मोदी की लीडरशिप में फ्रंटफुट पर खेलने का मजा

By: Sep 29th, 2017 12:15 am

newsशांता-धूमल को सर्वश्रेष्ठ लीडर मानने वाले पूर्व सांसद सुरेश चंदेल का मानना है कि मोदी की अगवाई में भाजपा आक्रामक होकर बेहतर काम कर रही है। पार्टी जो चाहती है, वह हो जाता है। हालांकि अभी चुनाव लड़ना जहां महंगा है, तो सियासत में खुद को बचाना भी बड़ा चैलेंज है। अपने अक्स में नेताजी सीरीज के इस अंक में प्रस्तुत है सुरेश चंदेल का विजन…

दिव्य हिमाचल डेस्क

दिव्य हिमाचल : मौजूदा राजनीति को कैसे देखते हैं? आधुनिक दौर में क्या मुश्किलें आ रही हैं?

सुरेश चंदेलः मौजूदा राजनीति में गला काट स्पर्धा है। हर किसी को लगता है कि आगे वाला गिरेगा,तभी मुझे मौका मिलेगा। दूसरे को नीचा दिखाकर आगे बढ़ना आसान लगता है। इसी तरह खुद को बचाना भी बड़ी चुनौती है।

दो दशक पहले और मौजूदा चुनावों में क्या बड़ा अंतर देखते हैं?

सुरेश चंदेलः अब बिना पैसे के विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ना आसान नहीं है। मुझे याद है कि कैसे मैंने महज सात लाख  रुपए में लोकसभा जैसा बड़ा चुनाव लड़ लिया था। अब ऐसे चुनावों का खर्च तीन गुना बढ़ गया है। किसी भी कैंडीडेट के लिए पर्याप्त बजट का होना अब चुनावों में जरूरी हो गया है। इसी तरह अब राजनीति भी सहज नहीं रही। अब वोटर चाहता है कि विधायक या सांसद उससे सीधी बात करे। उसकी निजी उम्मीदों पर खरा उतरे।

तो क्या राजनीति सरल नहीं रही ?

सुरेश चंदेलः अब राजनीति सहज तो नहीं रही। आज से 10 साल पहले की बात की जाए,तो तब ज्यादातर समस्याएं जनहित की आती थीं,अब व्यक्तिगत मसले ज्यादा हावी होते हैं। मसलन हैंडपंप,नलके, ट्रांसफर,सिलाई मशीन जैसे मसलों में ही बेहद जरूरी समय नष्ट हो जाता है। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि जनप्रतिनिधि चाहे कितना भी विजन रखता हो,वह लोगों के लिए बड़ा काम कभी कर ही नहीं सकता है।  अब तो लोग चाहते हैं कि रोजाना कार्यक्रम हों,तो और उनका नेता हर मांग को पूरा करे।

इसका दोषी कौन है,नेता या जनता?

सुरेश चंदेल : मैं इसमें नेताओं को ज्यादा दोषी मानता हूं। जनता ने अगर किसी को एमएलए चुना है,तो उसमें इतना टेलेंट और हौसला होना चाहिए कि वह सार्वजनिक कार्यों का महत्व बता पाए। नेता अगर जनता को छोटी-छोटी चीजों का लालच देगा,तो संभवतः बड़े प्रोजेक्टों पर काम नहीं हो पाएगा। इससे विधानसभा या संसदीय क्षेत्र पिछड़ता चला जाएगा और एकमात्र वजह होगी,नेता की नाकामी।

वाजपेयी और मोदी सरकार में काम करने के तरीके में कौन-कौन सा फर्क नजर आता है?

सुरेश चंदेलः  मेरा मानना है कि वाजपेयी सरकार को ज्यादा लिबरल होने की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। तब सहयोगी दलों पर ज्यादा निर्भरता थी। अब ऐसे हालात नहीं हैं। पूर्ण बहुमत होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवाई में भाजपा अब आक्रामक होकर काम कर रही है। आक्रामकता ऐसी कि जो पार्टी कहती है,उसे तय समय में पूरा कर दिखाती है।

हिमाचल प्रदेश की राजनीति में कौन सर्वश्रेष्ठ है ?

सुरेश चंदेल : शांता कुमार और पे्रम कुमार धूमल हिमाचल की राजनीति के सर्वश्रेष्ठ नेता हैं,इसमें कोई शक नहीं है।

वीरभद्र सिंह 50 साल से ज्यादा हिमाचल की सियासत में हैं,उनके बारे में क्या कहेंगे?

सुरेश चंदेल : वीरभद्र सिंह को अब सियासत से  संन्यास ले लेना चाहिए। वैसे भी इस कार्यकाल में तो उन्होंने बिना सोचे समझे नौकरियों के वादों और शिक्षा संस्थानों की झड़ी लगा दी है। ऐसा करना कतई प्रदेश हित में नहीं है।

क्या यह समझा जाए कि इन चुनावों में सिर्फ वीरभद्र को ही चुनावी मुद्दा बनाएगी? और कुछ नहीं है?

सुरेश चंदेल : वीरभद्र सिंह का भ्रष्टाचार तो मुद्दा है ही,इसके अलावा भाजपा का विजन डाक्यूमेंट आ रहा है।

अगर आपको मौका मिलेगा,तो लड़ेंगे?

सुरेश चंदेलः जी बिलकुल! पार्टी हाइकमान चाहेगा,तो बंबर ठाकुर के खिलाफ जरूर चुनाव लड़ूंगा। जनता की सेवा के लिए हरदम तैयार हूं।

किन मौकों पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया?

सुरेश चंदेलः ऐसे कई मौके आए जब मन बहुत दुखी हुआ,आक्रोशित भी हुआ। खासकर जब मेरे साथ दुखद हादसा (रिश्वत प्रकरण) हुआ,तो दर्द असहनीय था,लेकिन गुस्से को अपनी ताकत बनाकर फिर से जनता की सेवा के लिए तैयार किया है।

ब्यूरोक्रेसी में कितना पॉल्यूशन 

एक सवाल के जवाब में चंदेल ने कहा कि  ब्यूरोक्रेसी में पॉल्यूशन आया है,लेकिन सभी ऐसे नहीं हैं। ऐसे चंद ही लोग हैं,जो नेता के कहने पर चलते हैं। हिमाचल अगर लगातार प्रगति कर रहा है,तो इसमें होनहार ब्यूरोक्रेट्स का बहुत योगदान है।

बंदरों पर मेनका गांधी का स्टैंड सही

हिमाचल में आफत बन चुके बंदरों पर सुरेश चंदेल केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का समर्थन करते हैं। भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के नाते जब उनसे बंदरों से निपटने का उनका प्लान पूछा,तो उन्होंने कहा कि मेनका गांधी अपनी जगह सही हैं। सभी को जीने का हक है।

दिल्ली से सदर अच्छा है

सुरेश चंदेल को दिल्ली से ज्यादा सदर हलके में रहकर काम करना अच्छा लगता है। सदर में अभी करने के लिए बहुत कुछ है। दिल्ली में रहकर काम करने के उतने मौके नहीं मिलते,जितने बिलासपुर में हैं। पार्टी हाइकमान चाहेगा,तो वह सदर विधानसभा हलके से जरूर लड़ेंगे। चंदेल यह भी मानते हैं कि सांसद शांता कुमार और प्रो प्रेम कुमार धूमल मौजूदा समय में सर्वश्रेष्ठ नेता हैं।


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