सियासत के साए में सालों से सिसक रहा ऊना का सीएसडी डिपो

By: Sep 25th, 2017 12:15 am

newsऊना – जिला ऊना में सीएसडी डिपो खोलने की कवायद सिरे नहीं चढ़ पा रही है। पिछले एक दशक से सीएसडी डिपो खोलने को लेकर राजनीतिक दलों में बयानबाजी का दौर जारी है, लेकिन धरातल पर कोई प्रगति इस दिशा में नहीं हो पाई है। जिला प्रशासन ने सीएसडी डिपो की स्थापना के लिए बरनोह गांव में करीब 300 कनाल भूमि चिन्हित की थी, लेकिन पिछले वर्ष सेना ने बरनोह में उपलब्ध करवाई गई भूमि को रिजेक्ट कर दिया, जिसके बाद अब यह मामला फिर से लटक गया। बरनोह की भूमि रिजेक्ट किए जाने के एक वर्ष बाद तक भी प्रशासन किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर सेना को जमीन नहीं दिखा पाया है। सेना ने अन्यत्र उपयुक्त भूमि उपलब्ध करवाने के लिए प्रशासन से आग्रह किया है। बदली परिस्थितियों में सीएसडी डिपो कुटलैहड़ हलके से छिटक कर अंब उपमंडल में भी जा सकता है। जिला प्रशासन ने अंब उपमंडल में दो से तीन साइट्स इसके लिए चिन्हित की हैं, लेकिन अभी तक इसके बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। सेना को सीएसडी डिपो की स्थापना के लिए करीब 300 कनाल समतल भूमि चाहिए। बरनोह में सेना को इसके लिए भूमि उपलब्ध करवाई गई थी, जिसे सेना ने पहले अप्रूव भी कर दिया था, जिसके बाद जिला प्रशासन ने उक्त भूमि को सेना के नाम राजस्व रिकार्ड में तबादला भी करवा दिया था, लेकिन सैन्य अधिकारियों ने एक बार फिर अपने रुख में परिवर्तन करते हुए बरनोह की भूमि को उपयुक्त न मानते हुए जिला प्रशासन को इसके बारे में लिखित में सूचित कर दिया। इससे जिला में सीएसडी डिपो की स्थापना का मसला एक बार फिर से लटक गया है। गौरतलब है कि जिला ऊना में सीएसडी डिपो स्थापित करने के नाम पर खासी राजनीति हुई है। सीएसडी डिपो की स्थापना का श्रेय लेने को भाजपा व कांग्रेस दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों में दावे-प्रतिदावे का खेल शुरू है। हालांकि अभी तक सीएसडी डिपो की स्थापना को लेकर धरातल पर कुछ खास प्रगति नहीं हो पाई है।

जमीन चयन में ही बिता दिए नौ साल

पिछले नौ सालों में अभी तक इसके लिए भूमि का चयन भी अंतिम नहीं हो पाया है। सेना के उच्चाधिकारियों की टीमें ने इसके लिए ऊना में अलग-अलग साइट्स का सर्वे करने के बाद बरनोह की भूमि को चयनित किया था, लेकिन इसके रिजेक्ट होने के बाद अब यह मामला एक बार फिर से लटक गया है।

अढ़ाई लाख सैनिक परिवारों को मिलता लाभ

भारतीय सशस्त्र सेनाओं में हिमाचल से सेवारत और सेवानिवृत्त सैनिकों की तादाद काफी है। ऊना में सीएसडी डिपो के स्थापित होने से राज्य के अढ़ाई लाख के करीब सैनिक परिवारों को लाभ मिलना था। प्रदेश में भूतपूर्व सैनिकों, युद्ध विधवाओं या विधवाओं की संख्या 1.35 लाख से ज्यादा है, जबकि एक से सवा लाख के बीच सेवारत सैनिक हैं। सीएसडी डिपो की स्थापना से पूरे प्रदेश में सेवारत व सेवानिवृत सैनिकों को काफी सुविधा प्राप्त होनी थी। इससे प्रदेश के दूरदराज इलाकों में भी सीएसडी कैंटीन स्थापित करने में मदद मिलती।

…तो राज्य में होता करोड़ों का निवेश

सीएसडी डिपो की स्थापना से प्रदेश के दूरदराज इलाकों में भी सीएसडी कैंटीन स्थापित करने में मदद मिलती। सैनिक परिवारों को विभिन्न प्रकार के वाहन, एलईडी, एलसीडी, साउंड सिस्टम, वातानुकूलित उपकरण, कूलर, माइक्रावेव इत्यादि महंगे सामान खरीदने के लिए प्रदेश से बाहर नहीं भटकना पड़ता, वहीं ग्रोसरी आइट्मस, लिक्वर भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता। इस डिपो की स्थापना से राज्य में करोड़ों का निवेश भी होना था।

धूमल सरकार में शुरू हुई थी कसरत

पूर्व भाजपा सरकार में जिला ऊना में सीएसडी डिपो स्थापित करने के लिए पहल हुई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने ऊना में सीएसडी डिपो खोलने की घोषणा की थी। इसके तहत जिला में विभिन्न साइट्स का सर्वे भी किया गया, वहीं प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मौजूदा कांग्रेस सरकार ने इस मसले को आगे बढ़ाया। बरनोह में 300 कनाल भूमि सेना के नाम की गई, लेकिन सेना ने इस साइट को रिजेक्ट कर दिया।


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