पांच आरोपियों को गुजरात ले गई सीबीआई

सात-आठ दिन  के भीतर आएगी रिपोर्ट, जांच एजेंसी को मामला सुलझाने में मिलेगी मदद

शिमला  – हिमाचल के कोटखाई में छात्रा गैंगरेप व मर्डर मिस्ट्री का राज अब नार्काे टेस्ट खोल  सकता है। सीबीआई पांच आरोपियों का टेस्ट करवाने जा रही है। इसके लिए जांच एजेंसी इन सभी को गुजरात ले गई है। इससे इस प्रकरण को सुलझाने में सीबीआई को मदद मिलेगी। कोटखाई  छात्रा गैंगरेप व मर्डर मामले में पकड़े गए पांच आरोपियों की असल में क्या भूमिका रही है, इसका राज अब जल्द सामने आएगा।  इसके लिए सीबीआई इनका नार्को टेस्ट करवाने जा रही है। पकड़े गए आशीष चौहान के अलावा राजेंद्र उर्फ राजू, दीपक, सुभाष बिष्ट व लोकजन को गुजरात ले जाने की सूचना है। बताया जा रहा है कि इन सभी को लेकर बुधवार रात सीबीआई की टीम शिमला से गुजरात के गांधीनगर रवाना हुई है, जहां इनका टेस्ट करवाया जाएगा। नार्को टेस्ट की रिपोर्ट सात से आठ दिनों में सीबीआई को मिलेगी। इससे सीबीआई को कुछ अहम जानकारी मिलने की संभावना है, जो कि इस केस को सुलझाने में जांच एजेंसी के लिए मददगार साबित हो सकती है। दरअसल हिमाचल पुलिस के विशेष जांच दल ने छात्रा गैंगरेप व मर्डर मामले में आशीष चौहान सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से आशीष चौहान को पुलिस ने 12 जुलाई को ही गिरफ्तार कर लिया था, जबकि 13 जुलाई को पांच और आरोपियों, राजेंद्र उर्फ राजू, दीपक, सुभाष बिष्ट, लोकजन व सूरज को गिरफ्तार किया गया। इनमें से एक आरोपी सूरज की पुलिस हिरासत में हत्या कर दी गई। पकड़े गए आरोपियों में राजू पिकअप गाड़ी का चालक था और हलाईला में एक बागीचे का मैनजेर था। वहीं बाकी चार मजदूर उसके साथ ही काम करते थे। पुलिस ने तब इस केस को सुलझाने की दलील दी थी। पुलिस मुख्यालय में डीजीपी सोमेश गोयल और आईजी जहूर जैदी ने बाकायदा प्रेस कान्फ्रेंस कर इसकी मीडिया को जानकारी दी थी, लेकिन गिरफ्तारी से ठीक पहले कुछ संदिग्धों के फोटो वायरल हो गए। यही नहीं मुख्यमंत्री के ट्विटर व फेसबुक अकाउंट पर भी इन संदिग्धों के फोटो  अपलोड किए गए थे, हालांकि कुछ ही समय में ही इनको हटवा भी दिया गया। इससे पुलिस की कार्रवाई को लेकर राज्य के लोगों में संदेह और भी बढ़ गया। लोगों और छात्रा के परिजनों का आरोप रहा है कि इस मामले में असली गुनहगारों को नहीं पकड़ा गया है।  आरोप है कि राजू और उसके साथी मजदूरों को पुलिस ने गढ़ी हुई कहानी के आधार पर पकड़ा है। हालांकि पुलिस द्वारा यह बात भी कही गई कि सभी आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल लिया है।  सीबीआई को मामला ट्रांसफर होने के बाद इन आरोपियों को लेकर जांच पड़ताल की गई। सीबीआई को पूछताछ के दौरान इन लोगों ने कई बातें कही हैं, लेकिन  सीबीआई को इनके दिए कुछ बयानों पर संदेह है। हालांकि नार्को टेस्ट अदालत में सबूत के तौर पर मान्य नहीं है, लेकिन इससे सीबीआई को कुछ अहम जानकारी मिल सकती है।