फर्म को 1.70 करोड़ जुर्माना

By: Sep 18th, 2017 12:15 am

परवाणू के एक व्यापारी पर गाज

newsसोलन – परवाणू की एक फर्म को नोटबंदी के दौरान दस करोड़ रुपए अपने खाते में जमा करवाना महंगा पड़ा है। प्रदेश के आबकारी एवं कराधान विभाग ने इस मामले में गुप्त रूप से जांच करके फर्म को एक करोड़ 70 लाख रुपए का कर व जुर्माना लगाया है। परवाणू के एक व्यापारी ने दो अलग-अलग फर्मों से कारोबार चलाया हुआ था। नोटबंदी के दौरान इन फर्मों में अचानक दस करोड़ जमा हो गए। आबकारी एवं कराधान उपायुक्त उड़नदस्ता (दक्षिण रेंज) डा. सुनील कुमार ने बताया कि इस गुप्त सूचना के आधार पर व्यापारी की परवाणू स्थित दो फर्मों का फरवरी में निरीक्षण किया गया। शुरू में व्यापारी ने जांच प्रक्रिया से बचने की भरसक कोशिश की, लेकिन जब विभाग ने उसका टिन ब्लाक किया और अन्य ऑनलाइन सेवाएं भी बंद कर दीं तो व्यापारी को जांच प्रक्रिया में शामिल होना ही पड़ा। जांच के दौरान व्यापारी की एक फर्म में कई अनियमितताएं पाई गईं, जैसे कि व्यापारी प्रदेश के बाहर से प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए का सामान लाता था, फिर उस सामान से इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्माण करता था। वह इन तैयार इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को प्रदेश में भी बेचता था व कुछ भाग प्रदेश के बाहर भी भेजता था। ऐसा करते हुए वह अपने ग्राहकों से वैट व सीएसटी के नाम पर भारी वसूली भी करता था, लेकिन जब विभाग को कर अदायगी का समय आता तो वह अपनी अधिकांश बिक्री को करमुक्त दिखाकर मात्र कुछ हजार रुपए ही सरकारी कोष में जमा करवाता था या बाहर से खरीदे गए सामान के अधिकांश भाग को विभाग से छिपा लेता था। इसके अतिरिक्त विभागीय बैरियरों पर दर्शाए गए आयातित सामान व व्यापारी द्वारा रिटर्न पर अंकित आयात में काफी अंतर पाया गया। जांच के दौरान यह भी पाया गया कि व्यापारी द्वारा भारी भरकम सामान ढोने के लिए प्रयोग में दिखाए गए कुछ वाहन स्कूटर, मोटरसाइकिल या कार थी, जिन पर भारी सामान ढोना संभव नहीं था। प्रदेश के बाहर स्थित कुछ व्यापारी फर्जी भी पाए गए। व्यापारी ने अपने लिए खरीदी हुई एक महंगी कार पर अदा किए हुए टैक्स का भी कर अदायगी करते समय आईटीसी के रूप में क्रेडिट ले डाला। यह गोरखधंधा पिछले कई वर्षों से चला हुआ था और प्रत्येक वर्ष व्यापारी द्वारा विभाग को लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा था।

अकाउंट ब्रांच के सिर फोड़ा ठीकरा

पकडे़ जाने पर व्यापारी ने फर्म की गलती तो कबूल तो कर ली, परंतु इस गलती का ठीकरा अपनी अकाउंट ब्रांच के सिर पर फोड़ दिया। यद्यपि जांच के दौरान यह पूरी तरह से सिद्ध हो गया कि असली दोष व्यापारी ही का था और वह जानबूझ कर इस टैक्स चोरी में संलिप्त था। इस मामले में एक करोड़ 70 लाख का कर व जुर्माना लगाया गया, जिसमें से व्यापारी ने 25 लाख रुपए की राशि सरकार को अदा कर दी है व शेष राशि के लिए उसे दो माह का समय दिया गया है। यह केवल एक फर्म से संबंधित मामला है, जबकि दूसरी फर्म के संदर्भ में छानबीन अभी जारी है। मामला सुलझाने में आबकारी व कराधान अधिकारी डा. अमित शोष्टा, इंस्पेक्टर रीमा सूद, इंस्पेक्टर रूपिंद्र सिंह व इंस्पेक्टर कुलदीप शर्मा ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।


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