सड़क सुविधा को तरस रहा किलोड़

By: Sep 26th, 2017 12:15 am

‘‘उम्मीदों की नींव पर ही सही, इक पुल चाहिए। गांव-शहर से जुड़ें, डग भरने का हमें भी हक चाहिए।’’मगर विडंबना यही रही कि लगातार उम्मीदों के कई पुल ढह गए और कई सोचे भी न जा सके। भौगोलिक परिस्थितियां सियासत के दृष्टिकोण पर इतनी भारी पड़ेंगी यही सोच कर भाषणबाजों पर तरस आता है। जब पता चलता है कि फलां भवन का नींव पत्थर 1980 में रखा गया या फिर 15 बर्ष से उद्घाटन को तरस रही सड़क। या फिर शहीद अथवा स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर घोषणाएं। ये तमाम बातें कुछ समय बाद जनता को सुविधा नहीं मिलने पर एक टीस जरूर दे जाती है। जनता को मतदाता समझने वाले राजनेताओं को पांच वर्ष बाद याद आती है, तब तक लोग ऊब चुके होते हैं और फिर अपने हकों की आवाज उठाते हैं। लोगों के इसी दर्द का हिस्सा बनने के लिए प्रदेश के अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ अपनी नई सीरीज ‘हक से कहो’ के तहत जनता की आवाज बनकर आगे आ रहा है

राकेश कपूर, उदयपुर

मूलभूत सुविधाओं को  तरस रहे

किलोड़ पंचायत के सेरी गांव के जोगिंद्र चौहान का कहना है कि इलाके में लड़खड़ाई शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। राजनीतिक लाभ की चेष्टा से स्कूल खोले गए हैं।

आजादी के बाद भी नहीं मिली सड़क

किलोड़ के सनखा गांव के मस्त राम का कहना है कि लिल्ह-धरवाला सड़क की बिगड़ी हालत में सुधार लाने को लेकर कोई कार्य नहीं हो पाया है। गैर जनजातीय क्षेत्र का हिस्सा होने के बाद भी लिल्ह क्षेत्र के कई पंचायतें आजादी के बाद से भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाई है।

घोषणाओं तक सिमटी हर सुविधा

कुनेड़ गांव के लक्की ठाकुर का कहना है कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी पंचायत के कई गांवों के लोगों का सड़क सुविधा से जुड़ने का सपना साकार नहीं हो पाया है। इलाके में शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं भी बुरी तरह चरमराई हुई हैं। क्षेत्र में विकास महज घोषणाओं तक सिमटा हुआ है।


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