दस साल बाद भी सीवरेज से नहीं जुड़ पाया ठियोग

ठियोग- ठियोग कस्बे के लिए बनने जा रही सीवरेज योजना का काम 10 वर्षों में भी पूरा नहीं हो पाया है। इसे विभाग की लेटलतीफी कहा जाए या फिर सरकार की अनदेखी। ठियोग नगर परिषद में लगभग 12 हजार की आबादी है। शहर की एक सबसे बड़ी समस्या सीवरेज की है, जो पिछले 10 सालों से सिरे नहीं चढ़ पा रही है। इस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जगह-जगह गंदगी के कारण शहरवासी परेशान हैं। ठियोग के बस स्टैंड, रेस्ट हाउस तथा फोरेस्ट कालोनी व अस्पताल के साथ अकसर गंदगी का आलम बना रहता है, जिससे कि हर वक्त बीमारी की आशंका बनी रहती है। देवरीघाट पंचायत के जतैण गांव में बनने वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम भी अभी अधूरा है, जिसमें विभाग के अधिकारियों के अनुसार 30 प्रतिशत काम बाकी रह गया है।  गौर हो कि सीवरेज योजना के लिए चार करोड़ 23 लाख 27 हजार रुपए बजट का प्रावधान है। जिसमें से विभाग ने तीन करोड़ 70 लाख खर्च कर दिए हैं। आईपीएच विभाग के सहायक अभियंता बसंत राठौर ने बताया कि सीवरेज योजना में अभी जतैण गांव में ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण चल रहा है। उसके बाद शहर में लोगों को कनेक्शन से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए मैटीरियल भी पहुंच चुका है। ठियोग में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर  कई वर्षों से मुद्दा बना हुआ है, लेकिन इसका कार्य अभी भी पूरा नहीं हुआ है। जतैण गांव में विभाग की ओर से प्लांट को तैयार किया जा रहा है, लेकिन शहर में लोगों को कनेक्शन नहीं दिए गए और न ही शहर में पूरी तरह से सीवरेज को लेकर पाइपलाइन बिछ पाई है। ठियोग नगर परिषद में गंदगी का आलम पिछले कुछ समय और अधिक बढ़ गया है। जहां-तहां ड्रेन की गंदगी से लोग परेशान हैं। घरों से निकलने वाला मल निकासी को लेकर भी  सही इंतजाम नहीं हैं जिससे आम आदमी परेशान है। इन दिनों ठियोग में बाइपास का काम चल रहा है, जिस कारण रहीघाट शड़याणा रोड बंद हो गया है, इस कारण यहां पर ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य भी बंद करना पड़ा है, जबकि इसके अलावा शहर में भी सीवरेज को लेकर काफी काम बचा हुआ है, लेकिन विभाग की धीमी चाल के कारण अभी इसमें काफी समय और लगेगा। बहरहाल दस साल से सीवरेज योजना का सपना देख रहे ठियोग कस्बे को अभी तक राहत नहीं मिली है। इससे लोगों में रोष भी है।

चुनावों में आती है याद

ठियोग शहर में सीवरेज को लेकर चुनाव के दौरान राजनीतिक दल मुद्दा तो बना लेते हैं ,लेकिन बाद में कुछ नहीं होता। यही कारण है कि 10 साल बीत जाने के बाद भी योजना का कार्य पूरा नहीं हो पाया है।