शील्ह खड्ड नहीं बुझा सकी लोगों की प्यास

राजनीति की ऊंची आवाज में दबी रही जनता की आवाज

कलखर— सत्ता बदलते ही विकास की योजनाएं प्रभावित होती हैं। हजारों लोग तरसते रहें, लेकिन राजनीति की ऊंची आवाज में आम जनता की आवाज दब जाती है। पांच साल से भी अधिक समय बीतने के बाद जिस योजना के निर्माण को एक पत्थर न लगे, उसे राजनीतिक उपेक्षा नहीं कहा जाए तो क्या कहा जा सकता है? इसका जीता जागता उदाहरण सरकाघाट उपमंडल की उठाऊ पेयजल योजना शील्ह खड्ड है, जिसका शिलान्यास तो मार्च, 2012 में कर दिया गया है, लेकिन पांच वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी योजना बनकर तैयार नहीं हो सकी। इस योजना के नाम पर सिर्फ एक टैंक और कुछ पाइप लाइन बिछाई गई है। जो पत्थर शिलान्यास पट्टिका के रूप में लगे थे, उन्हें तोड़-फोड़ दिया गया है। नतीजतन आठ गांवों की प्यास इस योजना से बुझनी थी, लेकिन इन गांवों के लोग आज भी पानी  के लिए तरस रहे हैं। बता दें कि पेयजल योजना शील्ह खड्ड से धनेड पटड़ीघाट का शिलान्यास मार्च 2012 में विधायक कर्नल इंद्र ने किया था। इस योजना के तहत पटड़ीघाट पंचायत के आधा दर्जन से अधिक गांव जिनमें पटड़ीघाट, हंसाल, धनेड, हड़सर, गुलेला, जखेड़, जधरयानी और तलमेड़ को लाभ मिलना था। इस योजना के लिए लगभग एक करोड़ खर्च होना था, लेकिन सरकार बदलने और राजनीतिक उठा पटक के चलते यह योजना पांच वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकी। स्थानीय लोगों में पटड़ीघाट के प्रधान लेखराज, वार्ड पंच रोशनी देवी, अजय कुमार, दीपक खूब राम, जगत रात, हेम राज, पुष्प राज, नंद लाल, मर्चू राम, पद्म नाभ, श्याम लाल, यशवंत, सुरेश, खेम चंद और टेक चंद आदि लोगों का कहना है कि योजना के न बनने से हजारों ग्रामीण पर्याप्त पानी के लिए तरस रहे हैं।

अब टालमटोल कर रहा विभाग

इस योजना के मुख्य स्रोत पर न तो टैंक बनाया गया, न ही कोई कार्य किया गया। जल भंडारण टैंक जिसकी भंडारण क्षमता एक लाख 12 हजार लीटर की है, के लिए आधी-अधूरी पाइप चहेतों को लाभ देने के लिए बिछा दी गई। अब योजना के न बनने से लोगों की समस्या पहले की तरह ही बनी हुई है, जबकि विभाग इस योजना को लेकर अब टालमटोल करने तक ही सीमित है।