अधूरे तथ्यों के साथ पास करवा ली फाइल

शिमला  – पैरा टीचर्ज को नियमित करने का मामला आधे-अधूरे तथ्यों के साथ कैबिनेट से ओके करवा लिया गया है। शिक्षकों को नियमित करने की फाइल शिक्षा विभाग से वापस लौटाए जाने के बाद सचिवालय में उच्चाधिकारियों की किरकिरी हुई है। दावा किया जा रहा है कि जब कैबिनेट में मामला ले जाया जा रहा था तो उच्चधिकारियों को बताया गया था कि अस्थायी नियुक्तियों को लेकर मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इसके बावजूद पैरा टीचर्ज को नियमित करने का मामला अधूरे तथ्यों के साथ कैबिनेट से ओके करवा लिया गया। कैबिनेट से मंजूरी के बाद ही लेफ्टआउट टीचर्ज का डाटा भी मांग लिया गया, लेकिन जैसे ही प्रक्रिया शुरू हुई तो अन्य श्रेणी के अस्थायी टीचर्ज ने इस पर आपत्ति जताई। इस पर विभाग ने अपने हाथ खड़े कर दिए। अब यही अधिकारी विधि विभाग से ऐसा तोड़ निकालने की गुजारिश कर रहे हैं, जिसमें पैरा टीचर्ज को सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले के दायरे से बाहर निकाला जा सका। विभाग का तर्क है कि टीचर्ज के नियमितीकरण पर अंतिम नहीं, अस्थायी रोक लगाई गई है। हालांकि प्रारंभिक शिक्षा निदेशक मनमोहन शर्मा यह मान रहे हैं कि फिलहाल नियमितीकरण की प्रक्रिया कुछ समय के लिए रोक दी गई है।  जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने स्कूलों में कार्यरत 122 पैरा टीचर नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं। वर्ष 2003 को बनाई गई पैरा टीचर पालिसी के तहत स्कूलों में 1967 टीचर तैनात किए गए थे। इनमें टीजीटी 684, सी एंड वी 695, लेक्चरर 503 और डीपीई 85 थे। मामले को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। फैसले के बाद सरकार ने 1845 टीचर्ज को 18 दिसंबर, 2014 को रेगुलर कर दिया। 22 जनवरी को इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने स्टे लगा दिया, जिसके बाद इन्हें रेगुलर नहीं किया जा सका।

कम्प्यूटर टीचर्ज के लिए नियम दरकिनार

कम्प्यूटर टीचर्ज को राहत देने के लिए भी सरकार ने नियमों को दरकिनार करते हुए लोक सेवा आयोग के दायरे से बाहर पुराने आर एंड पी रूल्ज को निरस्त कर दिया। अब सोमवार से 1191 पदों पर भर्ती के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसमें पांच साल के अनुभव की शर्त लगाई गई है, ताकि पहले से नाइलेट के तहत काम कर रहे शिक्षकों को लाभ मिल सके।