रोहिंग्या पर रगड़ा

यदि सहज तर्क से समझा जाए, तो शरणार्थी प्रायः देश के सीमांत हिस्सों में शरण लेते हैं। रोहिंग्याओं के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। वे हैदराबाद से लेकर दिल्ली तक फैले हुए हैं। सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि जिस जम्मू-कश्मीर में भारतीय नागरिकों को निवास की अनुमति नहीं है, वहां करीब 2000 किलोमीटर दूर से आए 10 हजार रोहिंग्या कैसे रहने लगे…

केंद्र सरकार की तरफ से उच्चतम न्यायालय में दाखिल किए हलफनामे ने रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर सक्रिय तमाम दबाव समूहों को तगड़ा झटका दिया है। इस हनफनामे में रोहिंग्या मुसलमानों को आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया गया है। हलफनामे के मुताबिक आतंकी समूह के तौर पर रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय  हैं। हलफनामे में यह भी संभावना जाहिर की गई है कि आतंकी संगठन आईएसआईएस भी रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति का लाभ उठा सकता है।  देश की सुरक्षा की खातिर रोहिंग्या मुस्लिमों का भारत से निर्वासन जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के मुताबिक करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान भारत में रह रहे हैं, जिनमें से 16 हजार लोगों के पास शरणार्थी के दस्तावेज हैं। रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि उनका आतंकवाद और किसी आतंकी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है। अपनी याचिका में रोहिंग्या समुदाय ने यह भी कहा कि उन्हें सिर्फ मुसलमान होने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है। वैसे तो किसी भी अवैध अप्रवासी को भारत में रहने का अधिकार नहीं है, लेकिन यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई के बाद अंततः क्या निर्णय सुनाता है। रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में आगे आए मुस्लिम धर्मगुरुओं ने जुलूस निकाल डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन किया और ज्ञापन भी सौंपा। पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ बयान देने वाले रॉ के पूर्व अधिकारी आरएसएन सिंह की गिरफ्तारी की भी धर्म गुरुओं ने मांग की। दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर रहमां नार्मल स्थित तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत के तत्त्वावधान में ‘रोहिंग्या मुसलमानों’ पर हो रहे जुल्मो-सितम के खिलाफ और रॉ के पूर्व अधिकारी आरएसएन सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मुस्लिम धर्मगुरु दरगाह से शांतिपूर्वक जुलूस की शक्ल में जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। इस दौरान भारत सरकार को संबोधित दो सूत्रीय ज्ञापन भी जिलाधिकारी को सौंपा गया। इससे पहले दरगाह पर रोहिंग्या मुसलमानों के जान, माल, इज्जतो-आबरू की हिफाजत के लिए दुआ की गई। सभी ने एक सुर से रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रही हिंसा को लेकर म्यांमार सरकार की निंदा की। साथ ही भारत सरकार से गुहार लगाई गई कि देश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रहने दिया जाए। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि रोहिंग्या यहां अवैध तरीके से रह रहे हैं और उन्हें वापस भेजा जाएगा। उन्होंने यहां तक कहा था कि इस मामले में किसी को उपदेश नहीं देना चाहिए, क्योंकि भारत उन देशों में से एक है जहां सबसे ज्यादा शरणार्थी रह रहे हैं। निश्चित रूप से रोहिंग्या शरणार्थी एक त्रासद स्थिति का सामना कर रहे हैं और उनके प्रति मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। परंतु इस मुद्दे को पूर्णतः भावनात्मक ढंग से लेने के अपने खतरे भी हैं। यदि सहज तर्क से समझा जाए, तो शरणार्थी प्रायः देश के सीमांत हिस्सों में शरण लेते हैं। रोहिंग्याओं के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। वे हैदराबाद से लेकर दिल्ली तक फैले हुए हैं। सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि जिस जम्मू-कश्मीर में भारतीय नागरिकों को निवास की अनुमति नहीं है, वहां करीब 2000 किलोमीटर दूर से आए 10 हजार रोहिंग्या कैसे रहने लगे। इसमें अंतरराष्ट्रीय लॉबी का दखल दरकिनार नहीं किया जा सकता।