बैंटनी कैसल पर जल्दबाजी में सरकार

प्रोजेक्ट के लिए हेरिटेज कमेटी ने दी सिर्फ सैद्धांतिक मंजूरी, 19 को रख दिया शिलान्यास

शिमला— वीरभद्र सरकार काफी जल्दी में दिख रही है। शिमला में पिछले छह वर्षों से लटके पड़े बैंटनी कैसल के भूमि अधिग्रहण को हालांकि मंजूरी भी मौजूदा सरकार ने ही दी है, बावजूद इसके तमाम औपचारिकताएं पूरी किए बिना ही अब आनन-फानन में इस करोड़ों के प्रोजेक्ट का  शिलान्यास करने की तैयारी की जा चुकी है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 40 करोड़ से बनने वाले इस प्रोजेक्ट का नींव पत्थर 19 सितंबर को रखने जा रहे हैं। शुक्रवार को हेरिटेज कमेटी की बैठक आयोजित की गई। सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी ही दी गई, जबकि शिलान्यास के लिए यह आवश्यक था कि इसको सीधे मंजूरी दी जाती। ऐसे में इस प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने में दिक्कतें पेश आ सकती हैं। अभी तक इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तक नहीं बन सकी है। एशियन डिवेलपमेंट बैंक ने इस हेरिटेज इमारत को म्यूजियम में तबदील करने के लिए फंडिंग करने की सहमति जताई है। अब जिस तरह से हेरिटेज कमेटी ने इसे इनप्रिंसीपल ही मंजूरी दी है, उससे तकनीकी तौर पर भी दिक्कतें पेश आ सकती हैं। नई सरकार मेें इस प्रोजेक्ट का इस कदम से रिव्यू भी हो सकता है। सवाल ये उठ रहे हैं कि तमाम औपचारिकताओं को पूरी किए बिना आखिर सरकार इतनी जल्दी में क्यों है। गौर हो कि राजधानी शिमला के बीचोंबीच बेशकीमती व हेरिटेज इमारत बैंटनी कैसल के अधिग्रहण का मामला पहले छह वर्षों तक लटका रहा। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने तीन वर्ष पहले इसके न केवल अधिग्रहण के निर्देश दिए थे, बल्कि यहां एक बहुआयामी पार्क व म्यूजियम बनाने के भी निर्देश दिए थे। इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया व विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी। भू-मालिक व अन्य पक्षों की आपत्तियां इस रिपोर्ट में दर्ज थीं। उसके बाद यह मामला कानून विभाग को भेजा गया था। करीब साढ़े पांच बीघा भूखंड व इमारत का अधिग्रहण भाषा, कला एवं सस्कृति विभाग द्वारा किया गया है। यह जमीन व इमारत पूर्व सरकार के समय से ही विवादों में रही है। आरोप थे कि ब्रिटेन के किसी व्यवसायी के साथ इसका करोड़ों में सौदा होने जा रहा था। इस निजी संपत्ति को बाद में तत्कालीन सरकार ने भी अधिगृहीत करने का ऐलान करते हुए कहा था कि यहां सार्वजनिक सुविधाओं पर आधारित केंद्र बनाया जाएगा, लेकिन बाद में ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया। कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए ऐसे किसी सौदे को लेकर विरोध भी दर्ज किया था। यहां तक कि विधानसभा में भी यह मुद्दा बना। जैसे ही कांग्रेस सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस बेशकीमती जमीन का अधिग्रहण करने के निर्देश देते हुए कहा कि यह पर्यटन के महत्त्व की है। यहां होटल या रिजॉर्ट नहीं, बल्कि पर्यटकों व स्थानीय लोगों की सुविधार्थ पार्क के साथ-साथ म्यूजियम बनाया जाना चाहिए। इसके लिए अब तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है, मगर ताजा कदम ने इस पूरे प्रोजेक्ट पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।