हिमाचल को 730 करोड़ के जख्म दे गई बरसात

अब तक प्रदेश के 75 लोगों की गई जान, 16 सितंबर को समीक्षा के बाद केंद्र को जाएगा प्रस्ताव

शिमला— हिमाचल प्रदेश में अब बरसात की रफ्तार कम हो गई है, जिससे अब नुकसान भी थमा है। इस बरसात ने प्रदेश को 730 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है, जिसमें सरकारी और निजी दोनों संपत्तियां शामिल हैं। बरसात के कारण प्राकृतिक आपदा से प्रदेश में अब तक 75 लोगों की जान जा चुकी है। इस सारे नुकसान की समीक्षा करने के लिए मुख्य सचिव ने 16 सितंबर को शिमला में बैठक बुलाई है, जिसमें जिलों के अधिकारी भी शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इस समीक्षा के बाद प्रदेश से केंद्र सरकार को राहत के लिए विस्तृत प्रारूप भेज दिया जाएगा और केंद्रीय राहत दल को तुरंत भेजने का मामला उठाया जाएगा। 16 सितंबर को होने वाली बैठक में हरेक जिला और सभी विभागों की समीक्षा की जाएगी, जिसमें जाना जाएगा कि कहां-कितना नुकसान हुआ और उसकी भरपाई के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। इस नुकसान की भरपाई के लिए अभी तक केंद्र सरकार से फूटी कौड़ी नहीं मिल पाई है और न ही केंद्र की ओर से कोई आश्वासन प्रदेश को मिला है। गौर हो कि बरसात के कारण प्राकृतिक आपदा से प्रदेश में 75 लोगों की जान जा चुकी है।  आंकड़ों के अनुसार बिलासपुर जिला में पांच, चंबा में तीन, हमीरपुर में दो, कांगड़ा में एक, किन्नौर में तीन, कुल्लू में दो, लाहुल-स्पीति में एक, मंडी जिला में 48, शिमला में सात और ऊना जिला में दो लोगों की जान गई है। राजस्व विभाग के डिजास्टर मैनेजमेंट सैल को विभागों से मिली रिपोर्ट के अनुसार अब तक प्रदेश में 730 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। इसमें लोक निर्माण विभाग को सबसे अधिक 467 करोड़ 38 लाख 70 हजार रुपए का नुकसान आंका गया है। बड़ी संख्या में यहां पर सड़कें प्रभावित रहीं। उद्यान विभाग को 33 करोड़ 71 लाख 67 हजार रुपए, बिजली बोर्ड को 27 करोड़ आठ लाख 67 हजार, आईपीएच विभाग को 180 करोड़ 26 लाख नौ हजार, पशुपालन विभाग को तीन करोड़ 56 लाख तथा कृषि महकमे को 21 करोड़ 84 लाख 87 हजार रुपए के नुकसान का आकलन किया गया है।

केंद्रीय राहत दल को जल्द बुलाने की कोशिश

समीक्षा बैठक में नुकसान की पूरी रिपोर्ट पर चर्चा के साथ राज्य सरकार द्वारा दी गई राशि में से क्या-क्या राहत कार्य किए गए हैं, इस पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ केंद्र सरकार के लिए प्रस्ताव तैयार होगा, जिसे मंत्रालय को भेजकर उनसे केंद्रीय दल को जल्द भेजने की मांग उठेगी। यही नहीं, प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगनी है लिहाजा उससे पहले यहां राहत दल भेजने की मांग प्रदेश सरकार करेगी।