोपालाचार्य आदि प्रमुख रहे।

देश में ब्राह्मणों की जनसंख्या

आंध्र प्रदेश – 1 फीसदी

अरुणाचल  – 6 फीसदी

असम – 4 फीसदी

बिहार – 5 फीसदी

छत्तीसगढ़ – 2 फीसदी

मध्य प्रदेश – 5 फीसदी

महाराष्ट्र – 4 फीसदी

दिल्ली – 12 फीसदी

उड़ीसा – 9 फीसदी

गोवा – 7 फीसदी

गुजरात – 5 फीसदी

हरियाणा – 6 फीसदी

हिमाचल – 20 फीसदी

जम्मू-कश्मीर – 11 फीसदी

झारखंड – 3 फीसदी

उत्तर प्रदेश – 16 फीसदी

उत्तराखंड – 22 फीसदी

पश्चिम बंगाल – 9 फीसदी

तमिलनाडु- 2 फीसदी

राजस्थान – 12 फीसदी

पंजाब – 7 फीसदी

केरल – 2 फीसदी

कर्नाटक – 8 फीसदी

मेजर पर नाज

ब्राह्मण समुदाय से संबंधित जिला कांगड़ा के डाढ निवासी मेजर सोमनाथ शर्मा ने मरणोपरांत देश का पहला परमवीर चक्र हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया,। वह  भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर थे।1947 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए पहले संघर्ष के दौरान मेजर सोमनाथ मध्य कश्मीर के बड़गाम जिले में पैट्रोलिंग कंपनी में तैनात थे। इसी दौरान बड़गाम में 700 पाकिस्तानी सैनिकों के उन्होंने छक्के छुड़ा दिए। मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी, 1923 को जम्मू में हुआ था। इनके पिता मेजर अमरनाथ शर्मा भी सेना में डाक्टर थे और आर्मी मेडिकल सर्विस के डायरेक्टर जनरल के पद से सेवामुक्त हुए थे। मेजर सोमनाथ की शुरुआती स्कूली शिक्षा अलग-अलग जगह होती रही, जहां इनके पिता की पोस्टिंग होती थी, लेकिन बाद में उनकी पढ़ाई शेरवुडा, नैनीताल में हुई। मेजर सोमनाथ बचपन से ही खेलकूद तथा एथलेटिक्स में रुचि रखते थे।

राजनीति में पंडितों का दबदबा

* शांता कुमार दो बार मुख्यमंत्री रहे।

* पंडित सुखराम दो बार केंद्र में मंत्री रहे। उन्हें संचार क्रांति का मसीहा माना जाता है। प्रदेश राजनीति के चाणक्य की उन्हें संज्ञा दी जाती है।

* पंडित संतराम वीरभद्र मंत्रिमंडल में खास रहे।

* पंडित पदम देव पहले गृह मंत्री थे। हिमालय रियासत प्रजामंडल के संस्थापक थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के आंदोलनों में भी हिस्सा लिया।

* दौलतराम सांख्यान कई बार मंत्रिमंडल में रहे। वह प्रदेश कांग्रेस के 1957 में अध्यक्ष बने। लंबे अरसे तक उन्होंने इसे सुशोभित किया।

* आनंद शर्मा विदेश मंत्री रहे। कांग्रेस की सियासत में उन्हें एक चमकता हुआ सितारा माना जाता है।

* जेपी नड्डा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन में उनका बड़ा नाम है।

* प्रदेश मंत्रिमंडल में जीएस बाली का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। मुकेश अग्निहोत्री, सुधीर शर्मा व अनिल शर्मा इसी वर्ग का मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

ये हैं ऊंचे पदों पर तैनात

– राजीव शर्मा कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश उत्तराखंड हाई कोर्ट

