अब तो जनता की निजी इच्छाएं भी देखनी पड़ रहीं

लगातार मुश्किल होती सियासत पर सुधीर शर्मा ने रखी राय

धर्मशाला— सियासत की डगर अब आसान नहीं रही है। वोटर शिक्षित व जागरूक हो गए हैं। अब पार्टी की लकीर के बजाय नेता के विजन को जनता प्राथमिकता दी जा रही है।  नेताओं के सामने सिर झुकाने वाले लोग, वोट मांगने वालों से हिसाब मांगने को भी उठ खड़े हो रहे हैं। नेताआें के ठाठ बढ़े हैं तो  लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं। बेशक इसके लिए नेता स्वयं ही कहीं न कहीं दोषी हों, सिस्टम को सुधारने व कानून बनाने तथा इसे ईमानदारी से लागू करवाने के स्थान पर व्यक्तिगत मसलों को दलगत राजनीति के आधार पर सेटल करवाने की परिपाटी ऐसी पड़ी है कि अब यह कवायद राजनेताआें के लिए सिरदर्दी का आलम बन गई है। शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा कहते हैं कि मोहल्ले के बजाय मेरे घर को रास्ता, मेरे बेटे-भाई को नौकरी, घर निर्माण के लिए आर्थिक मदद, सिलाई मशीन, पढ़ाई के लिए खर्चा, वॉशिंग मशीन, साइकिल, इंडक्शन कुकर तथा अनेक प्रकार की सौगातों की सूची दिन-ब-दिन बढ़ने लगी है।  कुल मिलाकर नेताआें में अपने लिए बड़ी मुसीबत मोल ले ली है। सुधीर शर्मा बताते हैं कि अब लोग विचारधारा को छोड़ कर नेता द्वारा करवाए गए कार्यों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।  नई पीढ़ी को नेता का विजन और काम करने के तरीके का पूरा अध्ययन करती है। युवा पीढ़ी पार्टी के बजाय विधायक की छवी व कार्यप्रणाली को देखती है। तकनीक के बदलते दौर में युवा अपने मोबाइल पर फोटो और वीडियो दिखा कर अपने अभिभावकों को भी तथ्यों से अवगत  करवाते हैं। पहले ऐसा कर पाना मुश्किल होता था। अब लोग सार्वजनिक कार्यों की बजाय व्यक्तिगत कार्यों की तरफ ध्यान दे रहे हैं। अब तक उन्होंने सामूहिक कार्यों पर ज्यादा ध्यान दिया है। बावजूद इसके लोगों की व्यक्तिगत इच्छाआें की ओर भी विशेष ध्यान देना पड़ रहा है।

विकास प्राथमिकता

मंत्री सुधीर शर्मा कहते हैं कि अपने क्षेत्र के विकास के लिए सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा और नौकरी या रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना प्राथमिकता है।

बदले की भावना से काम करने वालों को पसंद नहीं करते लोग

सुधीर शर्मा कहते हैं कि अब लोग बदले की भावना से काम करने वाले नेताओं को पसंद नहीं करते हैं। मौजूदा दौर में तो नेता वह चाहिए, जो सबको साथ लेकर चलने वाला हो। जातिवाद, क्षेत्रवाद और भाई-भतीजावाद को छोड़ कर अपने क्षेत्र की जनता के लिए काम करे, लोग उसे ही नेता मानते हैं। जनता के लिए कोई भी बड़ा निर्णय लेने से न हिचकिचाए ऐसे विजन वाली शख्सियत के हाथों में ही नेतृत्व देना चाहते हैं।

वोट बैंक की कठिनाइयां

सुधीर शर्मा का कहना है कि सार्वजनिक कार्यों की बजाय व्यक्तिगत कार्यों की तरफ लोगों का अधिक रुझान चिंता का विषय है। वोट बैंक की राजनीति में यह सबसे बड़ी चुनौती खड़ी हो रही है। इससे सामाजिक व सामूहिक कार्यों पर भी असर पड़ सकता है। अब तक उन्होंने सामूहिक कार्यों पर ज्यादा ध्यान दिया है। बावजूद इसके लोगों की व्यक्तिगत इच्छाआें की ओर भी विशेष ध्यान देना पड़ रहा है।