अब वक्त के साथ बदल गया है जनता का एजेंडा

सियासत में आ रही मुश्किलों पर मुकेश अग्निहोत्री की राय

ऊना— मौजूदा दौर में राजनीति की डगर कठिन हो गई है। राजनीतिक जमीन पर मजबूती से टिके रहना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। मतदाता जहां शिक्षित व जागरूक हुआ है,वहीं अब राजनेताओं से लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं। बेशक इसके लिए राजनेता स्वयं ही कहीं न कहीं दोषी भी हैं। बेहतर गवर्नेंस, नियम व कानून की अनुपालना को सुनिश्चित बनाने के स्थान पर व्यक्तिगत मसलों को दलगत राजनीति के आधार पर सेटल करवाने की परिपाटी ऐसी पड़ी है कि अब यही कवायद राजनेताओं के लिए सिरदर्दी का आलम भी बन चुकी है। हरोली विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार जीत दर्ज कर चुके प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि पहले घर में नल, पक्की गली, गांव में सामुदायिक भवन इत्यादि लोगों की प्रमुख मांगें होती थीं, पर अब लोगों का एजेंडा बदल गया है। पहले गांव में किसी एक व्यक्ति के पास हाजिरी लगाकर पूरे गांव की वोट/सपोर्ट मिल जाती थी, लेकिन अब हर व्यक्ति की अपनी अहमियत है। हर व्यक्ति अपने हिसाब से अपनी बात रखता है। जनता की अपेक्षाएं राजनीतिज्ञों से बढ़ गई हैं। लोकतंत्र में जनता-जनार्धन सबसे बड़ी ताकत है। जनता की कसौटी पर खरा उतरने के लिए क्षेत्र के विकास व आमजन के कल्याण के लिए लगातार कार्य करना पड़ता है, वहीं गांव व गरीब की सेवा में सब कुछ झोंकना पड़ता है। राजनेता के काम का मूल्यांकन होना चाहिए। चुनावों में विकासात्मक कार्यों पर चर्चा होनी चाहिए। लोगों को विकास व कल्याण के कार्यों को केंद्रित कर  नेताओं से सवाल जवाब करने चाहिएं।

गांववासी अलर्ट

गांव के लोग शहरी लोगों की तुलना में अधिक अलर्ट हैं। एक काम के बाद दूसरा काम भी तैयार रहता है।

अब साजिश-षड्यंत्रों का दौर

मुकेश अग्निहोत्री कहते हैं कि वर्तमान में राजनीति कठिन हुई है। विचारधारा की राजनीति अभी भी कायम है, लेकिन अवसरवादिता भी बढ़ी है। साजिश, षड्यंत्र व चरित्रहनन की राजनीति शुरू हो गई है। जो लोग काम नहीं करते, उनका अधिकतर एजेंडा साजिश करना बन गया है। जिनका सरोकार दूर-दूर तक नहीं होता, वे चीजें राजनीति में आती हैं।

जनता करती है मूल्यांकन

उद्योग मंत्री कहते हैं कि राजनेताओं के कार्यों का जनता लगातार मूल्याकंन करती है। विकास कार्यों को लेकर विधायकों में भी होड़ रहती है। जनता एक विधायक के रिपोर्ट कार्ड का दूसरे क्षेत्र के विधायक के रिपोर्ट कार्ड से भी तुलना करती है। पार्टियों, विधायकों में प्रतिस्पर्घा हो रही है। अपने क्षेत्र में एसडीएम कार्यालय, तहसील व उपतहसील कार्यालय, सरकारी डिग्री कालेज व अन्य संस्थानों को खोले जाने को लेकर जनता विधायकों की कार्यप्रणाली की तुलना कर रही है।

पब्लिक का एजेंडा भी जरूरी

राजनीति में सामान्य व्यक्ति के एजेंडे को साथ-साथ में चलाना ही पड़ता है। पब्लिक राजनेताओं से दो कदम आगे चलती है। उनको मालूम रहता है कि और क्या-क्या हो सकता है।