देख लीजिए! हिंदी में ये हैं हमारे हाल

धर्मशाला —  राजभाषा हिंदी में प्रदेश का सबसे बड़ा जिला कांगड़ा कमजोर होता नजर आ रहा है। सरकारी और प्राइवेट विभागों में हिंदी में कामकाज करना बड़ी आफत बन गया है। इसके चलते अधिकतर सभी कार्यालयों का कामकाज राष्ट्र भाषा हिंदी की बजाय अग्रेंजी में ही निपटाया जा रहा है। अब मात्र विभागों और प्राइवेट संस्थानों में भी हिंदी दिवस को ही हिंदी का पाठ याद कर रहे हैं। इतना ही नहीं, विभागों के बोर्डों, बसों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर हिंदी के गलत शब्द अंकित कर दिए गए हैं।  जिला मुख्यालय धर्मशाला में प्रसिद्ध मंदिर कुनाल पत्थरी का नाम ही साइन बोर्ड पर कुलाल पत्थरी लिख दिया गया है, जिससे पर्यटन नगरी धर्मशाला में देश-विदेश से आने वाले सैकड़ों पर्यटकों को स्थान का नाम ही गलत पढ़ने को मिल रहा है। इसके अलावा साइन बोर्ड में, ‘भागसूनाग’ शब्द के स्थान पर कई जगह ‘भागसूनाथ’ लिख दिया गया है। इसके साथ ही हिमाचल पथ परिवहन निगम की ‘हिमसुता’ वोल्वो बस का नाम ‘हिमसूता’ लिख दिया गया है। इसके अलावा कई सरकारी विभागों के नाम की पट्टिकाओं में कई शब्द गलत अंकित किए गए हैं। धर्मशाला के ‘कचहरी’ को ‘कचैहरी’ तथा मकलोडगंज को भी कई स्थानों व बसों में गलत लिखा जाता है। सरकारी विभागों, निजी संस्थानों और अन्य कई स्थानों में हिंदी के कई शब्दों को गलत ही लिख दिया जाता है, लेकिन अब मात्र 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाकर राजभाषा को सांत्वना दिए जाने का कार्य किया जाता है। हालांकि सभी विभागों को मातृ भाषा हिंदी में कार्य किए जाने की हिदायतें दी गई हैं। बावजूद इसके हिंदी को अब तक कार्यालयों के कार्य में प्रयोग में ही नहीं लाया जा रहा है। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में कई विभागों, संस्थाओं और संस्थानों में औपचारिकताएं निभाने के लिए समारोह का आयोजन किया जाता है। इसके बाद विभागों और संस्थानों द्वारा अगले वर्ष तक हिंदी को भुला दिया जाता है।