– वीके शर्मा , चेयरमैन प्रशासनिक ट्रिब्यूनल

– राजेश शमा,  निदेशक उद्योग

– रजनीश शर्मा, स्टेट जियोलॉजिस्ट

– तरूण श्रीधर,  अतिरिक्त मुख्य सचिव

– ओंकार शर्मा, प्रिंसीपल सेक्रेटरी

– जेसी शर्मा, प्रिंसीपल सेक्रेटरी

– अरूण शर्मा, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी

– अरूण शर्मा, डायरेक्टर फोरेंसिक साइंस लैब

– गोपाल शर्मा, एमडी को-आपरेटिव बैंक

– अमिताभ अवस्थी, सचिव पीजीआई

– एसके शर्मा, पीसीसीएफ वन विभाग

– अर्चना शर्मा, निदेशक पर्यावरण

– राजेश शर्मा, एमडी कौशल विकास निगम

– आरके शर्मा, डायरेक्टर आपरेशन बिजली बोर्ड

– डीके शर्मा, चेयरमैन बीबीएमबी

– हरिचंद शर्मा, वायस चांसलर वानिकी विश्वविद्यालय नौणी

– एनएल शर्मा,डायरेक्टर पर्सनल एसजेवीएनएल

– डा. आरके शर्मा,एचओडी न्यूरोसर्जरी सफदर जंग अस्पताल

– बृजेश धर्माणी,आईआरएस अधिकारी रेलवे।

– आरके शर्मा,आईपीएच के ईएनसी रह चुके हैं

– एनएल शर्मा,पीडब्लयूडी के ईएनसी रह चुके हैं

– देवराज शर्मा, हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं।

अनुपम खेर ने बढ़ाया मान

हिमाचल के ब्राह्मण वर्ग ने बालीवुड में भी अपनी अलहदा पहचान बनाई है । अपने संजीदा अभिनय से सबको मंत्रमुग्ध करने वाले अनुपम खेर किसी पहचान के मोहताज नही हैं।  शिमला से संबंध रखने वाले अनुपम खेर ने अपनी अदाकारी के दम पर हिमाचल का नाम रोशन किया है। वहीं यामी गौतम ने भी बालीवुड में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। इसके अलावा देश भर के ब्राह्मण सितारों की बात करें तो उनमें सुनील  दत्त, मनोज कुमार, शर्मिला टैगोर, हेमा मालिनी, रेखा, माधुरी दीक्षित, आशा भोसले, शिशिर पारिक सहित अन्य कई कलाकार हैं, जिन्होंने ब्राह्मण समुदाय को बुलंदियों पर पहुंचाया ।

पहला एस्ट्रोनॉट भी ब्राह्मण

देश से स्पेस में जाने वाले पहले सेना के अधिकारी  राकेश शर्मा थे, जो तत्कालीन सोवियत संघ के स्पेस शटल द्वारा यात्रा करने गए थे।  सुनीता विलियम्स भारतीय मूल की दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री बनी हैं। वह गुजरात के अहमदाबाद से हैं। उनके पिता अमरीका में दीपक पांडया डाक्टर हैं।

50 सांसद ब्राह्मण

मौजूदा लोकसभा में 50 सांसद इसी वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यानी कुल सांसदों का 9.17 फीसदी इसी वर्ग से है।

राजनीति के चाणक्य पंडित सुखराम

राजनीति में इसी वर्ग से आनंद शर्मा विदेश मंत्री बने हैं। पंडित सुखराम, जिन्हें संचार क्रांति का मसीहा कहा जाता है, उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल को दो बार सुशाभित किया। हिमाचल की राजनीति में उन्हें चाणक्य कहा जाता है।वर्ष 1998 में पंडित सुखराम की हिविकां की वजह से वीरभद्र सिंह को सत्ता से बाहर रहना पड़ा। अब उनके पुत्र अनिल शर्मा वीरभद्र मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में हिमाचल से जगत प्रकाश नड्डा न केवल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं, बल्कि भाजपा संगठन में भी उनका वर्चस्व कायम है। हिमाचल की राजनीति में उन्हें खास स्थान प्राप्त है। प्रादेशिक मंत्रिमंडल में वर्तमान में जीएस बाली, मुकेश अग्निहोत्री और सुधीर शर्मा कार्यरत हैं, जबकि सीपीएस व विधायकों में कई नेता इसी  वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। हिमाचल पुलिस में महानिदेशक के पद को भी कई आईपीएस अधिकारी सुशोभित कर चुके हैं।   जाने-माने चिकित्सकों की फेहरिस्त में गेस्ट्रो स्पेशलिस्ट डा. बृजलाल, मेडिसिन स्पेशलिस्ट व आईजीएमसी के प्रिंसीपल डा. अशोक शर्मा, पवन शर्मा, हार्ट स्पेशलिस्ट डा. मोहंती, डा. राजीव भारद्वाज, रेडियोलॉजी में डा. संजीव शर्मा व अनेकों ऐसे नाम हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हैं। इनसे हटकर निजी क्षेत्र में डा. अक्षय,  डा. अशोक सर्जन के तौर पर नाम कमा रहे हैं। संस्कृत विद्वानों में पंडित दिवाकर दत्त शर्मा देश के प्रकांड विद्वानों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर गिने जाते हैं। उनका संबंध शिमला के धामी से हैं। उन्होंने मशोबरा में संस्कृत शोध संस्थान स्थापित किया। वह संस्कृत कालेज शिमला के वर्षों तक प्रिंसीपल भी रहे। चंद्रधर गुलेरी, श्रीकांत श्रीनिवास उत्कृष्ट लेखकों में गिने जाते हैं। हिमाचल से ऐसे दर्जनों नाम हैं, जिन्होंने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति पद को इसी वर्ग से सुशोभित किया।

भाजपा के ब्राह्मण  विधायक

– विजय अग्निहोत्री

– रणधीर शर्मा

– गोविंद राम शर्मा

– सुरेश भारद्वाज

कांग्रेस के ब्राह्मण विधायक

– राजेश धर्माणी

– राकेश कालिया, संजय रतन

भाजपा सरकार में जेपी नड्डा वन मंत्री रहे, मगर कार्यकाल पूरा होने से पहले ही केंद्रीय राजनीति में चले गए।

– खीमीराम आयुर्वेद मंत्री रहे

-तुलसी राम प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं।

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