चार गुना मुआवजा मिला नहीं पुनर्वास की तो बात ही छोड़ो

मंडी— हर क्षेत्र व समाज के लिए विकास जरूरी है, लेकिन विकास की बलि चढ़ने वाले समाज को नजरअंदाज करना कहां का न्याय है। कीरतपुर से मनाली तक बन रहे फोरलेन में इसी विकास की बलि हजारों लोग भी चढ़ रहे हैं, जिन्हें राजनीतिक दलों ने भुला दिया है। मंडी के नागचला से लेकर मनाली तक दस हजार परिवार फोरलेन प्रभावितों में शामिल हैं, लेकिन इन्हें न तो नियमानुसार चार गुना मुआवजा दिया जा रहा है और न ही इनके पुनर्वास और पुनर्स्थापन करने को सरकार तैयार है। प्रदेश सरकार जहां पिछले तीन वर्षों से लगातार फोरलेन प्रभावितों की अनदेखी करती आ रही है, वहीं भाजपा और अन्य राजनीतिक दल भी इस मसले पर राजनीति करने तक ही सीमित हैं। यही वजह है कि अब दस हजार परिवार अगामी विस चुनावों में प्रदेश सरकार से हिसाब मांगने के लिए तैयार बैठे हैं। कीरतपुर से मनाली फोरलेन के द्वितीय चरण के तहत अब नागचला से मनाली तक फोरलेन का निर्माण होना है। इस द्वितीय चरण पर भूमि अधिग्रहण कानून-2013 लागू होता है, जिसे पहली जनवरी, 2015 से लागू भी किया जा चुका है। इसके तहत ऐसे निर्माण कार्य के प्रभावितों को जहां चार गुना मुआवजा देने का प्रावधान है, वहीं विस्थापितों का पुनर्वास और पुनर्स्थापन भी सरकारों ने ही करना है। इस कानून को लागू कर केंद्र सरकार अपना पल्ला झाड़ चुकी है, जबकि प्रदेश सरकार चार गुना मुआवजा देने के लिए तैयार नहीं है। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के शेड्यूल-टू पुनर्वास और शेड्यूल-थ्री पुनर्स्थापन को प्रदेश सरकार ने छुआ तक नहीं है। फोरलेन से न सिर्फ भूमि मालिक उजड़ रहे हैं, बल्कि हजारों की तादाद में ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिनकी रोजी-रोटी भी इस कारण छिन रही है। इन लोगों की तो सूची तक प्रदेश सरकार ने तैयार नहीं की है। इन लोगों को न ही किसी प्रकार का मुआवजा मिलना है, जबकि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत ऐसे सभी लोगों का पुनर्वास और पुनर्स्थापना करना भी सरकारों की जिम्मेदारी है। पिछले तीन वर्षों से प्रभावित आंदोलन करने में लगे हुए हैं, लेकिन चार गुना मुआवजा व पुनर्वास और पुनर्स्थापन को लेकर कोई सहमति नहीं बनी है।

कहां जाएगे औट के व्यापारी

फोरलेन निर्माण से पुराना औट बाजार पूरी तरह से उजड़ रहा है। बाजार की 100 से अधिक दुकानें चली जाएंगी, जिसमें 35 दुकानदार तो ऐसे हैं, जो कि वर्षों से सरकारी दुकानों में अपना व्यवसाय चलाए हुए हैं और इन्हें जरा भी मुआवजा नहीं मिलेगा। इसी तरह  नागचला से लेकर मनाली तक सैकड़ों ऐसे छोटे-मोटे दुकानदार और व्यवसायी हैं, जो कि उजड़ रहे हैं।

बैठकों में नहीं निकला नतीजा

फोरलेन संघर्ष समिति मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के साथ बैठक कर चुकी है। साथ ही राजस्व मंत्री, राजस्व सचिव, पीडब्ल्यूडी सचिव, मंडलायुक्त, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और उपायुक्त से बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सब बैठकें बेनतीजा रही हैं।

नहीं चलने दिया जाएगा बुलडोजर

फोरलेन प्रभावितों की इस लड़ाई को पिछले तीन वर्षों से कारगिल हीरो सेनानिवृत्त बिग्रेडियर खुशहाल ठाकुर लड़ने में लगे हुए हैं। वह कहते हैं कि जब केंद्र सरकार कानून पारित कर चुकी है तो उसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा। फोरलेन से बेघर होने वाले लोग फैक्टर-एक में दोगुना मुआवजा लेकर बाजार भाव पर फिर कैसे बसेंगे। इसका सरकार को जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को पूरी तरह लागू किए बिना फोरलेन प्रभावित अपनी जमीन पर बुलडोजर नहीं चलने देंगे।

राजस्व मंत्री कौल की भूमि भी जद में

फोरलेन में राजस्व मंत्री कौल सिंह की भी भूमि जा रही है, लेकिन उन्हें भी भूमि अधिग्रहण कानून-2013 के तहत मुआवजा नहीं मिल रहा है।