एचपीएमसी की हुई एग्रो कारपोरेशन

सालों से घाटे में चल रहे निगम का समायोजन, कर्मचारियों ने ली राहत की सांस

शिमला – सालों से घाटे में चल रहे एग्रो इंडस्ट्रीज कारपोरेशन का अंततः समायोजन हो गया है। ये समायोजन अगले वित्त वर्ष से होगा। एग्रो इंडस्ट्रीज कारपोरेशन अब एचपीएमसी का हिस्सा होगा जिसकी मंजूरी मिल गई है। प्रदेश सरकार अपने घाटे में चल रहे निगमों व बोर्डों को समायोजित करने की योजना रखती है, परंतु अभी तक उसने कोई फैसला नहीं लिया था। चुनाव से ठीक पहले अब एग्रो इंडस्ट्रीज के समायोजन का फैसला लिया गया है, जिससे यहां के कर्मचारियों को राहत मिल सकेगी। अभी तक एग्रो इंडस्ट्रीज अपनी प्रॉपटी बेचकर ही काम चला रहा था क्योंकि उसका कोई काम धंधा नहीं चल पाया। जानकारी के अनुसार नए वित्त वर्ष में पहली अप्रैल से यह समायोजन होगा और उसके बाद एचपीएमसी ही इनके कर्मचारियों को भी वेतन देगा।   बागबानी मंत्री विद्या स्टोक्स की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय ले लिया गया है।  यहां के कर्मचारी लगातार ये मांग कर रहे थे क्योंकि इसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इस निगम का गठन वर्ष 1974 में लगभग 43 साल पहले किया गया था। दो दशक पहले तक एग्रो इंडस्ट्री ने प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में आधा दर्जन फैक्टरियां लगाकर अपना कारोबार बढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन कोई भी फैक्टरी बेहतर प्रबंधन और सरकारी उपेक्षा के कारण लाभ अर्जित नहीं कर पाई। परवाणू स्थित फैक्टरी को छोड़कर सभी फैक्टिरियां बंद बताई जा रही हैं। इनके बंद होने के कई कारण है। ये निगम मूलतः एग्रीकल्चर इनपुट तैयार करता था। कैटल-फीड, पोल्ट्री-फीड, स्टील, कीटनाशनक, रसायन इत्यादि का कारोबार एग्रो इंडस्ट्री करता रहा है लेकिन कोई भी काम इसका मुनाफा नहीं कमा सका, जिसके चलते इसका घाटा लगातार बढ़ता गया और इसे बंद करने तक की नौबत आ गई। ऐसे में सरकार ने इसे समायोजित करने का निर्णय लिया है। बता दें कि इससे पहले नाहन फाउंडरी को भी एचपीएसआईडीसी में समायोजित किया गया है।  एग्रो इंडस्ट्री में इस समय  58 अधिकारी व कर्मचारी तैनात हैं।  शुरुआत में 200 से अधिक कर्मचारी यहां पर कार्यरत थे। एचपीएमसी के चेयरमैन प्रकाश ठाकुर ने यह फैसला लिए जाने की पुष्टि की है।