विवादों में गुजरे साल…वानर समस्या बनी सवाल

By: Sep 17th, 2017 12:20 am

20 साल से मुद्दा बने उत्पातियों का अब तक कोई समाधान नहीं, नहीं बन पाया एक भी प्राइमेट पार्क

newsशिमला— प्रदेश में 20 साल से ज्वलंत मुद्दे के तौर पर उठती रही वानर समस्या का स्थायी समाधान पौने पांच सालों में भी नहीं मिल सका। इस मुद्दे पर भाजपा व कांग्रेस दोनों ने ही एक-दूसरे पर वार व पलटवार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, बावजूद इसके यह समस्या जस की तस खड़ी है। यहां तक कि प्रदेश में वानरों की संख्या तक को लेकर विवाद कायम है। हालांकि दावे यही होते रहे हैं कि स्टरलाइजेशन के बाद इनकी संख्या पर नियंत्रण पाया गया है, मगर लोगों का आरोप रहता है कि स्टरलाइजेशन के बाद भी वानर झुंडों में बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं। इसके स्थायी समाधान के लिए वीरभद्र सरकार ने प्राइमेट पार्क स्थापित करने की योजनाएं शिमला, हमीरपुर, सोलन, सिरमौर व कांगड़ा में बनाई थी, मगर तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद लोगों के दबाव में सरकार ने यह योजना पैक कर दी। राजधानी में जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट के समीप जझेड़ क्षेत्र में जमीन का चयन किया गया था, मगर लोगों की आपत्तियों के चलते इसे अब रद्द किए जाने की सूचना है। यहीं से प्राइमेट पार्क की शुरुआत होनी थी। संबंधित प्राइमेट पार्क के लिए इसी वर्ष अप्रैल में निविदाएं आमंत्रित की गई थीं, यहां शिमला व सोलन से पकड़े गए 1000 से भी ज्यादा वानरों को प्राइमेट पार्क में रखा जाना था। यह पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी पूर्व धूमल सरकार के वक्त तारादेवी में ऐसा ही प्रयास किया गया था। लाखों की रकम भी खर्च हुई, मगर प्रोजेक्ट सफल नहीं हो सका। उस दौरान दिल्ली प्राइमेट पार्क के मॉडल पर यह प्रोजेक्ट शुरू करने का ऐलान था, जो सिरे नहीं चढ़ सका। वर्तमान सरकार में प्राइमेट प्रोजेक्ट के लिए सीजेडए से भी अनुमति मिल चुकी थी। मगर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के चुनाव क्षेत्र शिमला ग्रामीण में पड़ने वाले इस इलाके के लोगों ने इसका विरोध किया। नतीजतन विधानसभा चुनाव नजदीक देखते हुए सरकार को भी लोगों की बात माननी पड़ी है। जो डीपीआर तैयार की गई थी, उसमें यह भी कहा गया था कि वानरों के हैबिट्स व हैबिटेट का पूरा ख्याल रखा जाएगा। इससे पहले सिंबलवाड़ा में भी ऐसे ही प्रोजेक्ट की तैयारी थी, मगर इसकी अनुमति नहीं मिल सकी थी। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि लंबे समय तक वानरों को एन्क्लोजर में नहीं रखा जा सकता। अब जो प्राइमेट पार्क शिमला के समीप स्थापित किया जाना था, वह एक सेंक्चुरी की शक्ल का था, मगर यह योजना भी अब पैक कर दी गई है। इसमें स्टरलाइज्ड बंदरों को रखा जाना था। विशेषज्ञों का कहना था कि यह प्रोजेक्ट यदि सफलता की कसौटी पर सही उतरता, तो हमीरपुर, सोलन व प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे प्राइमेट पार्क बन जाते।

प्रदेश में सवा तीन लाख बंदर

प्रदेश में वानरों की संख्या सवा तीन लाख है। अब तक एक लाख 42 हजार वानरों की स्टरलाइजेशन की जा चुकी है। प्रदेश में स्थित नौ केंद्रों में हर रोज लगभग पांच बंदरों की स्टरलाइजेशन करने का दावा होता है, मगर यह कितनी सफल रहती है, वानरों के झुंडों में नए बच्चे इसकी मिसाल हो सकते हैं।


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