112 नंबर पर बुलाएं पुलिस

शिमला — हिमाचल में अब पुलिस का एमर्जेंसी नंबर ‘112’ बन जाएगा। नेशनल एमर्जेंसी रिस्पांस सिस्टम यानी एनईआरएस प्रोजेक्ट लागू करने के बाद यह पूरे देश के लिए एक एमर्जेंसी नंबर होगा। केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल को 4.79 करोड़ रुपए जारी किए हैं। प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए पुलिस विभाग ने सीडैक कंपनी के साथ करार किया है। इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से पूरे राज्य में पुलिस के सभी वाहन जीपीएस से जुड़ जाएंगे। इनको शिमला स्थित कंट्रोल रूम से मॉनीटर किया जा सकेगा। केंद्र सरकार के महत्त्वाकांक्षी नेशनल एमर्जेंसी रिस्पांस सिस्टम प्रोजेक्ट के तहत सभी राज्यों का एक इंटिग्रेटिड एमर्जेंसी रिस्पांस सिस्टम बनाया जाना है। इसके तहत पूरे देश के लिए 112 नंबर एमर्जेंसी होगा। हिमाचल में भी यही एमर्जेंसी नंबर होगा। हिमाचल में भी इसको लागू करने की तैयारी कर दी है। पुलिस विभाग को इस प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी बनाया गया है। हालांकि यह एमर्जेंसी नंबर सभी तरह के एमर्जेंसी नंबर बदलेगा, लेकिन हिमाचल में फिलहाल इसके तहत पुलिस की एमर्जेंसी सेवा को जोड़ा जाएगा। यानी यदि किसी को पुलिस की सहायता लेनी है, तो वह 112 नंबर पर कॉल करेगा। इसके लिए राज्य स्तर पर एक कंट्रोल रूम शिमला में स्थापित होगा और जिला स्तर भी केंद्र स्थापित होंगे। राज्य स्तर पर बने कंट्रोल रूम में 112 नंबर पर आई फोन कॉल्ज व एसएमएस को रिसीव किया जाएगा। बिना बताए ही इस कंट्रोल रूम में लगे आधुनिक उपकरणों से उस जगह का भी पता चल सकेगा, जहां से कॉल या एसएमएस भेजा गया है। इसके बाद यहां से तत्काल संबंधित निकटवर्ती केंद्र को सूचना जाएगी और वहां से मौके के लिए रिस्पांस टीमें रवाना की जाएंगी। इस तरह त्वरित गति से लोगों को सभी तरह की आपातकालीन सेवाएं मिलेंगी। एनईआरएस प्रोजेक्ट लागू करने के लिए इस साल फरवरी में हिमाचल ने केंद्र सरकार के साथ एमओयू किया था। इसके बाद इसके तौर-तरीके फाइनल किए जा रहे थे। हिमाचल में यह प्रोजेक्ट लागू करने के लिए कुछ राज्यों के मॉडल भी जांचे गए हैं। इसके बाद अब पुलिस विभाग ने सीडैक कंपनी के साथ एक करार किया है। कंट्रोल रूम स्थापित करने के लिए शिमला में जमीन का चयन किया जा रहा है।

फिर अन्य विभाग भी जोड़े जाएंगे

डीजीपी सोमेश गोयल ने बताया कि अगले तीन से छह महीने के भीतर 112 नंबर को हिमाचल में शुरू कर दिया जाएगा। इसके तहत पुलिस अधिकारियों के वाहनों, पीसीआर वैनों और थानों व चौकियों के वाहनों को जीपीएस से जोड़ा जाएगा। इस तरह शिमला स्थित कंट्रोल रूम से इनकी निगरानी की जाएगी। शुरू में यह नंबर केवल पुलिस विभाग के लिए होगा, लेकिन बाद में इसको फायर व अन्य विभागों के साथ बातचीत कर एमर्जेंसी सेवाओं के साथ भी जोड़ा जाएगा।