कुदरत के रखवाले नैन सिंह को ‘दिव्य हिमाचल प्रेरणा पुरस्कार’

पर्यावरण बचाने के लिए अपनी उपजाऊ जमीन पर लगाए 15 हजार देवदार, परिवार भी साथ

नाहन— चंद रुपयों के लिए कुदरत की जिस जन्नत को इनसान उजाड़ रहा है, उसी जन्नत को सिरमौर के बुजुर्ग पर्यावरण प्रेमी नैन सिंह और खूबसूरत बनाने में जुटे हुए हैं। पर्यावरण के इस रखवाले को प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ तहेदिल से सलाम ठोंकता है। इस पर्यावरण प्रेमी ने करीब 15 हजार पेड़ लगाकर समाज के लिए एक नई प्रेरणा व मिसाल कायम की है। राजगढ़ के कनोग निवासी 88 वर्षीय नैन सिंह का कुदरत से लगाव और उसे सहजने की कोशिशों पर ‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया ग्रुप उन्हें प्रेरणा पुरस्कार से सम्मानित करेगा। यह पुरस्कार उन्हें ‘दिव्य हिमाचल’ के मेगा इवेंट ‘मिस्टर हिमाचल-2017’ के ग्रैंड फिनाले में दिया जाएगा। पहाड़ों से भी मजबूत हौसला रखने वाले 88 वर्षीय नैन सिंह एक पढ़े-लिखे कृषक हैं, जो उम्र के इस पड़ाव में भी क्षेत्र में देवदार की रक्षा के साथ-साथ अपनी उपजाऊ जमीन पर करीब 15 हजार पेड़ लगाकर अनूठी मिसाल पेश कर चुके हैं। एशिया में पीच वैली के नाम से चर्चित किसान नैन सिंह ने अपनी जवानी में सरकारी नौकरी की ओर रुख करने की बजाय कृषि कार्य को प्राथमिकता दी। वह 1958 में पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। यदि चह चाहते तो आसानी से सरकारी नौकरी कर सकते थे, परंतु उन्होंने कृषि को बढ़ावा दिया तथा अनगिनत संख्या में देवदार के पौधे अपनी जमीन में लगा दी। अब ये देवदार बड़े हो चुके हैं। इस काम में उनकी धर्मपत्नी द्वारका देवी, दो बेटे राजेंद्र वर्मा व वीरेंद्र वर्मा के अलावा दोनों बहुएं व तीन पौतियां करिश्मा, विशाखा व विदिषा वर्मा का भी पूरा सहयोग मिलता है। सबसे बेहतरीन बात यह है कि नैन सिंह के इस पर्यावरण प्रेम में उनके बेटे राजेंद्र वर्मा भी बखूबी उनका साथ दे रहे हैं और उन्होंने अपने पिता का हाथ बंटाते हुए करीब चार हजार देवदार के पौधे लगाए हैं। नैन सिंह की पौत्री विशाखा वर्मा की रुचि भी वृक्षों की ओर बढ़ी है तथा उसने भी करीब 60 देवदार पौधे लगाए हैं। जीवन के 88 वसंत देख चुके पर्यावरण प्रेमी नैन सिंह ने अपनी 600 बीघा जमीन व कुछ शामलात भूमि पर 15 हजार के आसपास देवदार लगाए हैं।  देवदार के साथ-साथ कुछ चीड़ के पेड़ भी तैयार किए गए हैं। नैन सिंह की इस मुहिम में उनका पूरा परिवार तो साथ दे ही रहा है, वहीं अब गांव के लोग भी उनका साथ देने को तैयार हैं।

दो बार रह चुके हैं पंचायत प्रधान

नैन सिंह दो बार पंचायत प्रधान भी रह चुके हैं। अपने कार्यकाल के दौरान 100 से अधिक जल संग्रहण टैंक भी बनवाए हैं तथा संरक्षण के बारे में जागरूक किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि अपने व परिवार द्वारा लगाए गए पेड़ों में से कोई भी पेड़ नहीं काटा है। परिवार स्वयं अपनी नर्सरी भी तैयार करता है।

परिवार की तरह कर रहे पालन-पोषण

पर्यावरण प्रेमी नैन सिंह की पौती करिश्मा वर्मा, विदिषा वर्मा व विशाखा वर्मा ने बताया कि उनके दादा वृक्षों से अपने परिवार के सदस्यों की तरह लगाव रखते हैं। वन विभाग से भी वह समय-समय पर सहयोग लेते हैं, परंतु पर्यावरण की दिशा में उठाए गए इतने बड़े कदम को लेकर अभी तक नैन सिंह को किसी मंच पर सार्वजनिक रूप से सम्मान नहीं मिला है।