कैसे बढ़े कमाई, सरकार को सिफारिशें रास न आई

शिमला— प्रदेश में संसाधन जुटाने को लेकर मंत्रिमंडल उपसमिति की सिफारिशें अढ़ाई साल से फाइलों में दफन हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इन सिफारिशों को मंत्रिमंडल की बैठक में अमलीजामा पहनाने के लिए पेश ही नहीं किया जा सका है। बताया जाता है कि वित्त विभाग द्वारा ऐसी सिफारिशों पर बड़ी एक्सरसाइज की गई थी, जिसे बाद में जीएडी को सौंपा गया था। सचिवालय के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इन सिफारिशों को मंत्रिमंडल की बैठक में पेश किया जाना था, मगर अढ़ाई वर्ष के लंबे अंतराल के बाद इस मामले में कोई भी प्रगति ही नहीं हो सकी है। लगभग 45 हजार करोड़ से भी ज्यादा कज में डूबे प्रदेश के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निर्देशों पर आईपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स की अध्यक्षता में इसका गठन किया गया था। इसे रिसोर्स मोबलाइजेशन कमेटी का नाम दिया गया था। इसमे वरिष्ठ मंत्री जीएस बाली व मुकेश अग्निहोत्री बतौर सदस्य शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक सिफारिशों के तौर पर विभिन्न महकमों में सरप्लस स्टाफ को हटाकर पूल में भेजा जाना था, जहां से स्टाफ की कमी से जूझ रहे महकमों में इनकी तैनाती की जा सके। बोर्ड-निगमों के ओहदेदारों पर होने वाले खर्चों, सरकारी महकमों में वाहनों की खरीद में कटौती, लग्जरी वाहनों की खरीद के बजाय टैक्सियों को लगाने पर प्राथमिकता के साथ-साथ ऐसे मापदंड सुझाए गए थे, जिनमें सरकारी वाहनों की आवाजाही पर प्रति किलोमीटर की दर से वसूलने की बात कही गई थी। उपसमिति ने सिफारिशों में टूअर्ज के साथ-साथ अन्य फिजूलखर्ची पर भी कटौती लगाने की सिफारिशें थीं। करीबन हर महकमें व बोर्ड-निगम की स्क्रीनिंग उपसमिति द्वारा की गई थी, जिसके बाद सिलसिलेवार तरीके से संसाधन जुटाने की सिफारिशें थी। पर्यटन, बागबानी, परिवहन, कृषि, ऊर्जा और शिक्षा पर आधारित ये सिफारिशें थी, जिनकी पूरी रिपोर्ट चर्चा के बाद लागू की जानी थी। हैरानी की बात है, इसे प्रदेश में इतना अरसा गुजर जाने के बाद भी लागू नहीं किया जा सका है, जबकि फिजूलखर्ची को लेकर हिमाचल में काफी पहले से हाय तौबा मचती रही है।

कौल के इस्तीफे से सुर्खियां

सब-कमेटी अपने गठन के दौर से ही सुर्खियों में रही। पहले इसका अध्यक्ष कौल सिंह को बनाने की चर्चाएं हुई, मगर बाद मे विद्या स्टोक्स को इसका अध्यक्ष बनाया गया। जिसके बाद कौल सिंह ने उपसमिति से इस्तीफा दे दिया था। इसे लेकर एक महीने तक राजनीति गरमाती भी रही।

चुनावी सांझ में क्या फायदा

जानकारों के मुताबिक अब रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी की सिफारिशें यदि सार्वजनिक भी की जाती हैं तो उनका फायदा कोई नहीं होगा। क्योंकि तीन महीने बाद प्रदेश में चुनाव तय हैं।

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