पांच साल में स्कूल के दो कमरे नहीं बना पाए विभाग-सरकार

क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक पाठशाला डंगोह खास में सरकार की शिक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर चुके पूर्व विद्यार्थियों ने इस ओर उचित कदम नहीं उठाने को लेकर कड़ी निंदा की है। डंगोह खास स्कूल के प्राइमरी स्कूल में पांच कक्षाएं मात्र दो कमरों में चल रही हैं। स्कूल की बिल्डिंग पीडब्ल्यूडी द्वारा असुरक्षित घोषित की जा चुकी है। भवन को प्रशासन द्वारा गिराने की जहमत नहीं उठाई है, जिससे स्कूल परिसर में पढ़ते-खेलते नौनिहालों पर असुरक्षित भवन के गिरने का खतरा मंडरा रहा है। जर्जर भवन को न गिराने और नए भवन का कार्य शुरू न होने की वजह से ओल्ड स्टूडेंट्स जिला प्रशासन के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। जब ‘दिव्य हिमाचल’ ने इस बारे में उनकी राय जानी तो उन्होंने कुछ यूं रखी दिल की बात

शिक्षा का मजाक

ओल्ड स्टूडेंट्स मनोहर लाल शर्मा ने बताया कि सरकार मुफ्त शिक्षा एवं मुफ्त भोजन देती है, लेकिन एक कमरे में दो कक्षाओं को एक साथ पढ़ाया जाना शिक्षा का मजाक है।

नहीं हुआ समाधान

ओल्ड स्टूडेंट, अभिभावक एवं समाजसेवी संजू जसवाल ने बताया कि इस स्कूल को नया भवन दिलाने के लिए जिला प्रशासन के हरेक अधिकारी के पास लिखित एवं मौखिक रूप से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई उचित कदम नहीं उठाए गए हैं, समस्या का जल्द समाधान हो।

जल्द गिराएं भवन

रिकी जसवाल ने बताया कि एक तरफ सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चे बढ़ाने के लाखों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन डंगोह स्कूल में बच्चों की संख्या होने के बावजूद पांच वर्ष पूर्व अनसेफ  घोषित किए गए भवन को नहीं गिराया गया है। न ही नए भवन को बनाने के लिए कोशिश हो रही।

नहीं मिला बजट

ओल्ड स्टूडेंट रामपाल ने बताया कि स्कूल की दुर्दशा हो चुकी है, लेकिन उचित कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। डंगोह स्कूल को बजट देने के नाम पर सरकार उपेक्षा कर रही है। पांच वर्षों से दो कमरों में पांच कक्षाएं चल रही हैं। ऐसे में सपनों के भारत का निर्माण कैसे होगा।

शुरू करेंगे आंदोलन

ओल्ड स्टूडेंट अनुज जसवाल का कहना है कि जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को इस ओर उचित कदम उठाए जाने चाहिएं। इस स्कूल की दयनीय हालत किसी से छिपी नहीं है। जल्द ही उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो ओल्ड स्टूडेंट्स आंदोलन करेंगे।

मूकदर्शक बना विभाग

ओल्ड स्टूडेंट अनिल जसवाल ने कहा है कि स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे नौनिहाल कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं। विभाग, प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है, जिसके चलते जल्द ही इस ओर उचित कदम उठाए जाएं, ताकि नौनिहालों का भविष्य निखर सके।