बंद होगी शराब ठेकेदारों की मनमर्जी

एमआरपी हटाने से सरकारी राजस्व को नहीं हुआ फायदा, लागू होगी पुरानी व्यवस्था

मंडी— हिमाचल प्रदेश में शराब के मनमाने दाम वसूलने की मिली छूट पर सरकार नकेल कसने की तैयारी में है। शराब की बोतल पर अधिकतम विक्रय मूल्य (एमआरपी) की व्यवस्था को फिर से लागू किया जा सकता है। मौजूदा वित्तीय वर्ष से नई नीति के तहत आबंटित किए गए शराब ठेकों की नीति को लेकर फिर से आबकारी विभाग समीक्षा करने में लगा हुआ है, जिसमें शराब की बोतल से एमआरपी हटाने के निर्णय को सरकार ने सही नहीं पाया है। इस बात को लेकर लोगों की सैकड़ों शिकायतें मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और आबकारी मंत्री प्रकाश चौधरी के पास पहुंची हैं, जिसके बाद अब सरकार फिर से शराब की बोतल का अधिकतम विक्रय मूल्य निर्धारित करने की तैयारी में है। स्वयं आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चौधरी ने बताया कि पुरानी व्यवस्था को फिर से बहाल करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है और इसे शीघ्र ही मंत्रिमंडल की बैठक में पेश किया जाएगा। उन्होंने माना कि शराब की बोतल पर से एमआरपी हटाने से सरकार को कोई फायदा नहीं हुआ है, बल्कि इससे शराब उपभोक्ता लुट रहे हैं। शराब के दाम ठेकेदारों द्वारा अपनी मर्जी से कई गुना बढ़ा दिए गए हैं, जिससे सारा राजस्व सिर्फ उनकी जेब में जा रहा है और इससे प्रदेश सरकार के खजाने को फायदा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बारे में काफी शिकायतें लोगों से मिली हैं और सरकार ने इस नीति को सही नहीं पाया है। इसलिए इसे बदलने और फिर से सही मूल्य निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है। अधिकारियों को इसका प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा जा चुका है, जिसे मंत्रिमंडल की मंजूरी में लाया जाएगा।

जीएसटी से जनता पर ज्यादा भार

आबकारी मंत्री प्रकाश चौधरी ने कहा कि जीएसटी लागू होने से जनता पर काफी भार बढ़ा है। इसके साथ कारखानों की रफ्तार भी रुक गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस 14 प्रतिशत का जीएसटी लाना चाहती थी तो भाजपा ने विरोध किया गया था। जबकि 28 प्रतिशत तक का जीएसटी थोप दिया गया है, जो कि सही नहीं है।