22 साल की मन्नत के बाद पैदा हुआ था अमित

ब्लू व्हेल का ग्रास बना ठियोग का छात्र, गेम खेलने के लिए औरों से मांग लेता था फोन 

ठियोग – ठियोग देहा गुरुकुल स्कूल के जिस छात्र को ब्लू व्हेल गेम ने अपना ग्रास बनाया, वह 22 सालों की मन्नत के बाद घर का ऐसा चिराग बना था।  वह  मां-बाप के लिए पिछले 15 दिनों से घर के कामकाज में भी हाथ बंटा रहा था। ठियोग के देहा के बढ़ाउ गांव में ब्लू व्हेल गेम खेलने से हुई एक बच्चे की मौत को लेकर इलाके में दहशत का माहौल हो गया है। माता-पिता ने उसकी बहन को एंड्रॉयड फोन लेकर दिया तो उसके सभी फीचर्स अमित ने ही सेट किए थे। इसे देखकर उसके पेरेंट्स भी हैरान थे।  गुरुवार को अमित की मौत के बाद जब उसका स्कूल खुला, तो करीब दो घंटे की प्रार्थना सभा में टीचरों ने बच्चों से आह्वान किया कि ब्लू व्हेल गेम को न खेलें।  अमित के एक दोस्त अभय ने भी बताया कि पिछले कुछ दिनों से अमित कुछ इस तरह की बातें करता था कि वह कुछ ऐसा कर जाएगा, जिससे सबको हैरानी होगी। पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाला अमित स्कूल में काफी अनुशासन में रहता था, जिसके लिए सभी टीचर उसे काफी प्यार देते थे। स्कूल के चेयरमैन ज्ञान वर्मा ने बताया कि उसने स्कूल में कभी किसी से इस तरह की बात ही नहीं की, जबकि सोमवार को जब टीचरों को बाकी जगह से इस गेम को लेकर पता चला था तो सभी बच्चों की काउंसिलिंग हुई थी और टीचरों ने एक-एक बच्चे की बाजू को चैक किया था।  उधर, अमित के पिता श्यामानंद शर्मा जो कि आर्मी से रिटायर्ड हैं, उनका व उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि मंगलवार शाम के समय वह दिल्ली से आ रहे अपने दोस्त को लेने के लिए सैंज गए थे, जिसके बाद शाम के समय वह भी वापस आ गए, लेकिन इस बीच यह हादसा हो गया।   उन्होंने कहा कि अमित ने सुसाइड नोट अपनी कापी के बीच रखा हुआ था, जो कि उसकी मां को बाद में मिला है। रोते हुए अमित के पिता श्यामानंद ने बताया कि उनके बेटे अमित की जान उसी ब्लू व्हेल गेम ने ली है। उन्होंने बताया कि उसके पास वह कभी अपना फोन नहीं देते थे, लेकिन वह हर किसी से भइया-भइया बोलकर फोन मांग लेता था।

कब्जे में लिया मोबाइल 

अमित के पिता श्यामानंद का मोबाइल फोन पुलिस ने कब्जे में ले लिया है।  मोबाईल  से यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि फोन में गेम डाउनलोड हुई है या नहीं। मोबाइल फोन को एफएसएल की रिपोर्ट के लिए भेज दिया गया।   एसपी साइबर क्राइम संदीप धवल  ने लोगों से आग्रह किया है कि सोशल मीडिया पर इस गेम का कोई भी लिंक पाए जाने पर  0177- 2620331, 0177-2621331और 0177-2627955 पर इसकी सूचना दें।

ग्रुप एडमिन पर हो हत्या का केस

अमित के पिता श्यामानंद ने बताया कि 22 साल की प्रार्थना के बाद उनको बेटा मिला था, लेकिन वो भी ईश्वर ने छीन लिया। उन्होंने कहा कि जो उनके बेटे के साथ हुआ है वह किसी और के बच्चे के साथ न हो इसके लिए पुलिस मीडिया व खुद अभिभावकों को जागरूक होने की आवश्यकता है। श्यामानंद ने इस गेम के गु्रप एडमिन पर  हत्या का मामला दर्ज करवाने की आग्रह पुलिस प्रशासन से किया है। उन्होंने कहा कि अमित के अलावा उनकी दो बड़ी बेटियां भी हैं।

डीसी बोले, गेम खेलने से बच्चे ने नहीं की आत्महत्या, तथ्य हैं विपरीत

शिमला— ठियोग के देहा क्षेत्र में एक बच्चे द्वारा ब्लू व्हेल गेम खेलने के पश्चात आत्महत्या करने का मामला तथ्यों पर आधारित नहीं है। यह बात उपायुक्त शिमला रोहन चंद ठाकुर ने इस मामले के तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने के बाद गुरुवार को कही। उपायुक्त ने बच्चे के पिता से दूरभाष पर बात की तथा तहसीलदार देहा ने भी बच्चे के परिवार से भेंट की। बच्चे द्वारा ‘आत्महत्या’ ब्लू व्हेल गेम खेलने के पश्चात की गई, इसका पुष्ट प्रमाण नहीं है। उपायुक्त 15 सितंबर को स्वयं जाकर बच्चे के अभिभावकों से भेंट करेंगे।  जिला प्रशासन ने स्कूल और अभिभावकों से आग्रह किया है कि वह बच्चों में डिप्रेशन या अकेलेपन के लक्षणों को पहचाने और समयबद्ध उचित कदम उठांएं।  जिला प्रशासन द्वारा उपायुक्त कार्यालय परिसर में बाल परामर्श केंद्र खोला गया है, ताकि डिप्रेशन या अन्य तनाव से प्रभावित बच्चों की काउंसिलिंग की जा सके। यदि बच्चों में किसी कारणवश तनाव या डिप्रेशन के लक्षण हों तो प्रशासन द्वारा इस संबंध में हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।

….तो अभिभावक रहें सतर्क

 बेहतर है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बच्चों को रोक लें,ताकि वे इस गेम के जाल में न फंसें  शिक्षक स्कूलों में बच्चों से खुली जगह ही इंटरनेट इस्तेमाल करवाएं, जहां आसानी से उनको देखा जा सकता हो  यदि बच्चों के व्यवहार में कोई बदलाव आ रहा है और उनमें कोई डिप्रेशन व अन्य मानसिक समस्या दिखे तो इस पर अभिभावक जरूर ध्यान दें  अभिभावक अपने बच्चों के मैसेज, कॉल लॉग्ज, सर्च हिस्ट्री, नोटबुक्स, फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया पर हुई बातों पर जरूर ध्यान दें, इससे बच्चों की मनोस्थिति समझने में मदद मिलेगी  अभिभावक बच्चों के साथ नियमित तौर पर इंटरेक्शन रखें और उनको इस तरह के खतरों के प्रति सचेत करवाते रहें