कांग्रेस के टिकट पहले, भाजपा के बाद में

अक्तूबर में कांग्रेस जारी कर सकती है उम्मीदवारों की सूची, भगवा अभी तक असमंजस में

शिमला— प्रदेश कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की पहली बड़ी सूची अक्तूबर में ही जारी करने जा रही है। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक प्रदेश पार्टी मामलों के प्रभारी सुशील कुमार शिंदे के हिमाचल भ्रमण के बाद प्रादेशिक नेताओं से बैठक की जाएगी, जिसके बाद दिल्ली में सभी नेताओं की बैठक बुलाकर पार्टी हाइकमान वहीं से टिकटों की पहली बड़ी सूची का ऐलान करेंगी। बताया जाता है कि पार्टी की तरफ से पार्टी आलाकमान को तीन-तीन प्रत्याशियों की सूची भेजी जा चुकी है। कांग्रेस ने खुद भी फील्ड सर्वेक्षण करवाए हैं। अब इसके बाद शिंदे की रिपोर्ट भी अहम होगी।  उधर, भाजपा अभी भी प्रत्याशियों के चयन को लेकर असमंजस में है। हालांकि दावा यही है कि पार्टी की केंद्रीय कमान ने दो से भी ज्यादा बार सर्वेक्षण करवाए हैं, जिसके बाद अक्तूबर के अंत तक पार्टी पहली सूची जारी कर सकती है। ऐसा करने से पहले प्रदेश से शांता कुमार, प्रो. धूमल, जेपी नड्डा व सतपाल सिंह सत्ती से दिल्ली में विचार मंथन होगा। उसी के बाद केंद्रीय संसदीय बोर्ड की सहमति से ऐलान हो सकता है।  दोनों ही दलों में इस बार 30 से भी ज्यादा प्रत्याशी ऐसे हैं, जो टिकट न मिलने की स्थिति में समानांतर प्रत्याशी के तौर पर उतरने की तैयारी कर चुके हैं।  सूत्रों का दावा है कि इन समानांतर प्रत्याशियों को दोनों ही दलों में कई वरिष्ठ नेताओं का भी आशीर्वाद मिल रहा है। यानी टिकट न मिलने की स्थिति में ऐसे उम्मीदवार दोनों ही दलों के लिए बड़ी सिरदर्दी पेश कर सकते हैं। उस दल के लिए यह परेशानी ज्यादा होगी, जिसमें टिकटों का चयन लेटलतीफी से होगा।  ऐसे ज्यादातर प्रत्याशी पार्टी के आम वर्कर की जान-पहचान के हैं। दोनों ही दलों में इनके गॉड फादर्स को लेकर भी कोई शक नहीं बचा है। बावजूद इसके कोई नेता कुछ बोल नहीं पा रहा। कई इलाके तो ऐसे बताए जा रहे हैं जहां ऐसे समानांतर प्रत्याशियों ने ऐलान से पहले ही खुद को अधिकृत प्रत्याशी बताकर प्रचार रथ हांकना शुरू कर दिया है।

ये हैं संवेदनशील जिले

शिमला, मंडी, ऊना, कांगड़ा व सिरमौर में ऐसे समानांतर प्रत्याशी सबसे ज्यादा बताए जा रहे हैं। दावा यह भी है कि इनकी संख्या आने वाले दिनों में और बढ़ भी सकती है।

सोशल मीडिया के भी स्टार

ऐसे ही समानांतर प्रत्याशी सोशल मीडिया के भी स्टार बन रहे हैं। यह कोई पहला मौका नहीं है कि ये दिक्कतें सामने आई हो। दोनों ही दलों के नेता भी कई जनसभाओं में प्रत्याशियों का ऐलान करने से पीछे नहीं रहे हैं। यह दीगर है कि अब पार्टी हाइकमान का खौफ दिखने के बाद स्वर बदलने लगे हैं।