जमीन नहीं बेच पाएंगी धार्मिक संस्थाएं

By: Sep 9th, 2017 12:40 am

आवेदनों की फाइलें बंद, फिलहाल किसी भी विवाद में नहीं फंसना चाहती सरकार

newsशिमला— 150 बीघा जमीन के अतिरिक्त खरीदी हुई जमीन को बेचने का अधिकार मांग रहीं धार्मिक और स्वयंसेवी संस्थाओं को फिलहाल यह अधिकार नहीं मिलेगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस मामले को अभी लंबित कर दिया गया है और फाइलें बंद हो गई हैं। इस संदर्भ में कई संस्थाओं ने सरकार पर दबाव बनाते हुए आवेदन किए थे, जिन पर बाकायदा चर्चा भी की गई, मगर राजनीतिक तौर पर यह मसला सिरे चढ़ता नहीं लग रहा है। माना जा रहा है कि ऐसे मामलों से राजनीतिक विवाद बढ़ता है। पूर्व में ऐसी अनुमतियां मिलने के बाद काफी विवाद रहा और यहां तक कि यह चुनावी मुद्दा भी बना, लिहाजा अब चुनाव के नजदीक कांग्रेस सरकार ऐसा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती, इसलिए आवेदनों की फाइलें बंद कर दी गई हैं। प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसी धार्मिक संस्थाएं हैं, जिनके पास 150 बीघा से अधिक जमीन मौजूद है। इनका कहना है कि अनुयायियों ने दान में ये जमीन उनको दी है, लेकिन अब ये संस्थाएं उस जमीन को बेचना चाहती हैं, जिनका उनके पास अधिकार नहीं हैं। लैंड सीलिंग एक्ट-1972 के तहत इन संस्थाओं को अधिकार नहीं है, बेशक उनके पास ये जमीने हैं, परंतु इसकी बिक्री नहीं हो सकती। संस्थाओं ने इसी में छूट सरकार से मांग रखी है। बताया जाता है कि करीब आधा दर्जन धार्मिक संस्थाओं और ऐसी ही कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने सरकार को आवेदन कर रखा है कि उन्हें लैंड सीलिंग एक्ट में छूट दी जाए। पूर्व में ऐसी अनुमति मिल भी चुकी है। इसमें चाय बागानों का भी एक मसला है, जिसे अलग नजरिए से देखा जा रहा है। वैसे राजस्व विभाग ने इस तरह की अनुमति देने के लिए योजना बनाई है, लेकिन अधिकारियों का मत रहा है कि इससे सरकार विवादों में फंस सकती है। अलबत्ता अभी सरकार इस पर कोई फैसला नहीं लेना चाहती है और इस पर सरकार ने अधिकारियों को फाइलें बंद करने के लिए कह दिया है।

अफसरों ने मुख्यमंत्री से भी की थी चर्चा

कैबिनेट में प्रोपोजल नहीं लाने का ये भी एक कारण रहा कि अधिकारियों ने पहले ही मुख्यमंत्री से इस पर चर्चा की थी। राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने भी इस पर मुख्यमंत्री से अलग से बात की, जिसके बाद अभी सरकार जोखिम उठाने के मूड़ में नहीं और मामला ठंडा पड़ गया है। संस्थाएं विशेष प्रायोजन के लिए ही 150 बीघा से अधिक जमीन रख सकती है, जिसको बेचा नहीं जा सकता है।


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