कोटला पुल की हालत खराब, नए को बनते-बनते बीत गए आठ साल
जवाली— पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग-154 पर कोटला में अंग्रेजों के जमाने के बना पुल अब भारी-भरकम वाहनों के भार को सहने योग्य नहीं रहा है। यही नहीं, अब तो पुल पर से छोटे वाहनों को लेकर गुजरने से भी डर लगता है। हालांकि यहां नया पुल तो बन रहा है, लेकिन इसका काम कब पूरा होगा, कोई नहीं जानता। पिछले आठ साल से इसका काम चल रहा है, लेकिन पूरा होने का नाम ही नहीं ले रहा। बता दें कि कोटला में देहर खड्ड पर वर्ष 1901 में अंग्रेजों द्वारा पुल का निर्माण किया गया गया था, परंतु 115 साल बीत जाने के कारण इसकी स्थिति जर्जर हो चुकी है। पुल के पिल्लरों की प्लेंथ तक निकल आई थी, कई बार तो पुल के एंगल तक बाहर निकल आते हैं, जिनको विभाग ने दुरुस्त कर काम चला रखा है। हालांकि नेशनल हाई-वे द्वारा इस पुल की समय-समय पर रिपेयर कर वाहनों का आवागमन करवाया जा रहा है, लेकिन कभी भी कोई अप्रिय घटना के घटित होने की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता है। बरसात के मौसम में तो देहर खड्ड में पानी का बहाव काफी अधिक होता है और ऐसे में वाहन चालक भी पुल से वाहनों को क्रॉस करने में कतराते हैं। चालक जान जोखिम में डालकर अंग्रेजों के जमाने के बने इस पुल से वाहनों को गुजारने के लिए बाध्य हैं, क्योंकि इसके अलावा उनके पास अन्य कोई विकल्प ही नहीं है। सिंगल लेन इस पुल के दोनों तरफ अकसर ही जाम लग जाता है। हालांकि पुल के दोनों तरफ विभाग ने ‘18 मीट्रिक टन से भारी वाहनों का गुजरना वर्जित है’ अंकित कर रखा है। बावजूद इसके 18 मीट्रिक टन से अधिक भार के वाहन इस पुल से गुजर रहे हैं। विस क्षेत्र जवाली के पूर्व मंत्री डॉ हरबंस राणा व कोटला पंचायत के प्रधान योगराज मेहरा ने कोटला खड्ड पर आधुनिक तकनीक से नए पुल का निर्माण करने की मांग को उस समय के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के समक्ष उठाया। इसके बाद ही वर्ष 2008 में पुराने पुल के साथ नए पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
काम छोड़ भाग गई थी फर्म
वर्ष 2008 में जर्जर पुल के साथ ही 7.54 करोड़ रुपए की लागत से 98 मीटर लंबे व 12 मीटर चौड़े ़भूकंपरोधी पुल का काम हैदराबाद की कंपनी ने शुरू किया। कंपनी आधे-अधूरे पिल्लरों का निर्माण कर काम बीच में ही छोड़ चली गई। इसके साढ़े चार साल बाद नेशनल हाई-वे ने कंपनी को जुर्माना लगाया। विभाग ने पुल का काम दोबारा से अवार्ड करवाया। अब नई कंपनी द्वारा इस पुल का कार्य जोरों-शोरों से किया जा रहा है।
वर्ष 2008 से आठ साल से चल रहा काम
पुल निर्माण में हो रही देरी से इसकी लागत भी बढ़ गई है। शुरूआत इसकी लागत 7.54 करोड़ थी, लेकिन अब यह 11 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। मार्च 2018 तक इस पुल के कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पुल बनाने में आठ साल से भी अधिक का समय बीत चुका है, परंतु अभी तक कार्य पूरा नहीं हो पाया है।
जल्द जनता के हवाले हो ब्रिज
बुद्धिजीवियों ने कहा कि अगर अंग्रेजों के जमाने का बना पुल कभी भी धराशायी होता है, जिससे पठानकोट का मंडी तथा मंडी का पठानकोट से संपर्क टूट जाएगा। बुद्धिजीवियों ने मांग उठाई है कि कोटला की देहर खड्ड पर बनने वाले पुल का निर्माण कार्य अति शीघ्र पूरा करवाकर इसे जनता के हवाले किया जाए, ताकि समय रहते पुराने पुल से निजात मिल सके।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App