45 सीटर बस में 60 सवारियां

धर्मपुर  – कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पर चलने वाली अधिकतर बसे सरेआम नियमों को ठेंगा दिखा रहे है और सड़कों पर चलने वाली निजी बसों द्वारा बार-बार ओवरलोडिंग व तेज रफ्तार से बसों के चलाया जा रहा है। आंखों में धूल झोंककर बस आपरेटर अपनी मनमानी से 45 सीटर बस में करीब 50-60 सवारियां भर कर चल रहे हैं। बिना किसी डर के बसों में ओवरलोडिंग करने का सिलसिला थमता नहीं दिखाई दे रहा है। यही नहीं अब तो ड्राइवर ओवरलोड कर तेज रफ्तार से बसों को भगाने में जोर देने लगे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि जब लोगों द्वारा बस को तेजी से ओवरटेक न करने के लिए कहा जाता है तो कई बस कंटक्टरों का उत्तर बड़ा ही चोंकाने वाला होता है। वहीं नेशनल हाई-वे पर चलने वाली बसों में ओवरलोडिंग के मामले में न तो प्रशासन गंभीर है ओर न ही कोई सख्त कदम उठा रहा है, जिसके चलते रोजना बसों में ओवरलोडिंग हो रही है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। गौर हो कि कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पर प्रथम चरण में फोरलाइन का कार्य परवाणू से चंबाघाट(सोलन) तक चला हुआ है, जिसके कारण सड़क की हालत भी खस्ता बनी है और परवाणू से सोलन तक फोरलेन का कार्य चला होने के कारण हर समय जोखिम भी बना रहता है, परंतु बस आपरेटरों को इस बात की कोई सूझ नहीं है। आलम यह है कि नेशनल हाई-वे पर चलने वाली कालका से सोलन व धर्मपुर से सोलन निजी बसों  में खड़े होने तक को जगह नहीं होती, इसके बाबजूद बसों में ठूंस-ठूंस के सवारियां भर रहे हैं। सवारियों की जान की परवाह किए बिना ही बसों में सफर करना पड़ता है। ओवरलोडिंग व तेज रफ्तार से ओवरटेक के कारण घटी कई दुर्घटनाओं के बावजूद बेलगाम दौड़ रही बसें कोई सबक नहीं ले रही हैं।

अन्य कई रूटों पर भी यही हाल

कालका से सोलन ही नहीं बल्कि अन्य रूट धर्मपुर से सुबाथू, धर्मपुर से कंडा व धर्मपुर से कसौली को जाने वाली निजी बसों में भी येही हाल है। हालांकि कई बार तो सुबाथू से धर्मपुर रूट पर चलने वाली निजी बसों में स्कूल के समय पर बच्चों को छत पर  भी बैठा देखा जाता है, परंतु इस पर भी कोई ध्यान नहीं देता है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

कई बसों में संकट द्वार भी नहीं

विभिन्न रूटों पर चल रही निजी बसों में न तो संकट द्वार है और न ही आरटीओ विभाग का नंबर लिखा है, जिससे लोग किसी प्रकार की शिकायत आदि करने से वंचित रह रहे हैं। हालांकि आरटीओ विभाग का नंबर बसों में लिखना जरूरी होता है, परंतु बस आपरेटर इस बात को नजर अंदाज कर रहे हैं।

क्या कहते हैं आरटीओ सोलन

आरटीओ सोलन मदन दत्त शर्मा का कहना है कि विभिन्न रूट पर चल रही बसों में आरटीओ कार्यालय का नंबर लिखने बारे में कहा गया है यदि कोई बस का ड्राइवर, कंडक्टर सवारियों के साथ बदसलूकी करते हैं या तेज रफ्तार से बसों को चला रहे है, तो तुरंत फोन नंबर पर शिकायत दे सकते हैं और बसों में ओवरलोडिंग करने वालों के खिलाफ  तुरंत कार्रवाई कर जुर्माना किया जाएगा।