मुलाकात
कोई वंचित न रहे योग से…
योग की ओर आपका आना संयोगवश हुआ या कोई अन्य वजह?
योग की ओर आना कोई संयोग नहीं था बल्कि एक बहुत बड़ा कारण था अपनी संस्कृति और मूल्यों की धरोहर को संजोकर रखना तथा जन-मानव को इसके बारे में अवगत करवाना रहा है। किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए एकाग्रता और दृढ़ इच्छा शक्ति का होना अनिवार्य है, जो केवल योग विद्या के कारण ही ग्रहण की जा सकती है। यही कारण कि मेरा योग के प्रति आकर्षण बढ़ता गया।
योग शिक्षा से या अभ्यास से पूर्ण होता है?
अज्ञानता हमें किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं होने देती। शिक्षा का प्रकाश की हमें अज्ञानता के अंधकार से लड़ने की शक्ति देता है। इसलिए शिक्षा की अनिवार्यता से इनकार नहीं किया जा सकता। योग दर्शन के अनुसार ‘तत्र स्थितौ यत्नोभ्यास’ अर्थात अभ्यास और वैराग्या से चित की स्थिति अत्न करना अभ्यास है। अतः अभ्यास के बिना किसी भी कार्य में पूर्णता और दक्षता प्राप्त करना असंभव है।
भारतीय मूल्यों में योग की परिभाषा?
‘योगश्चित वृति निरोध’ अर्थात चित की वृतियों का निरोध ही योग है। ‘अथयोगा अनुशासनम’ अर्थात अनुशासन की योग है। गीता में भी लिखा गया है। ‘योगः कर्म शुकौशलम’ अर्थात कर्म की कुशलता ही योग है। योग शब्द का शाब्दिक अर्थ है- जोड़ना अर्थात आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ना ही योग है।
यह पुरस्कार आपके लिए क्या मायने रखता है?
यह मेरा एक सपना था। जिसने मेरे जीवन में एक नया इतिहास रचा दिया है। यह सब मेरे गुरुजनों , माता-पिता, बच्चों तथा सहयोगियों के आशीर्वाद से ही संभव हो पाया है।
बच्चों में सहज योग की लाभकारी मुद्रा?
बच्चों में सहज योग की लाभकारी मुद्रा है ज्ञान मुद्रा। ज्ञान मुद्रा जो बच्चों में एकाग्रता का गुण विकसित करती है।
कोई तीन रोग, जिनका निवारण योग से संभव है?
(मधुमेह, उक्त रक्तचाप- स्मृति नाश) योगिक उपचार इस प्रकार हैंः त्रिकोनासन, हलसान धुनर्सान, व्रजासन, भुनमानसन, पद्मासन,भुजंगासन, सर्वांगासन आदि।
महिलाओं के लिए योग की परिधि और अवधि?
महिलाओं को अपनी दिनचर्या में कम से कम एक घंटा योग के लिए निकालना चाहिए।
क्या सरकारी क्षेत्र के तहत योग शिक्षा का वर्तमान स्तर संतोषजनक माना जाएगा?
योग शिक्षा का वर्तमान स्तर सरकारी क्षेत्र में अंतर्गत काफी सीमा तक संतोषजनक है। सरकार योग शिक्षा को प्रोत्साहन करने के लिए विभिन्न प्रकार की कार्यशैलियों कार्यानिवंत कर रही है। ताकि हमारी भावी पीढ़ी कुसंगतियों से दूर रहे।
योग अध्ययन व शोध में हिमाचल को क्या करना चाहिए?
योग अध्ययन और शोध के लिए हिमाचल को प्राइमरी स्तर से बच्चों को योग शिक्षा से प्रति अवगत करवा देना चाहिए तथा सभी स्कूलों, कॉलेजों में योग शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए। ताकि अधिक से अधिक लोग अपनी स्वस्थ जीवन शैली तथा कार्यशैली में योग के महत्त्व का प्रयोग कर सके।
अब तक योगाभ्यास से आपके मन और तन पर सबसे बड़ा प्रभाव?
योगाभ्यास से मैंने जीवन में भौतिकता और आध्यात्मिकता को नैलिस करना सीखा जिससे शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक गुणों का विकास होता है। मैंने स्वयं अनुभव किया है।
जब योग के कारण आप का परिचय दिया जाता है, कोई ऐसी अनुभूति या घटना जिसका जिक्र करना चाहेंगी?
मेरा जीवन पूर्ण रूप से योग को समर्पित है और मुझे योग शिक्षा पर गर्व है। जब मुझे कोई मेरा नाम न लेकर ‘योग कट’ कह कर बुलाता है तो मुझे प्रसन्नता और गर्व महसूस होता है कि मेरी पहचान योग है।
क्या योग के साथ निषेध अनिवार्य है या जीवनशैली में खानपान की सही मात्रा क्या है?
योग के साथ सात्विकता का होना अनिवार्य है। समता का होना भी अनिवार्य है क्योंकि किसी भी वस्तु की अधिकता से हमारे जीवन में हानि होती है।
कोई सपना जिसे पूरा करना चाहती हैं?
मेरा यह सपना है कि योग शिक्षा का अलख घर-घर जगे और इसकी अलौकिकता से कोई वंचित न रहे। राष्ट्र की भावी पीढ़ी स्वस्थ हो, क्योंकि स्वस्थ मस्तिष्क ही स्वस्थ सोच को जन्म दे सकता है।
- राकेश सूद, पालमपुर