प्रदेश के राशन डिपो खाली

शिमला — राज्य के राशन डिपो खाली चल रहे हैं। डिपुओं में न तो सभी दालें मिल रही हैं और न ही नमक। सरकार ने मनपसंद दालें देने की बात कही थी, लेकिन सभी दालें डिपुओं में नहीं मिल रही। नमक तो काफी अरसे से गायब चल रहा है। विपक्षी भाजपा भी जनता से जुड़े इस मुद्दे पर मौन बनी हुई है। सरकार ने लोगों को राशन डिपुओं के माध्यम से मनपसंद दालें देने का फैसला लिया था। सरकार के आदेशों के बाद राज्य खाद्य आपूर्ति निगम ने इन दालों की सप्लाई के लिए जून में ही टेंडर करवा भी दिए थे। इनमें दाल चना, माह, मूंग साबुत, मल्का, राजमाह, काबूली चना और काला मसूर की दालें शामिल थीं। इन दालों की सप्लाई के लिए खाद्य आपूर्ति निगम ने 23 जून को टेंडर खोलकर सरकार को भेजा था, लेकिन टेंडरों की फाइल सरकार के पास पड़ी रही। हालांकि इसके लिए जीएसटी वजह बताई जा रही थी। तर्क दिया गया था कि जीएसटी लागू होने के बाद दालों के रेट कम हो गए थे, जबकि ये टेंडर पहले ही करवाए जा चुके थे। इसके बाद सरकार ने दालों के सप्लायर से बातचीत कर टेंडर फाइनल किया, जिसमें काफी समय निकल गया। इस तरह काफी समय तो ऐसे ही बीत गया। अब जो दालें दी गई हैं, वे भी पर्याप्त नहीं हैं। सरकार ने डिपुओं में दालों की जो मात्रा जारी की है, उनमें कुछ की मात्रा कम है। बताया जा रहा है कि इनमें माह, दाल चना, मल्का और काला मसूर की मात्रा 21-21 फीसदी है, जबकि राजमाह छह फीसदी और मूंग व काबूली चना की मात्रा करीब पांच-पांच फीसदी है। इस तरह डिपुओं में इनकी सप्लाई करने की बात तो कही जा रही है, लेकिन इनका हिस्सा कम है। प्रदेश के राशन डिपुओं में कहीं भी सभी दालें उपलब्ध नहीं हैं। लोगों को वही दालें लेनी पड़ रही हैं, जो डिपुओं में बची हैं। आटा भी मात्र दस किलो ही दिया जा रहा है और चावल की मात्रा भी छह किलो ही है। इस तरह राशन डिपुओं में खाद्य वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में लोगों के लिए उपलब्ध नहीं हैं। वहीं विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी भी इस मसले पर मौन दिखाई दे रही है।

विपक्ष चुप क्यों

कायदे से विपक्ष को जनता से जुड़ा यह अहम मसला उठाना चाहिए था और बेहतर होता कि वह इसको लेकर धरना-प्रदर्शन करता। हालांकि कभी-कभी विपक्ष की ओर से इस संबंध में हल्के ब्यान जारी किए जा रहे हैं। विपक्ष की चुप्पी पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं।