ब्लू व्हेल का ग्रास बना ठियोग का छात्र, गेम खेलने के लिए औरों से मांग लेता था फोन
कब्जे में लिया मोबाइल
अमित के पिता श्यामानंद का मोबाइल फोन पुलिस ने कब्जे में ले लिया है। मोबाईल से यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि फोन में गेम डाउनलोड हुई है या नहीं। मोबाइल फोन को एफएसएल की रिपोर्ट के लिए भेज दिया गया। एसपी साइबर क्राइम संदीप धवल ने लोगों से आग्रह किया है कि सोशल मीडिया पर इस गेम का कोई भी लिंक पाए जाने पर 0177- 2620331, 0177-2621331और 0177-2627955 पर इसकी सूचना दें।
ग्रुप एडमिन पर हो हत्या का केस
अमित के पिता श्यामानंद ने बताया कि 22 साल की प्रार्थना के बाद उनको बेटा मिला था, लेकिन वो भी ईश्वर ने छीन लिया। उन्होंने कहा कि जो उनके बेटे के साथ हुआ है वह किसी और के बच्चे के साथ न हो इसके लिए पुलिस मीडिया व खुद अभिभावकों को जागरूक होने की आवश्यकता है। श्यामानंद ने इस गेम के गु्रप एडमिन पर हत्या का मामला दर्ज करवाने की आग्रह पुलिस प्रशासन से किया है। उन्होंने कहा कि अमित के अलावा उनकी दो बड़ी बेटियां भी हैं।
डीसी बोले, गेम खेलने से बच्चे ने नहीं की आत्महत्या, तथ्य हैं विपरीत
शिमला— ठियोग के देहा क्षेत्र में एक बच्चे द्वारा ब्लू व्हेल गेम खेलने के पश्चात आत्महत्या करने का मामला तथ्यों पर आधारित नहीं है। यह बात उपायुक्त शिमला रोहन चंद ठाकुर ने इस मामले के तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने के बाद गुरुवार को कही। उपायुक्त ने बच्चे के पिता से दूरभाष पर बात की तथा तहसीलदार देहा ने भी बच्चे के परिवार से भेंट की। बच्चे द्वारा ‘आत्महत्या’ ब्लू व्हेल गेम खेलने के पश्चात की गई, इसका पुष्ट प्रमाण नहीं है। उपायुक्त 15 सितंबर को स्वयं जाकर बच्चे के अभिभावकों से भेंट करेंगे। जिला प्रशासन ने स्कूल और अभिभावकों से आग्रह किया है कि वह बच्चों में डिप्रेशन या अकेलेपन के लक्षणों को पहचाने और समयबद्ध उचित कदम उठांएं। जिला प्रशासन द्वारा उपायुक्त कार्यालय परिसर में बाल परामर्श केंद्र खोला गया है, ताकि डिप्रेशन या अन्य तनाव से प्रभावित बच्चों की काउंसिलिंग की जा सके। यदि बच्चों में किसी कारणवश तनाव या डिप्रेशन के लक्षण हों तो प्रशासन द्वारा इस संबंध में हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।
….तो अभिभावक रहें सतर्क
बेहतर है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बच्चों को रोक लें,ताकि वे इस गेम के जाल में न फंसें शिक्षक स्कूलों में बच्चों से खुली जगह ही इंटरनेट इस्तेमाल करवाएं, जहां आसानी से उनको देखा जा सकता हो यदि बच्चों के व्यवहार में कोई बदलाव आ रहा है और उनमें कोई डिप्रेशन व अन्य मानसिक समस्या दिखे तो इस पर अभिभावक जरूर ध्यान दें अभिभावक अपने बच्चों के मैसेज, कॉल लॉग्ज, सर्च हिस्ट्री, नोटबुक्स, फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया पर हुई बातों पर जरूर ध्यान दें, इससे बच्चों की मनोस्थिति समझने में मदद मिलेगी अभिभावक बच्चों के साथ नियमित तौर पर इंटरेक्शन रखें और उनको इस तरह के खतरों के प्रति सचेत करवाते रहें